केंद्रीय मंत्री शिवराज बोले- भारत बनेगा दुनिया का फूड बास्केट: कहा- लखपति दीदी के बाद बहनों को मिलेनियम दीदी बनाएंगे; किसानों का हित सर्वोपरि – Madhya Pradesh News

केंद्रीय मंत्री शिवराज बोले- भारत बनेगा दुनिया का फूड बास्केट:  कहा- लखपति दीदी के बाद बहनों को मिलेनियम दीदी बनाएंगे; किसानों का हित सर्वोपरि – Madhya Pradesh News


केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि मोदी सरकार का लक्ष्य भारत को दुनिया का फूड बास्केट बनाना है। इस दिशा में लगातार काम हो रहा है। हमारे वैज्ञानिकों के पास जो रिसर्च और टेक्नोलॉजी है, इससे हम उत्पादन बढ़ाकर जल्द दूसरे

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केंद्रीय मंत्री चौहान ने दिल्ली में दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में कृषि, ग्रामीण विकास और राजनीति पर विस्तृत चर्चा की। भाजपा अध्यक्ष की दौड़ में नाम को लेकर वे कहते हैं कि अभी किसान और गांव ही चित में हैं और वर्तमान में ही जीता हूं। बातचीत के मुख्य अंश…

सवाल : विकसित भारत @2047 में कृषि, ग्रामीण विकास की क्या भूमिका होगी? जवाब : कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ और किसान उसकी आत्मा हैं। 70% भारत गांव में बसता है। कृषि के बिना विकसित भारत बन ही नहीं सकता। विगत 11 वर्षों में कृषि में क्रांति हुई है। बुधवार को ही कैबिनेट ने धन-धान्य योजना को मंजूरी दी l दस साल में कृषि में 40% से ज्यादा उत्पादन बढ़ा है। दूध में 1966-80 में 0.9 मिलियन टन सालाना वृद्धि थी, जो 2014-24 में 10.2 मिलियन टन हो गई। 2024-25 में खाद्यान्न उत्पादन 3,309 लाख टन पहुंचने की संभावना है।

प्रधानमंत्री मोदी का विजन हमारे लिए वरदान है। गांव विकसित होगा तो देश विकसित होगा। यह बात प्रधानमंत्री अच्छी तरह जानते हैं। हम इसी दिशा में काम कर रहे हैं।

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सवाल : आपने अभी धन धान्य योजना का जिक्र किया? जवाब : इस बातचीत से कुछ देर पहले (बुधवार को) ही कैबिनेट ने ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ को मंजूरी दी, जो 2025-26 से 6 वर्ष तक 100 जिलों में लागू होगी। यह केवल योजना नहीं, अन्नदाताओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव का सशक्त माध्यम है। किसानों की आय बढ़ेगी और वे आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ेंगे। यह योजना उत्पादन बढ़ाने, सिंचाई बेहतर करने, भंडारण की मजबूत व्यवस्था बनाने और किसानों को सहूलियत से कर्ज उपलब्ध कराने के लक्ष्य से शुरू की जा रही

सवाल : कृषि सेक्टर में ट्रम्प के टैरिफ को लेकर क्या कहेंगे? जवाब : किसान हित हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता हैंl किसानों की आर्थिक सुरक्षा और उनके हितों की रक्षा प्रतिबद्धता है। उनके हित से कोई समझौता नहीं होगा।

सवाल : प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार क्या कर रही है? जवाब : केमिकल फर्टिलाइजर व पेस्टीसाइड के अनियंत्रित व असीमित उपयोग से माटी की सेहत खराब हो रही है। प्राकृतिक कृषि मिशन लॉन्च किया है। एक करोड़ किसानों तक जाएंगे और आने वाले खतरों से अवगत कराएंगे। प्राकृतिक खेती के लिए उन्हें ट्रेनिंग देंगे। बायो रिसोर्स प्राप्त करने के लिए सेंटर बनाएंगे। आवश्यक चीजों के लिए अनुदान देंगे। अभी 18 लाख किसानों से प्राकृतिक खेती कराने का लक्ष्य है। हम 7.5 लाख हेक्टेयर से शुरूआत करेंगे। मैं खुद भी दो एकड़ खेत में प्राकृतिक खेती कर रहा हूं।

सवाल : हाल में जीनोम एडिटेड चावल की दो किस्में कमला और डीएसटी राइस-1 लॉन्च हुईं। इसे नई हरित क्रांति कहा जा रहा है? जवाब : जीनोम एडिटिंग में कहीं बाहर से वायरस या बैक्टीरिया का जीन नहीं लिया जाता। उसी बीज पर प्रयोग करते हैं। यह सुरक्षित है। चावल की किस्में कमला व डीएसटी राइस-1में 20 से 30% तक उत्पादन बढ़ गया है। फसल की समयावधि घट गई। पानी कम लगेगा और लागत बचेगी।

सवाल : एक बार उत्पादन के बाद उसी बीज को फिर रोप पाएंगे? जवाब : हां, रोप पाएंगे। वैसे बीज तीन साल में बदल देना चाहिए। एक बीज से फसलें बार-बार बोने से गुणवत्ता घटती है। उत्पादन अच्छा नहीं होता।

सवाल : नकली बीज और कीटनाशकों से निपटने के लिए क्या उपाय हो रहे हैं? जवाब : अभी 60 के दशक का कानून है, जिसमें घटिया खाद, पेस्टीसाइड, बीज पर सिर्फ जुर्माना होता है। नया एक्ट लाने की तैयारी कर रहे हैं। इसमें आर्थिक दंड के साथ कठोर सजा का प्रावधान होगा।

सवाल : भारत को ‘दुनिया का फूड बास्केट’ बनाने की क्या रणनीति है? जवाब : एक समय था कि हम अमेरिका का पीएल-480 लाल गेहूं खाने को विवश थे। आज हमारे पास सरप्लस है। 50 हजार करोड़ का बासमती निर्यात कर रहे हैं। दुनिया के कई देशों में हम चावल समेत कई कृषि वस्तुओं का निर्यात कर रहे हैं। लगातार इसे बढ़ाएंगे। हमारे वैज्ञानिकों के पास जो रिसर्च और तकनीक है, इससे हम उत्पादन बढ़ाकर दूसरे देशों का भी पेट भरेंगे।

सवाल : कृषि भूमि कम होते जाने की चुनौती को आप कैसे देखते हैं? जवाब : कृषि में आधुनिक तकनीक आ रही है। कृषि में हाइड्रोपोनिक पद्धति पर जोर देना होगा। इससे कई लेयर में खेती हो सकेगी। कम जमीन पर ज्यादा खेती कर सकते हैं। बागवानी और जैविक खेती की महत्वपूर्ण भूमिका है।

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बागवानी से एक एकड़ में 5-7-10 लाख रुपए कमाने वाले किसान भी हैं। राष्ट्रीय बागवानी मिशन बना है। किसानों को पॉली हाउस, ग्रीन हाउस पर सब्सिडी देते हैं। जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। यह धीरे-धीरे बढ़ेगा। हम श्रीलंका जैसी स्थिति भी पैदा नहीं करना चाहते हैं।

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सवाल : देश में कितने आवास बनाने का लक्ष्य है, कब तक पूरा होगा? जवाब : 10 साल में 4 करोड़ मकान दिए गए। दो करोड़ मकान और दे रहे हैं। ये 2026-27 तक पूरे हो जाएंगे। जिन राज्यों में जरूरत होगी, वहां हम देंगे।

सवाल : मध्य प्रदेश में ‘लाड़ली बहना’ की सफलता के बाद क्या राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं व ग्रामीणों के लिए ऐसी कोई योजना आएगी? जवाब : हमारा विभाग हर गरीब बहन को लखपति बनाने पर काम कर रहा है। यानी उसकी आमदनी कम से कम सालाना 1 लाख रु. हो जाए।

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करीब डेढ़ करोड़ लखपति दीदी बन चुकी हैं। इसे 3 करोड़ तक ले जाना है। आजीविका मिशन के तहत 10 करोड़ बहनों को स्वास्थ्य सहायता समूहों से जोड़ा है। 90 लाख से ज्यादा ग्रुप बने हैं। ट्रेनिंग दी जा रही है। अब मिलेनियम दीदी बनाने की योजना चल रही है। इसमें उनकी आमदनी 10 लाख रुपए होगी।

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सवाल : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद जैसे संस्थानों के साथ मिलकर अनुसंधान को खेतों तक पहुंचाने की क्या प्रक्रिया है? जवाब : डीडी किसान पर आधुनिक कृषि चौपाल कार्यक्रम शुरू किया है। किसानों के सवाल का जवाब कृषि वैज्ञानिक देते हैं। महीने के हर दूसरे शनिवार को टेलिकास्ट होता है। राज्य सरकारों का अमला गांव-गांव जाकर किसानों को जानकारी देता है। साल में दो बार खरीफ के लिए विकसित कृषि संकल्प चलाया गया। हम 60,800 गांव गए। रबी के लिए सितंबर के अंतिम सप्ताह में इसे शुरू करेंगे। सोशल मीडिया व एआई का भी इस्तेमाल करेंगे।

सवाल : क्या विभिन्न राज्यों को अलग-अलग फसल का मोड दे रहे हैं? जवाब : विभिन्न राज्यों के एग्रो क्लाइमेटिक जोन, वहां की मिट्टी, पोषक तत्व आदि को देखते हुए फसलवार 5 साल का रोडमैप बनाएंगे। हाल ही में इंदौर में सोयाबीन की बैठक हुई, जिसमे महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश के किसान शामिल हुए। कोयंबटूर में कपास उत्पादकता बढ़ाने पर बैठक हुई।

सवाल : अभी भी हम दालें और तेल इंपोर्ट कर रहे हैं, आत्मनिर्भर कैसे बनेंगे? जवाब :पिछले कुछ वर्षों में दलहन और तिलहन उत्पादन बढ़ा है, लेकिन खपत भी बढ़ी है। इसके लिए दो मिशन बनाए हैं। रोडमैप तैयार है। उन्नत बीज की मिनी किट देंगे, किसानों को जागरूक करेंगे और उत्पादकता बढ़ाएंगे। पाम ऑयल मिशन पर काम चल रहा है। इसके लिए 2027 तक का लक्ष्य है।

सवाल : विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए– कृषि सुधारों और एमएसपी के मुद्दे पर क्या दृष्टिकोण है? जवाब : कोई ठोस सुझाव देता है तो किसान संगठनों से मिलता हूं। राजनीतिक लाभ छोड़कर कोई सीरियसली बात करे तो हम तैयार हैं। जहां तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की बात है तो किसानों की आय बढ़ाने के निरंतर प्रयत्न हो रहे हैं। हमने 6 सूत्रीय रणनीति बनाई है। लागत पर 50% एमएसपी का ऐतिहासिक कार्य किया है। गेहूं के लिए एमएसपी 2013-14 में 1,400 रु. क्विंटल थी जो, 2024-25 में 2,425 रु. प्रति क्विंटल हो गई। धान के लिए 2013-14 में 1,310 रु. क्विंटल था जो 2025-26 में 2,369 रु. क्विंटल है। वर्ष 2013-14 में सोयाबीन की एमएसपी 2,560 रु. थी, जो आज 5,328 रु. क्विंटल है। यानी कि 108% की वृद्धि l

सवाल : पंजाब के किसान लंबे धरने के बाद उठ गए, उनकी मांग पर बात नहीं बनी? जवाब : चर्चा निरंतर जारी थी। यह बात आ गई कि राज्य सरकार बीच में नहीं रहेगी। हमारा कहना था कि खेती राज्य का विषय है तो अलग नहीं कर सकते। मैंने अपील की, फोन किया कि राज्य सरकार के साथ मिलकर बात करेंगे।

सवाल : 2016 में 2022 तक कृषि आय दोगुनी करने का लक्ष्य था, पूरा नहीं हुआ? जवाब : खेती में आय कई चीजों पर निर्भर करती है। खेती को बाढ़, सूखा आदि कई चीजें प्रभावित करती हैं। फिर भी मैं दावे के साथ कहता हूं कि कई जगह किसानों की आय बढ़ी है। उत्पादकता बढ़ती है। कीमत से मत आंकिए। पहले कई राज्यों में प्रति एकड़ 10-11 क्विंटल गेहूं की उत्पादकता थी, आज 20-22 क्विंटल प्रति एकड़ है। उत्पादकता 40% तक बढ़ गई और अच्छे दाम भी किसानों को मिल रहे हैं, जिससे किसानों की आय भी बढ़ी है।

सवाल : फर्टिलाइजर की किल्लत से किसान बहुत परेशान हैं? जवाब : समय पर फर्टिलाइजर उपलब्ध हो, यह हमारी प्रतिबद्धता है। राज्यों को मांग के अनुरूप आपूर्ति होती है l अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां बदलती हैं तो समस्या होती है लेकिन अभी किल्लत जैसा नहीं है। सरकार वैकल्पिक रास्तों पर काम कर रही हैl हम फर्टिलाइजर उपलब्ध करवा रहे हैं और सब्सिडी भी दे रहे हैं। पिछली बार किसानों को 1.94 लाख करोड़ रु. की सब्सिडी दी।

सवाल : राज्य में काम और केंद्र में काम करने में कितना अंतर है? जवाब : मुख्यमंत्री राज्य के सभी विभागों में काम करता है। मुझे मुख्यमंत्री के रूप में लंबा अनुभव है। इसका फायदा मिल रहा है। मैं दोनों जगह कंफर्टेबल हूं।

सवाल : मध्य प्रदेश सरकार के डेढ़ वर्ष के काम का आकलन कैसे करते हैं? जवाब : बहुत अच्छा मानता हूं। पूरे डेडिकेशन से काम कर रहे हैं। हमारे कामों को बढ़ा रहे हैं। मोहन यादव ने पिछली सरकार की कोई योजना बंद नहीं की।

सवाल : भाजपा अध्यक्ष के लिए आपका नाम सुर्खियों में है? जवाब : कैसे सुर्खियां बनीं, मैं नहीं जानता। कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में मेरे रोम-रोम में किसान हैं। ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में गांव का विकास मिशन है। वर्तमान में जीता हूं। जो काम सामने आएगा, उसमें सर्वश्रेष्ठ दूंगा।

सवाल : ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ किसानों की आमदनी बढ़ाने और खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने की दिशा में निर्णायक कदम है? जवाब : विकसित कृषि संकल्प अभियान कोई कर्मकांड नहीं, किसानों का जीवन बदलने का संकल्प है। हमने पहली बार वैज्ञानिकों की 2,170 टीमें गांव-गांव भेजीं। खेत में खड़े होकर किसान से सीधे संवाद किया। अभियान के दौरान कई महत्वपूर्ण सुझाव हमें मिले, उनके आधार पर रोडमैप बनाएंगे। शोध की दिशा भी किसान के खेत से तय होगी। यही असली लैब टू लैंड है।



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