Jabalpur Food: 72 साल पहले खोली थी चाट की दुकान, देखते ही टपकने लगती लोगों की लार, खाए बिना नहीं बढ़ाते आगे गाड़ी

Jabalpur Food: 72 साल पहले खोली थी चाट की दुकान, देखते ही टपकने लगती लोगों की लार, खाए बिना नहीं बढ़ाते आगे गाड़ी


आकाश निषाद, जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर की ऐसी चाट की दुकान जो करीब 72 साल पुरानी है. खास बात यह है जब कोई भी इस चाट वाली गली से निकलता है, तब चाट के चटकारे को देखते ही लार टपकने लगती है और ग्राहक चाट खाए बिना आगे नहीं बढ़ पाता. आइए जानते हैं ऐसा क्या हैं चाट में…

दरअसल हम बात कर रहे हैं जबलपुर के कमानिया में मौजूद ठाकुर चाट की. यह दुकान सन 1953 की है मतलब आज से 72 साल पुरानी. जिसकी कमान अब दूसरी पीढ़ी महेंद्र सिंह ठाकुर उर्फ छोटू ठाकुर के पास हैं. जिन्हें दुकान संभालते 40 साल हो चुके हैं. उन्होंने बताया पिताजी बड़े महावीर के पास दुकान चलाते थे. जिन्हें हार्ट अटैक आ गया था. अब उन्हीं के आशीर्वाद से सब कुछ चल रहा है.

एक शेर से समझा दिया चाट का स्वाद…

छोटू ठाकुर कहते हैं टेस्ट के बारे में पूछिए ही नहीं….माल खाओ चोखा और कभी ना खाओ धोखा… यही पिताजी कहते थे और आज भी हम यही कहकर ग्राहकों का विश्वास जीतते हैं. चाट की क्वालिटी से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करते. 72 साल पहले जो टेस्ट चाट का होता था, आज भी वही टेस्ट है. जो ग्राहकों काफी पसंद आता है.

खजूर की चटनी बढ़ा देती है चाट का टेस्ट 

छोटू ठाकुर बताते हैं चाट में साफ सुथरे तेल का इस्तेमाल करते हैं. खटाई, दही में इमली और आम का काम नहीं होता बल्कि टोटल खजूर की चटनी रहती है. जो किसी भी ग्राहक को नुकसान नहीं करती है. पानी को इमली और टार्टिक से नाम बनाकर आम का पानी बनाया जाता है. जिसके स्वाद से ग्राहक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.

मिलती हैं चाट की ढेर सारी वैरायटी 

चाट की दुकान में न सिर्फ समोसा इसके अलावा कचौड़ी चाट, आलू चाप, साबूदाना चाप, टमाटर चाप, दही बड़ा, खस्ता चाट और खस्ता कचौड़ी सहित ढेर वैरायटी हैं. उन्होंने बताया दुकान में अधिकांश जैन समाज के लोग भी आते हैं जिनके लिए बिना आलू प्याज का पापड़ी चाट भी मिलता हैं. जिसे बीपीएल भी कहते हैं. इसमें न ही अदरक होता है न ही आलू-प्याज. जो अलग से तैयार किया जाता है.

दिल्ली के लोग भी इस चाट के दीवाने 

छोटू ठाकुर बताते हैं जबलपुर शहर तो छोड़ ही दीजिए प्रदेश और देशभर से लोग आते हैं वहीं दिल्ली और आगरा के ऐसे कई ग्राहक हैं, जिन्हें पार्सल कर चाट भेजते हैं. उन्होंने बताया पिता की मृत्य के बाद 40 साल से अकेले चाट की दुकान संभाल रहे रहें हैं. जब शुरुआत की थी उस समय चवन्नी की चार फुल्की और 1 रूपए का चाट मिलता था. वहीं अब चाट की कीमत मात्र 40 रूपए है.



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