बालाघाट में राजस्व अधिकारियों के न्यायालयीन और गैर न्यायालयीन कार्य विभाजन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कनिष्ठ प्रशासनिक संघ के तहसीलदार और नायब तहसीलदार इस फैसले से नाराज हैं।
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संघ का कहना है कि राजस्व अधिकारियों के चयन के लिए कोई स्पष्ट मापदंड नहीं बनाए गए हैं। गुरुवार को अधिकारियों ने कलेक्टर मृणाल मीणा को ज्ञापन सौंपा। तहसीलदार भूपेन्द्र अहिरवार ने बताया कि इस विभाजन से तहसील स्तर पर राजस्व न्यायालयों की संख्या कम हो जाएगी।
अहिरवार ने कहा कि मौजूदा न्यायालयों को ऑपरेटर, प्रवाचक, सिस्टम और तामील कुनिन्दा जैसे संसाधन उपलब्ध कराकर कार्यक्षमता बढ़ाई जानी चाहिए। लेकिन इसके उलट न्यायालयों की संख्या घटाई जा रही है, जो किसानों के हित में नहीं है।
कलेक्टर को तहसीलदार और नायब तहसीलदार ने सौंपा ज्ञापन।
नए आदेश में नियम स्पष्ट नहीं
नए आदेशों में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि कार्यपालिक मजिस्ट्रेट कहां बैठेंगे और अपने कर्तव्यों का निर्वहन कैसे करेंगे। उनके लिए आवश्यक स्टाफ और संसाधनों की व्यवस्था का भी कोई जिक्र नहीं है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के अनुसार, कार्यपालिक मजिस्ट्रेट की नियुक्ति के लिए न्यायालय स्थान और आवश्यक संसाधनों की स्वीकृति जरूरी है। लेकिन वर्तमान निर्देशों में इन कानूनी आवश्यकताओं की अनदेखी की गई है, जो प्रशासनिक सिद्धांतों के विपरीत है।