हरदा में हुए बवाल का असर शुक्रवार को खंडवा में देखने को मिला हैं। यहां करणी सेना के समर्थन में राजपूत समाज सहित कुनबी पटेल समाज, सर्व ब्राह्मण समाज, गुर्जर समाज तथा कांग्रेस ने भी प्रदर्शन किया। सैकड़ों की संख्या में लोग स्टेडियम पर एकजुट हुए। वहां स
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समाजजन ने कहा कि, हरदा जिले में पुलिस ने बर्बर तरीके से कार्रवाई करते हुए सैकड़ों लोगों पर लाठीचार्ज किया। उन्हें पीटा गया और आंसू गैस के गोले छोड़ने के साथ उन पर पानी की बौछारें डाली गई। हरदा पुलिस और प्रशासन ने बेगुनाह लोगों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किए गए। उन्हें जेल में डाला गया। जबकि करणी सेना का पूरा आंदोलन संविधान सम्मत और पूर्णतः शांतिपूर्ण था। जिसे दमन के माध्यम से कुचलने का प्रयास लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला हैं।
तोमर ने कहा-पुलिस ने तोड़फोड़ की
कांग्रेस नेता नारायणसिंह तोमर ने कहा, बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली भाजपा सरकार ने छात्रावास के भीतर पुलिस को भेजकर वहां मौजूद छात्र बेटियों को बलपूर्वक बाहर निकाला। समाज की धर्मशाला में पुलिस ने घुसकर तोड़फोड़ भी की। आखिर ऐसी कार्रवाई करने के लिए किसने अनुमति दी।
उत्तमपालसिंह ने कहा- हरदा की घटना को लेकर हर समाज ने निंदा की। लेकिन जब हरदा के एसपी ने सोशल मीडिया पर लाइव आकर सफाई दी, उस दौरान एक नेता पुत्र ने राजनारायणसिंह के बारे में कमेंट किया। वे लोग इस घटना में इनवाल्व हैं। जब ये लोग चुनाव लड़ेंगे तब उन्हें हराना हैं। उन्हें समाज का एक वोट नहीं मिलना चाहिए। प्रशासन के पक्ष में खड़े रहे।
सुनिल आर्या ने कहा, हरदा की घटना ने अंग्रेजी हुकूमत के दौरान हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड की याद दिलाई हैं। सरकार कहती हैं कि, अच्छे दिन आएंगे, क्या अच्छे दिन ऐसे ही आएंगे। जो पुलिस के पास न्याय मांगने के लिए जा रहे हैं, उन पर लाठियां बरसाई जा रही हैं। क्या इस तरह अच्छे दिन आ जाएंगे।
नेता प्रतिपक्ष मुल्लू राठौर ने कहा- देश के संविधान में कहा लिखा है कि जनता न्याय और अपनी मांग के लिए आंदोलन नहीं कर सकती हैं। बीजेपी सरकार यह भूल चुकी है कि उनके राज में अन्याय हो रहा हैं।
मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन में यह रखी मांगें…
- पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच कराई जाए।
- जांच पूर्ण होने तक हरदा के पुलिस अधीक्षक, कलेक्टर व संबंधित थाना प्रभारी को प्रशासनिक दायित्वों से हटाया जाए।
- जीवनसिंह शेरपुर पर हमला करने वाले पुलिसकर्मियों पर हत्या का प्रयास के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए।
- छात्रावास में छात्राओं व आम नागरिकों के साथ की गई बर्बरता, गाड़ियों को नुकसान व शांतिपूर्ण आंदोलन पर हमला करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
- संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (बी.) के तहत प्रदत्त शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार की रक्षा की जाए।
- हरदा प्रकरण में जिन निर्दोष व्यक्तियों पर झूठे प्रकरण दर्ज किए गए हैं, उन्हें अविलम्ब वापस लिया जाए। सुनील राजपूत व उनके साथ जिन साथियों को अभी तक पुलिस हिरासत में रखा गया है, उन्हें तत्काल प्रभाव से रिहा किया जाए।
- जिस प्रकार पुलिस ने हरदा के राजपूत छात्रावास में मारपीट की, वह अत्यंत निंदनीय है। भविष्य में देशभर के किसी भी छात्रावास या शैक्षणिक संस्थान में ऐसी कार्रवाई की पुनरावृत्ति न हो, यह सुनिश्ति किया जाए।
- पूरे घटनाक्रम पर संज्ञान लेते हुए उचित व निष्पक्ष कार्रवाई के लिए संबंधित निर्देश जारी करें। ताकि जनता का लोकतंत्र और संविधान में विश्वास बना रहे।