कमीशन का खुला खेल…: बिना पद, बिना वेतन के प्रभारी और बाबुओं की सेवा में लगे बाहरी लोग – Gwalior News

कमीशन का खुला खेल…:  बिना पद, बिना वेतन के प्रभारी और बाबुओं की सेवा में लगे बाहरी लोग – Gwalior News



सिरोल पहाड़ी पर स्थिति आरटीओ कार्यालय का रूम नंबर 17। यहां वाहन ट्रांसफर कराने के संबंध में कुछ आवेदक पहुंचे। लेकिन शासकीय कर्मी सजल पांडेय गायब थे, उनकी कुर्सी पर दलाल जीतू बैठा मिला। आवेदकों ने जब सजल के बारे में पूछा तो जीूत बोला- आपको स्कॉर्पियो व

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दस्तावेज लाना होंगे। आवेदक ने कहा वाहन संस्था के नाम पर है टैक्स में अंतर तो नहीं आएगा। इस पर जीतू ने कहा जो दस्तावेज लगेंगे वह दे देंगे तो कोई अंतर नहीं आएगा। इस दौरान वाहन बिक्रेता और खरीदार दोनों कार्यालय में मौजूद रहे।

यह तो बस एक उदाहरण है। आरटीओ कार्यालय में बाबू और एजेंटो के गठजोड़ का राज है। यहां बस, ऑटो, टेंपो से लेकर अन्य वाहनों के परमिट चाहिए या फिर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना हो तो एजेंट से ही संपर्क करना होगा, क्योंकि नियमित कर्मचारी अपने सीट से गायब रहते हैं।

यह खुलासा तब हुआ जब दैनिक भास्कर रिपोर्टर अलग-अलग शाखाओं के काम करवाने पहुंचे तो उनसे एजेंट बोले-आप कागज लाइए हम करवा देंगे। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह स्मार्टचिप कंपनी को काम बंद किए हुए 8 माह हो चुके हैं लेकिन उसके कर्मचारी आज भी यहां बिना पद, बिना वेतन के काम कर रहे हैं। ऐसे कर्मचारियों से भास्कर रिपोर्टर ने सवाल किया तो वे बोले- हम तो यहां टाइम पास करने के लिए आते हैं।

दैनिक भास्कर के स्टिंग से जानिए आरटीओ की किस शाखा में किस एजेंट का कब्जा

टैक्स शाखा: स्मार्टचिप कंपनी बंद, उसका कर्मचारी देख रहा बसों के टैक्स का काम

आरटीओ कार्यालय की पहली मंजिल पर बने परमिट शाखा के बगल के कमरे में भरत यादव नामक एजेंट कंप्यूटर पर बसों के टैक्स का काम देखता मिला। उसके साथ नियमित कर्मचारी जगदीश राजौरिया भी बैठे थे। भरत स्मार्टचिप कंपनी में काम करता था जो 30 सितंबर को काम बंद कर चुकी है। वहीं बताता है कि किस बस पर कितना टैक्स बकाया है। क्योंकि आरटीओ के नियमित कर्मचारियों को कंप्यूटर पर काम करना ही नहीं आता। इससे नियमित कर्मचारी पूरी तरह से उसी के भरोसे हैं।

परमिट शाखा: एजेंट बोला- पार्टी लेकर आओ, ऑटो का ट्रांसफर करवा दूंगा टेंपो के परमिट शाखा के प्रभारी सुरेंद्र माहौर हैं। लेकिन सोमवार को दोपहर 1:25 बजे जब दैनिक भास्कर के रिपोर्टर यहां पहुंचे तो वे गायब थे। यहां रॉबिन नाम का एजेंट बैठा था। उससे पूछा तो उसने कहा- यह काम वही देखता है। आपको ऑटो ट्रांसफर करवाना है तो पार्टी को ले आइए। एजेंट से जब कहा कि यह काम तो सुरेंद्र देखते हैं तो उसने कहा- वह काम करवा देगा आप तो जरूरी कागज के साथ ट्रांसफर करवाने वाले व्यक्ति को ले आइए।

डीएल शाखा: कैसे बने परमानेंट लाइसेंस, इसके नियम भी एजेंट ही बताते हैं

ड्राइविंग लाइसेंस शाखा में बने केबिन में एजेंट (बाहरी व्यक्ति) हेमराज का कब्जा है। वह यहां के सहायक प्रभारी जितेंद्र गुर्जर की कुर्सी पर बैठते हैं। लर्निंग लाइसेंस बनवाने के बाद परमानेंट लाइसेंस कैसे बनेगा? इसकी सलाह हेमराज व उनके सहयोगी ही देते हैं। दैनिक भास्कर रिपोर्टर जब लाइसेंस शाखा पहुंचे तो उनके कक्ष में मौजूद लोगों को परमानेंट लाइसेंस बनवाने के बारे में जानकारी देते हुए नजर आए। जबकि यह काम नियमित कर्मचारी का है।

शाखा प्रभारियों से जवाब मांगा जाएगा

मैंने शाखा प्रभारियों का निर्देश दिए हैं कि किसी भी कार्यालय में प्राइवेट आदमी नहीं बैठेगा। यदि वे प्राइवेट लोगों से काम करवा रहे हैं तो नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा जाएगा। साथ ही कार्रवाई भी होगी। -विक्रमजीत सिंह कंग, आरटीओ



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