अब पारंपरिक फसल नहीं, ये फल दे रहे हैं 5 गुना मुनाफा! जुलाई-अगस्त में शुरू करें बागवानी, जानें सही तरीका

अब पारंपरिक फसल नहीं, ये फल दे रहे हैं 5 गुना मुनाफा! जुलाई-अगस्त में शुरू करें बागवानी, जानें सही तरीका


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Agriculture News: किसान अब पारंपरिक खेती की जगह बागवानी को अपना रहे हैं, जिससे कम लागत में ज्यादा मुनाफा मिल रहा है. जुलाई-अगस्त बागवानी के लिए श्रेष्ठ समय है.

हाइलाइट्स

  • जुलाई-अगस्त का समय पौधारोपण के लिए सही
  • बागवानी फसलें और बदलें अपनी किस्मत
  • फल-फूल रही बागवानी से किसान बने सुपरस्टार
खरगोन. मध्य प्रदेश के कई जिलों सहित अब खरगोन में भी किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर बागवानी की ओर रुख कर रहे हैं. खासकर वे किसान जो कम लागत में अधिक मुनाफा चाहते हैं, या फिर अपनी पारंपरिक फसलों में नुकसान उठाना पड़ रहा है, उनके लिए यह अच्छा विकल्प बन रहा है. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि बागवानी की शुरुआत के लिए जुलाई-अगस्त का समय सबसे उपयुक्त होता है. इस समय पौधों की ग्रोथ तेजी से होती है और वे मौसम के अनुकूल ढल जाते हैं. ऐसे में अगर आप भी फलों की खेती शुरू करना चाहते हैं तो यह सही समय है.

खरगोन की जलवायु बागवानी फसलों के लिए काफी अनुकूल मानी जाती है. किसान भाई नींबू, संतरा, आम, केला, अमरूद, पपीता, और चीकू जैसे फलों के बगीचे लगा सकते हैं. इन फसलों की खास बात यह है कि इनमें लागत कम आती है और बाजार में मांग हमेशा बनी रहती है. बागवानी से न सिर्फ आय बढ़ाई जा सकती है, बल्कि लंबे समय तक खेत से नियमित आमदनी भी होती है.

पौधे लगाने से पहले करे ये काम
उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ. एसके त्यागी बताते हैं कि 15 जुलाई से 15 अगस्त बुआई का उचित समय है. बागवानी शुरू करने से पहले खेत की ठीक से तैयारी करनी जरूरी होती है. पौधों के लिए 1x1x1 फीट का गड्ढा बनाएं और उसमें सड़ी हुई गोबर खाद, नीम खली और मिट्टी मिलाकर भरें. यह मिश्रण 15 से 20 दिन तक खुले गड्ढे में छोड़ दें. इसके बाद ही नर्सरी से लाए पौधे इनमें रोपें. पौधों की सुरक्षा के लिए उन्हें गिरने से बचाने हेतु एक बांस का सहारा दें और उसे रस्सी से बांध दें.

बागवानी की खेती का तरीका
पौधे लगाते समय कुछ जरूरी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. पौधे की जड़ न टूटे और जिस पॉलिथीन में वह लगा है, उसी गहराई तक उसे मिट्टी में लगाएं. ग्राफ्टिंग वाला हिस्सा जमीन से करीब 6 इंच ऊपर होना चाहिए. रोपण के तुरंत बाद सिंचाई करें और ड्रिप सिस्टम का उपयोग करें, जिससे पानी की बचत होती है और पौधों को जरूरत के अनुसार नमी मिलती है. समय-समय पर गुड़ाई, टहनियों की छंटाई और जैविक दवाओं का छिड़काव भी जरूरी होता है.

कई वर्षों तक मिलेगा उत्पादन
वैज्ञानिक बताते है कि, बागवानी से किसानों को मंडी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता. नींबू या पपीते, केला, आम, अमरूद जैसे फलों की सप्लाई सीधे व्यापारी और कंपनियां खेतों से ले जाते हैं. इससे किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिलता है और मुनाफा भी सीधा हाथ में आता है. यदि समय पर देखभाल की जाए तो यह खेती कई वर्षों तक बेहतर उत्पादन ओर मुनाफा देने का जरिया बन सकती है.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें

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अब पारंपरिक फसल नहीं, ये फल दे रहे हैं 5 गुना मुनाफा! ऐसे शुरू करें बागवानी



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