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Jabalpur News: अरुण बेंगलुरु के उस मूर्ति कलाकार का पता करने लगे और उन्हें मालूम चला कि श्रीधर नाम के कलाकार ने वह मूर्ति बनाई थी. वह श्रीधर से मिले और उन्हें जबलपुर में मूर्ति बनाने के लिए कहा लेकिन श्रीधर ने …और पढ़ें
शिव मंदिर के पुजारी पंडित सुरेंद्र दुबे लोकल 18 को बताते हैं कि भगवान शिव की यह विशालकाय मूर्ति साल 2005 में स्थापित की गई थी. मंदिर परिसर तीन एकड़ में फैला हुआ है. भोलेनाथ की गुफा में 12 ज्योतिर्लिंगों के साथ ही भक्तों को माता पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय और महादेव के वाहन नंदी के दर्शन होते हैं. भगवान शिव की महा आरती प्रतिदिन सुबह और शाम ठीक 7 बजे होती है, जिसमें भक्तों का तांता लगता है.
कलाकार ने मूर्ति बनाने से किया था इनकार
स्थानीय निवासी अरुण तिवारी ने लोकल 18 को बताया कि जब वह बेंगलुरु घूमने गए थे, तब उन्होंने 41 फीट की एक आकर्षक मूर्ति देखी थी. मूर्ति उनके मन में बस गई. जिसके बाद उन्होंने ठान लिया था कि वह जब भी जबलपुर जाएंगे, तब मूर्ति का निर्माण कराएंगे. अरुण बेंगलुरु के उस मूर्ति कलाकार का पता करते-करते उनके पास पहुंचे. वह मूर्ति श्रीधर नाम के कलाकार ने बनाई थी. श्रीधर ने उत्तर भारत में मूर्ति बनाने से मना कर दिया था.
काफी मिन्नतों के बाद हुए तैयार
उन्होंने बताया कि काफी मिन्नतों के बाद श्रीधर तैयार हुए और 15 मजदूरों को लेकर शहर पहुंचे. साल 2003 में भोलेनाथ की इस मूर्ति का निर्माण कार्य शुरू हुआ और करीब तीन साल की मेहनत के बाद मध्य प्रदेश की भगवान शिव की सबसे बड़ी मूर्ति करीब 76 फीट तैयार हुई, जिसे देखने के लिए अब श्रद्धालुओं का तांता लगता है. जो भी एक बार इस विशालकाय मूर्ति देखता है, वो भी हैरान हो जाता है.