कार्याशाला में शामिल हुए दो राज्यों के विभागीय अधिकारी।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जंगली हाथियों के प्रबंधन को लेकर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के वन विभाग के अधिकारियों के साथ राजस्व, रेलवे, विद्युत विभाग के अधिकारी शामिल हुए।
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मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक शुभरंजन सेन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। वाइल्डलाइफ कॉरिडोर समूह के संयुक्त देखरेख में ताला में कार्यशाला का उद्घाटन हुआ।
विभाग के सामने नई चुनौतियां
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व अब बाघों के साथ-साथ हाथियों का भी ठिकाना बन गया है। हाथियों की उपस्थिति से वन विभाग के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। जंगली हाथी अक्सर गांवों में घुसकर फसलों और घरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
कार्याशाला में
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य वन्यजीव गलियारों का बेहतर प्रबंधन और संरक्षण था। इसमें बाघ आरक्षित क्षेत्रों में मौजूदा गलियारा प्रबंधन रणनीति की समीक्षा की गई। कई विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने पर जोर दिया गया।
वन्यजीव विशेषज्ञों ने बांधवगढ़, संजय और गुरु घासी दास टाइगर रिजर्व के गलियारों को भविष्य की जरूरतों के हिसाब से विकसित करने की योजना बनाई। कार्यशाला में तैयार की गई रणनीति से वन्यजीव प्रबंधन में सुधार की उम्मीद है।
बांधवगढ़ में पहली कार्यशाला
प्रधान मुख्य वन संरक्षक शुभ रंजन सेन बताया कि दो राज्यों के राजस्व, विद्युत विभाग और रेलवे सहित सड़क विभाग के अधिकारियों के साथ कार्यशाला में चर्चा की गई है। कॉरिडोर को लेकर अधिकारियों के बीच में बात की गई है। कॉरिडोर में विद्युत लाइन सड़क में संकट वाले बोर्ड सहित रेलवे के अधिकारियों से सुझाव लिए गए हैं।
भविष्य में अच्छी राजनीति तैयार हो सके। इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा। यह बांधवगढ़ में पहली कार्यशाला हुई है। कार्यक्रम में डॉ. अनुपम सहाय, क्षेत्र संचालक, बाघवगढ़ टाइगर रिजर्व, उमरिया, प्रकाश वर्मा उप-संचालक बाघवगढ़ टाइगर रिजर्व उमरिया की उपस्थिति में कार्यक्रम का आयोजित किया गया।