मध्यप्रदेश में राजस्व अधिकारियों ने न्यायालयीन और गैर-न्यायालयीन कामों को अलग करने के फैसले का विरोध शुरू कर दिया है। बैतूल में मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ की टीम ने गुरुवार को एडीएम को ज्ञापन सौंपकर इस फैसले को वापस लेने की मांग की। ज्ञापन तहसीलदा
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अधिकारियों ने कहा कि 10 जुलाई को प्रमुख राजस्व आयुक्त ने जो आदेश जारी किया गया वह न तो व्यवहारिक है और न ही कानून के मुताबिक। इसे बिना किसी कानूनी संशोधन और तैयारी के लागू किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इस फैसले से न तो काम में कोई सुधार होगा और न ही लोगों को न्याय मिलने में कोई सुविधा होगी।
गांवों और किसानों के लिए तहसील न्यायालय कम होने से उन्हें न्याय पाना और मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने बताया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के अनुसार कार्यपालिक मजिस्ट्रेट की नियुक्ति का अधिकार सिर्फ राज्य सरकार को है, लेकिन कुछ जिलों में कलेक्टरों ने अपने स्तर पर ही नियुक्ति कर दी है, जो गलत है।
राजस्व अधिकारी संघ ने सुझाव दिया है कि पहले इस व्यवस्था को सिर्फ दो जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जाए। अगर सफल हो, तो आगे पूरे प्रदेश में लागू किया जाए। साथ ही, पहले जरूरी कानूनी बदलाव किए जाएं। यदि मांग नहीं मानी गई, तो अधिकारी 21 जुलाई से काम बंद कर जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।