अष्टभुजाधारी मां सिंहवाहिनी हैं विराजमान: रानी दुर्गावती ने बनवाया था टिकीटोरिया का देवी मंदिर, अब बुुंदेलखंड का पहला रोप-वे हो रहा तैयार – Sagar News

अष्टभुजाधारी मां सिंहवाहिनी हैं विराजमान:  रानी दुर्गावती ने बनवाया था टिकीटोरिया का देवी मंदिर, अब बुुंदेलखंड का पहला रोप-वे हो रहा तैयार – Sagar News



हर शुक्रवार एक पंचायत या गांव की कहानी, आज पढ़िए तिखी पंचायत के बारे में

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सागर से जबलपुर रोड वाया रहली जाते हुए ऊंचे पर्वत पर देवी मंदिर है। तिखी ग्राम पंचायत में स्थित इस टिकीटोरिया के देवी मंदिर में वैसे ताे रोज ही श्रद्धालुओं की भीड़ बनी रहती है, सुबह से शाम तक लाेग आते-जाते रहते हैं। दिन में किसी भी समय जाएं मंदिर की सीढ़ियों पर चढ़ते हुए श्रद्धुालुओं की कतार नजर आ जाएगी। यहां कुल 365 सीढ़ियां हैं। बीच-बीच में सीधा चढ़ाव भी है। इनको चढ़ने में लाेगाें की सांस भी फूलने लगती हैं। अगले कुछ महीनों में यहां सीढ़ियां बगैर चढ़े ही देवी दर्शन का माैका मिलने लगेगा। यहां रोप-वे तैयार हाे जाएगा।

बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धाुलु बगैर सीढ़ी चढ़े सीधे रोप-वे से जाकर देवी दर्शन कर सकेंगे। इस पंचायत काे ऊंचे पहाड़ पर स्थापित देवी मंदिर के चलते बुंदेलखंड का पहला रोप वे मिला है। 17.28 करोड़ रुपए की लागत से यह बनाया जा रहा है। इसका भूमिपूजन भी हाे गया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय की सहायता से बनाया जा रहे इस रोप में तकनीक का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है। नवरात्र के पर्व पर माता मंदिर में हजारों भक्त रोजाना पहुंचते हैं। इसके बन जाने से उन्हें आवाजाही में आसानी हाेगी।

धार्मिक पर्यटन का बड़ा केंद्र : टिकीटोरिया धार्मिक पर्यटन का बड़ा केंद्र रहा है। यहां सालभर देवी के भक्त आते-जाते रहते हैं। देवी भक्तों के अलावा वीरांगना दुर्गावती राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले पर्यटक भी मंदिर देखकर बगैर दर्शन किए नहीं लाैटते। मंदिर व उद्यान के बीच करीब 10 किलाेमीटर की दूरी है। उद्यान में पर्यटन बढ़ने व मंदिर में रोप-वे बन जाने पर यह पर्यटन का बड़ा केंद्र बन जाएगा।

पंचायत का लेखा-जोखा

जनसंख्या : 2235 साक्षरता दर : 75% जिला मुख्यालय से दूरी : 55 किमी कनेक्टिविटी : सागर-जबलपुर मार्ग पहचान : टिकीटोरिया मंदिर आय का स्रोत : कृषि

500 साल पहले हुआ था मंदिर का निर्माण

पहाड़ी पर मां सिंहवाहिनी का मंदिर रानी दुर्गावती ने बनवाया था। प्राकृतिक सौंदर्य के बीच करीब 500 साल पहले इसका निर्माण हुआ था। मंदिर में अष्टभुजाधारी मां सिंहवाहिनी की नयनाभिराम प्रतिमा स्थापित है। नवरात्र में यहां मेला लगता है और दूर-दूर से भक्त दर्शनों के लिए आते हैं। मंदिर में नीचे गुफा है।



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