Bhind News: त्रयोदशी पर किया गया भोज बना ‘अपराध’, पूरे गांव ने तोड़ दिया यादव परिवार से रिश्ता, जानिए पूरा मामला

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Yadav Pariwar ka Bahishkar: मध्यप्रदेश के भिंड में एक यादव परिवार का सामाजिक बहिष्कार सिर्फ इसलिए कर दिया गया क्योंकि उन्होंने त्रयोदशी भोज में ब्राह्मणों को आमंत्रित किया. जानिए कैसे एक पंचायत के फैसले ने विवा…और पढ़ें

समाज ने किया यादव परिवार का बहिष्कार

हाइलाइट्स

  • यादव परिवार का त्रयोदशी भोज विवाद में बदला.
  • पंचायत ने ब्राह्मणों को भोज में बुलाने पर बहिष्कार का फैसला किया.
  • कमल यादव का परिवार सामाजिक बहिष्कार झेल रहा है.

भिंड: जातीय तनाव और परंपरा बनाम आधुनिकता की बहस एक बार फिर सुर्खियों में है. भिंड ज़िले के मऊ कस्बे में रहने वाले कमल यादव और उनके परिवार को अपने ही समुदाय की नाराज़गी झेलनी पड़ी जब उन्होंने 16 जुलाई को अपनी दिवंगत मां की त्रयोदशी के अवसर पर 13 ब्राह्मणों को भोज के लिए आमंत्रित कर लिया.

दरअसल, यादव समाज की एक पंचायत ने कुछ दिन पहले यह निर्णय लिया था कि कोई भी परिवार धार्मिक आयोजनों में ब्राह्मणों को आमंत्रित नहीं करेगा, क्योंकि उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में हाल ही में एक कथावाचक यादव युवक के साथ हुई मारपीट और सार्वजनिक अपमान से समाज में आक्रोश फैल गया था.

इसी घटना के जवाब में भिंड में यादव समाज की पंचायत ने 13 जुलाई को यह फैसला सुनाया कि यदि कोई परिवार ब्राह्मणों को धार्मिक कार्यक्रमों में बुलाता है, तो उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा.

मुझे नहीं दी गई कोई जानकारी”

कमल यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मैंने अपनी मां की त्रयोदशी के लिए पहले से तैयारियां कर ली थीं. मुझे पंचायत के फैसले की जानकारी नहीं दी गई थी. हमारे घर में वर्षों से यही परंपरा रही है कि हम ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं.”

कमल के अनुसार, कुछ लोगों ने कार्यक्रम का बहिष्कार जरूर किया, लेकिन बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद रहे और सहयोग भी किया.

पंचायत का पक्ष

पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष और पंचायत सदस्य राजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा, “हमारे समाज के कथावाचकों के साथ बार-बार अपमानजनक घटनाएं हो रही हैं. इटावा की घटना ने हमें झकझोर दिया. इसलिए समाज ने एक स्वर में यह निर्णय लिया था. कमल यादव को इस बारे में जानकारी थी, इसके बावजूद उन्होंने फैसले की अनदेखी की.”

इटावा की घटना से शुरू हुआ तनाव

21 जून को उत्तर प्रदेश के इटावा में एक यादव कथावाचक को कथित तौर पर इसलिए अपमानित किया गया क्योंकि वे ब्राह्मण नहीं थे. उनके बाल और भौंहें मुंडवा दी गईं, और एक महिला के पांव में नाक रगड़ने के लिए मजबूर किया गया. इस घटना का वीडियो वायरल हुआ, जिसके बाद पूरे यादव समुदाय में रोष फैल गया.

बहस का मुद्दा, परंपरा बनाम सामाजिक चेतना

इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं क्या परंपराएं इतनी कठोर हो सकती हैं कि वे सामाजिक रिश्तों को तोड़ दें? क्या किसी व्यक्ति को अपने धार्मिक विश्वासों को निभाने की स्वतंत्रता नहीं होनी चाहिए?

फिलहाल, कमल यादव का परिवार सामाजिक बहिष्कार झेल रहा है, लेकिन कई स्थानीय लोग उनके समर्थन में भी सामने आए हैं. इस घटनाक्रम ने सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि पूरे समाज में आत्ममंथन की ज़रूरत को सामने ला दिया है.

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त्रयोदशी पर किया भोज बना ‘अपराध’, पूरे गांव ने तोड़ दिया यादव परिवार से रिश्ता



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