0 रीडिंग वाले स्मार्ट मीटर की कैसे हो जांच? जनता का बढ़े बिल से हाल बेहाल

0 रीडिंग वाले स्मार्ट मीटर की कैसे हो जांच? जनता का बढ़े बिल से हाल बेहाल


खंडवा. इन दिनों समूचे मध्य प्रदेश में स्मार्ट मीटर को लेकर उपभोक्ताओं के बीच गहरा असंतोष और विवाद देखने को मिल रहा है. कई जिलों में इन मीटरों के अनिवार्य रूप से लगाए जाने के विरोध में ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं और धरना प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं. उपभोक्ताओं का एक बड़ा वर्ग यह आरोप लगा रहा है कि बिजली कंपनियां उन्हें स्मार्ट मीटर लगाने या न लगाने का विकल्प दिए बिना जबरदस्ती इन्हें थोप रही है. यह दावा किया जा रहा है कि उपभोक्ता के पास मीटर के चयन का अधिकार है लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है?

मध्य प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड 2021 और इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के प्रावधानों को अगर देखें, तो इनमें ऐसा कोई स्पष्ट नियम या प्रावधान नहीं मिलता, जो किसी उपभोक्ता को यह अधिकार देता हो कि वह अपने यहां लगाए जाने वाले मीटर का प्रकार जैसे- पारंपरिक या स्मार्ट मीटर खुद चुन सके. बिजली कंपनियों का तर्क है कि मीटर लगाना उनकी जिम्मेदारी है और वह उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा और सटीक बिलिंग के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग कर रही है. हालांकि उपभोक्ता को यह जानने और सुनिश्चित करने का पूरा अधिकार है कि उसके परिसर में लगा बिजली का मीटर पूरी तरह से जांचा हुआ है और सही काम कर रहा है.

अगर रीडिंग शून्य दिख रही है तो…
यहां एक महत्वपूर्ण बिंदु सामने आता है कि यदि आपके नए लगाए गए स्मार्ट मीटर की रीडिंग शून्य दिख रही है, तो यह एक संभावित संकेत हो सकता है कि मीटर को बिना किसी आधिकारिक लैब टेस्ट के सीधे लगाया गया है. आमतौर पर सभी मीटरों को प्रयोगशाला में उनके सही संचालन और सटीकता के लिए परखा जाता है और उसके बाद ही उन्हें उपभोक्ताओं के परिसरों में स्थापित किया जाता है. यदि मीटर टेस्टेड नहीं है, तो उसकी रीडिंग में गड़बड़ी या बिल में असामान्यता की संभावना बढ़ जाती है.

कैसे कर सकते हैं शिकायत और जांच की मांग?
यदि किसी उपभोक्ता को अपने स्मार्ट मीटर की रीडिंग शून्य दिखती है या उसे मीटर के टेस्टेड न होने का संदेह है, तो वह इसकी जांच की मांग कर सकता है. इलेक्ट्रिसिटी एक्ट और सप्लाई कोड उपभोक्ताओं को यह अधिकार देते हैं कि वे लगाए गए मीटर की सटीकता और प्रामाणिकता पर सवाल उठा सकें. इसकी प्रक्रिया इस प्रकार है:

बिजली कंपनी में शिकायत दर्ज करें- सबसे पहले उपभोक्ता को अपनी स्थानीय बिजली वितरण कंपनी के ग्राहक सेवा केंद्र या शिकायत प्रकोष्ठ में लिखित शिकायत दर्ज करनी चाहिए. शिकायत में मीटर नंबर, स्थापना की तारीख (यदि पता हो) और मीटर की 00 रीडिंग जैसी विशिष्ट जानकारी का उल्लेख जरूर करें. आप उन्हें यह भी बताएं कि आपको संदेह है कि मीटर टेस्टेड नहीं है.

शिकायत की रसीद लें- अपनी शिकायत दर्ज करते समय, शिकायत नंबर या लिखित शिकायत की एक प्रति पर मोहर लगवाकर रसीद लेना न भूलें. यह भविष्य में संदर्भ के लिए महत्वपूर्ण है.

जांच का अनुरोध- अपनी शिकायत में स्पष्ट रूप से अनुरोध करें कि आपके मीटर को आधिकारिक लैब में जांचा जाए. बिजली कंपनी की यह जिम्मेदारी है कि वह आपके मीटर की सटीकता की जांच करवाए.

राज्य विद्युत नियामक आयोग से संपर्क- यदि बिजली कंपनी आपकी शिकायत पर उचित कार्रवाई नहीं करती या आपको संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं मिलती, तो आप संबंधित राज्य विद्युत नियामक आयोग में शिकायत दर्ज करा सकते हैं. ये आयोग उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा और बिजली कंपनियों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए बनाए गए हैं. आप आयोग की वेबसाइट पर जाकर या उनके कार्यालय में संपर्क करके शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया के बारे में जान सकते हैं.

उपभोक्ता फोरम की सहायता- अंततः यदि सभी प्रयास विफल हो जाते हैं, तो वे उपभोक्ता संरक्षण फोरम में भी अपनी शिकायत ले जा सकते हैं. यह फोरम उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए काम करता है और उनकी शिकायतों पर सुनवाई करता है.

बिजली कंपनी और नियामक निकायों की जिम्मेदारी
स्मार्ट मीटर का उद्देश्य बिलिंग प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाना है लेकिन यह सुनिश्चित करना बिजली कंपनी और नियामक निकायों की जिम्मेदारी है कि ये मीटर सही तरीके से स्थापित और टेस्टेड हों. उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए और किसी भी विसंगति की स्थिति में उचित कार्रवाई करनी चाहिए. खंडवा निवासी लव जोशी लोकल 18 को बताते हैं कि उनके यहां स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिल दोगुना आ रहा है. इसकी शिकायत भी की लेकिन कोई निराकरण नहीं हो रहा है.



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