गांव वालों ने पुजारी बहिष्कार को गलत माना, पलटा फैसला: मंदिर सरकारी जमीन पर शिफ्ट करना चाहते हैं लोग, पुजारी बोले- यहीं रहेगा – Madhya Pradesh News

गांव वालों ने पुजारी बहिष्कार को गलत माना, पलटा फैसला:  मंदिर सरकारी जमीन पर शिफ्ट करना चाहते हैं लोग, पुजारी बोले- यहीं रहेगा – Madhya Pradesh News


उज्जैन के पीरझलार गांव से एक पुजारी परिवार का गांव के लोगों ने बहिष्कार कर दिया। इस बात की घोषणा करते हुए एक युवक का वीडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है।

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आखिर पुजारी परिवार का गांव वालों ने क्यों बहिष्कार कर दिया, अभी परिवार की क्या स्थिति है और गांव वाले इस पूरे मामले को लेकर क्या सोचते हैं यह जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची।

उज्जैन जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर हम बड़नगर तहसील में आने वाले गांव पीरझलार पहुंचे। आम गांव से अलग इस गांव में बड़े-बड़े और ऊंचे मकान हैं। ज्यादातर मकान पक्की ईंट और सीमेंट से बने हुए हैं। जिसे देखकर साफ अंदाजा लग जाता है कि आर्थिक रूप से ये एक समृद्ध गांव है। गांव में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर कई मंदिर दिखाई दिए। गांव की आबादी लगभग 5000 है। इसमें ज्यादातर राजपूत और माली समाज के लोग रहते हैं। इसके अलावा गांव में अन्य समाज के कुछ लोग भी रहते हैं।

गांव के लोगों ने पंचायत बुलाकर पुजारी का बहिष्कार कर दिया था।

सबसे पहले गांव वालों की बात…

सोशल मीडिया पर बढ़ा-चढ़ाकर बताया मामला गांव में स्कूल के पास एक चाय की दुकान पर कुछ लोग बैठे नजर आए। पूछने पर बोले कि गांव में ऐसा कोई भारी विवाद नहीं है। मंदिर को लेकर एक छोटी सी बातचीत हुई और उसके बाद बात का बतंगड़ बन गया। सोशल मीडिया पर देखा तब हमें पता चला कि यह तो हमारे गांव का मामला है और इसे बहुत बढ़ा- चढ़ा कर बताया जा रहा है।

उन्होंने ही उस मंदिर का पता बताया जिसे लेकर विवाद हुआ। गांव की मुख्य सड़क से थोड़ा अंदर जाने पर एक घर के पीछे की तरफ सीमेंट से बना तेजाजी महाराज का मंदिर दिखा। पीछे की तरफ खाली जमीन और मलबा पड़ा था। वहीं एक दूसरी दीवार से लगा हुआ एक लंबा चबूतरा बना है जो बारिश और पानी से बचाने के लिए प्लास्टिक से ढंका था। यहीं पर देवनारायण भगवान की प्रतिमा के साथ अन्य प्रतिमाएं भी हैं। वास्तव में यही देवनारायण भगवान का मंदिर है।

यहां बन रहा है नया मंदिर।

यहां बन रहा है नया मंदिर।

यहां जमीन सीमित इसलिए चौराहे पर चाहते हैं नया मंदिर इस मंदिर के ठीक सामने गंगाराम चौधरी का घर है। उन्होंने बताया कि यही हमारा पुराना मंदिर था, यह सैकड़ों साल पुराना है। कच्चे ईटों से बना हुआ था और टीन शेड लगा था। इसकी हालत बहुत खराब हो गई थी यह हमारे चौधरी समाज के पूज्य देवता हैं। हम लोगों ने तय किया कि मंदिर का फिर से बढ़िया निर्माण होना चाहिए। हमने अपने समाज में कुछ पैसा भी इकट्ठा किया। अन्य समाज के लोग भी जुड़ गए और सभी ने मंदिर निर्माण के लिए चंदा दिया।

यह मंदिर गांव के अंदर है। यहां सीमित जमीन है और सीधा-सीधा रास्ता भी नहीं है। ऐसे में सभी गांव वालों ने मिलकर यह तय किया कि गांव के मुख्य चौराहे पर जो इस मंदिर से सिर्फ 50-60 मीटर दूर है वहां खाली पड़ी सरकारी जमीन पर मंदिर का निर्माण करवाना चाहिए और यह मूर्ति वहीं स्थापित करनी चाहिए।

फिलहाल ओटले पर रखी है भगवान की प्रतिमा।

फिलहाल ओटले पर रखी है भगवान की प्रतिमा।

पुजारी ने पहले चंदा दिया, फिर कोर्ट में केस किया गांव के रहने वाले राजेश विश्वकर्मा बताते हैं कि मंदिर के जीर्णोद्धार और उसकी जगह की शिफ्टिंग को लेकर 2022 में गांव वालों के बीच बातचीत हुई। पूरे गांव ने मिलकर 2023 में नए मंदिर निर्माण का भूमिपूजन शुरू किया। इसमें मंदिर के पुजारी पूनमचंद चौधरी भी शामिल थे। उन्होंने भी एक लाख रुपए भी दिए थे। मंदिर का निर्माण होने लगा, लेकिन पता नहीं पिछले कुछ महीनों में उन्हें क्या हुआ उन्होंने इसके खिलाफ कोर्ट में एक मुकदमा दायर कर दिया।

गांव के ही रहने वाले गोकुल सिंह चौहान बताते हैं कि 10-12 दिन पहले पुजारी पूनमचंद ने पुराने मंदिर की दीवार तोड़ दी और सेट निकाल दिया। इसके बाद 12 जुलाई को गांव के कुछ लोग पुजारी जी से मिलने गए और उन्हें समझाने गए। पुजारी गालियां देने लगे।

गांव वालों ने पंचायत बुलाकर बहिष्कार किया गोकुल सिंह ने बताया कि 14 जुलाई को गांव के लोगों ने मिलकर एक सामान्य बैठक बुलाई। मंदिर के विषय और पंडित जी के व्यवहार को लेकर गांव में बात करनी थी। इसके लिए पंचायत के चौकीदार के जरिए पुजारी पूनमचंद को भी मीटिंग में शामिल होने के लिए बुलाया गया, लेकिन उन्होंने मीटिंग में आने से साफ मना कर दिया और इसका फैसला अदालत से करने की धमकी दी।

सभी गांव वाले उनके व्यवहार से बहुत गुस्से में थे। मिलकर यह फैसला किया कि गांव का कोई भी व्यक्ति उनसे किसी भी प्रकार का मतलब नहीं रखेगा, ना ही अपने विवाह आयोजन और कामों में शामिल करेगा। सभी गांव वाले उनका बहिष्कार करेंगे।

सोशल मीडिया पर वीडियो देख हुआ गलती का आभास इसी गांव के रहने वाले मेहरबान चौधरी बताते हैं कि जब सोशल मीडिया पर हम लोगों ने हमारी उस सभा का वीडियो देखा तो हमें लगा कि नहीं हमसे गलती हो गई है। हमारी ऐसी मंशा नहीं थी। हम तो बस पुजारी जी को सबक सिखाने के लिए यह कर रहे थे, लेकिन हमें जल्दी समझ में आ गया कि किसी भी लोकतांत्रिक देश में इस तरीके की चीज ठीक नहीं है।

कल हमारे गांव से 40 50 लोग टीआई से मिले और उनके सामने हमने लिखा और मौखिक रूप से पुजारी जी के बहिष्कार वाले फैसले को तुरंत ही रद्द कर दिया।

पुलिस के सामने गांव वालों ने ये राजीनामा लिखकर स्पष्ट किया कि उन्होंने पुजारी के बहिष्कार का अपना फरमान वापस ले लिया है।

पुलिस के सामने गांव वालों ने ये राजीनामा लिखकर स्पष्ट किया कि उन्होंने पुजारी के बहिष्कार का अपना फरमान वापस ले लिया है।

गांव में ऐसा कोई बड़ा विवाद नहीं है शिवलाल चौधरी कहते हैं कि यह कोई इतना बड़ा विवाद नहीं था। गांव की बहुत सामान्य घटना थी हमारे गांव में सभी समाज के लोग न जाने कब से मिलकर साथ रहते हैं। हमारे गांव में कई मंदिर हैं और कई पुजारी हैं, लेकिन कभी भी कोई विवाद नहीं हुआ। इस बार भी कोई बड़ी बात नहीं थी।

नए मंदिर के निर्माण को दिखाते हुए वह कहते हैं कि देखिए गांव वालों ने लगभग 20 लाख रुपए खर्च करके यह पूरा मंदिर निर्माण कर दिया है। अब इसमें मुख्य रूप से गुंबद का ही काम बाकी है। मंदिर का 80% काम पूरा हो चुका है। ऐसे में अचानक से केवल एक व्यक्ति का मंदिर शिफ्ट करने का विरोध करना किसी भी गांव वाले को ठीक नहीं लग रहा।

पुजारी से कहा था आप ही नए मंदिर की देखभाल करेंगे शिवलाल चौधरी आगे बताते हैं कि 2023 में जब सर्वसम्मति से मंदिर दूसरी जगह बनाने की बात हुई थी तब देवनारायण भगवान मंदिर के बड़े पुजारी और देवास जिले के भलाई गांव के पुजारी को यहां लेकर आए। उनसे पर्ची लिखवाई। उन्होंने भी कहा कि दूसरी जगह मंदिर शिफ्ट किया जा सकता है। तब जाकर मंदिर बनने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। वर्तमान मंदिर के पुजारी जिनको हमने बार-बार कहा कि आप ही इस मंदिर के भी पुजारी रहेंगे। आपको ही इस मंदिर की भी देखभाल करनी है। वो हठ करके अलग ही बैठ गए। पहले सहमत भी थे, लेकिन बाद में जाने क्या हुआ।

अब हर जगह मीडिया में जाकर ऊल जलूल बात भी कर रहे हैं। कभी इसको जातिवादी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं, तो कभी इसे किसी और दिशा में ले जाते हैं।

गांव वालों ने नए मंदिर के निर्माण के लिए सामान खरीदकर रखा है।

गांव वालों ने नए मंदिर के निर्माण के लिए सामान खरीदकर रखा है।

अब पुजारी का पक्ष भी जानिए…

हम नहीं चाहते कि मंदिर का स्थान बदले मंदिर के पुजारी पूनमचंद चौधरी कहते हैं कि कई पीढ़ियों से हमारा परिवार इस मंदिर का पुजारी रहा है। मुख्य रूप से यह हमारे समाज का ही मंदिर है। हम इस मंदिर की जगह नहीं बदलना चाहते हैं। गांव के कुछ लोग जबरदस्ती इस मंदिर को दूसरी जगह ले जाना चाहते हैं। मैं ऐसा नहीं होने दूंगा। हम वहीं पर मंदिर बनाएंगे। पुराना मंदिर बहुत जर्जर हालत में था। उसकी दीवार गिर गई थी। इसके बाद गांव के कुछ लोग मेरे पास आए और मुझसे कहा कि नए मंदिर में ही यहां की मूर्ति स्थापित करनी है। मैंने उनसे कहा कि यहां की मूर्ति कहीं नहीं जाएगी। वो लोग मेरा विरोध करने लगे।

मंदिर सरकारी है। कलेक्टर की निगरानी में है। मंदिर की जो जमीन है वह भी कलेक्टर के ही अंतर्गत आती है। ऐसे में हम लोग कैसे फैसला ले सकते हैं कि मंदिर कहां जाएगा।

पुजारी के छोटे बेटे कमल चौधरी ने बताया कि इसी घटना के बाद गांव के लोगों ने पंचायत में मेरे परिवार के बहिष्कार का फरमान सुना दिया। हमारे बच्चे जिस स्कूल में पढ़ते हैं। उस स्कूल के टीचर ने भी हमें बुलाकर बोल दिया था कि अपने बच्चों को स्कूल मत भेजो।

प्रशासन की अब तक की कार्रवाई…

अब सामाजिक बहिष्कार जैसी स्थिति नहीं है एसडीओपी महेंद्र सिंह परमार कहते हैं कि पुजारी पूनमचंद ने शिकायत पेश की थी। मंदिर के जीर्णोद्धार के नाम पर पैसा ले रहे हैं। मंदिर का दूसरी जगह जीर्णोद्धार कर रहे हैं, जिस पर पूनमचंद की सहमति नहीं थी। इसके बाद पूनमचंद के सामाजिक बहिष्कार की सूचना प्राप्त हुई। हमने दोनों पक्षों को थाने पर बुलाया। दोनों पक्षों द्वारा समझौता पेश किया गया।

एसडीएम धीरेन्द्र पाराशर ने कहा कि स्पष्ट कर दिया गया है कि शासकीय मंदिर की मूर्ति अभी पुराने मंदिर में ही रहेगी। यदि भविष्य में कोई जीर्णोद्धार होना है तो निर्धारित अनुमति लेकर ही कार्य किया जाए।



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