कैसे किया जाता है टीम में वर्क लोड मैनेजमेंट, क्या BCCI करता है ये फैसला?

कैसे किया जाता है टीम में वर्क लोड मैनेजमेंट, क्या BCCI करता है ये फैसला?


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Workload Management: खिलाड़ियों को चोटों से बचाने और अच्छे प्रदर्शन के लिए तैयार करने के लिए वर्कलोड मैनेजमेंट बहुत जरूरी है. भारतीय क्रिकेट टीम में यह काम BCCI, NCA, सेलेक्शन कमेटी, कोच और कैप्टन मिलकर करते है…और पढ़ें

बुमराह के वर्कलोड को देखते हुए यह तय किया गया कि वह इंग्लैंड में केवल तीन टेस्ट खेलेंगे.

हाइलाइट्स

  • वर्कलोड मैनेजमेंट खिलाड़ियों को चोटों से बचाता है
  • बीसीसीआई, एनसीए, कोच और कप्तान मिलकर करते हैं
  • जसप्रीत बुमराह का वर्कलोड कम करना मुख्य मुद्दा है
Workload Management: लॉर्ड्स में 22 रन से मिली मामूली हार के बाद शुभमन गिल की भारतीय टीम 23 जुलाई से शुरू होने वाले मैनचेस्टर टेस्ट में वापसी करने के लिए उत्सुक होगी. भारतीय क्रिकेटप्रेमियों के लिए यह बड़ा सवाल है कि क्या जसप्रीत बुमराह इंग्लैंड के खिलाफ ओल्ड ट्रैफर्ड में होने वाले चौथे टेस्ट मैच में खेलेंगे. भारत सीरीज में 1-2 से पिछड़ रहा है. ऐसे में क्या टीम प्रबंधन अपने नंबर एक तेज गेंदबाज को टीम में शामिल करने के लिए उत्सुक है. क्योंकि इस टेस्ट मैच में काफी कुछ दांव पर लगा है. मैनचेस्टर में हार का मतलब है कि सीरीज से हाथ धोना. जबकि यहां बराबरी के बाद भारत के पास सीरीज जीतने का मौका होगा.

लेकिन जसप्रीत बुमराह के वर्कलोड को लेकर अक्सर चर्चा होती है. क्योंकि वह भारतीय गेंदबाजी आक्रमण का प्रमुख अंग हैं और चोटों से जूझते रहे हैं. इंग्लैंड दौरे पर उन्हें पांच में से केवल तीन टेस्ट खेलने की अनुमति देना उनके वर्कलोड मैनेजमेंट का एक उदाहरण है. हालांकि टीम इंडिया के असिस्टेंट कोच रयान टेन डोशेट ने हाल ही में मोहम्मद सिराज के वर्कलोड मैनेजमेंट के महत्व पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि वह लगातार लंबे स्पेल फेंकते हैं और टीम के लिए महत्वपूर्ण हैं.

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तेज गेंदबाजों के लिए जरूरी
भारतीय क्रिकेट टीम या दुनिया की किसी अन्य टीम में ‘वर्कलोड मैनेजमेंट’ का मतलब है खिलाड़ियों खासकर तेज गेंदबाजों पर पड़ने वाले शारीरिक और मानसिक दबाव को कंट्रोल करना. ये उन खिलाड़ियों के लिए और जरूरी हो जाता है जो तीनों फॉर्मेट में खेलते हैं. इसका मुख्य उद्देश्य खिलाड़ियों को चोटों से बचाना और उनकी फिटनेस बनाए रखना है. साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि वे महत्वपूर्ण टूर्नामेंटों के लिए पूरी तरह से तैयार और तरोताजा रहें.

जटिल है वर्कलोड मैनेजमेंट प्रक्रिया
भारतीय क्रिकेट टीम में वर्कलोड मैनेजमेंट एक जटिल प्रक्रिया है. इसके लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई), नेशनल क्रिकेट एकेडमी ( एनसीए) चयन समिति, कोच और टीम प्रबंधन सभी मिलकर काम करते हैं. इसका मुख्य लक्ष्य खिलाड़ियों को चोटों से बचाते हुए उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को सुनिश्चित करना और उन्हें भविष्य के लिए तैयार रखना है. यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें खिलाड़ियों की व्यक्तिगत जरूरतों और आगामी अंतरराष्ट्रीय शेड्यूल को ध्यान में रखा जाता है.

बीसीसीआई कैसे करता है इसका फैसला?
बीसीसीआई खिलाड़ियों के वर्कलोड मैनेजमेंट का फैसला कई पहलुओं को ध्यान में रखकर करता है.

एनसीए की भूमिका
NCA बेंगलुरु में स्थित है और यह खिलाड़ियों की फिटनेस, रिकवरी और वर्कलोड डेटा की निगरानी के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है. यह खिलाड़ियों के प्रदर्शन और फिटनेस मानकों का एक विस्तृत डेटाबेस तैयार करता है. जनवरी 2023 की समीक्षा बैठक के बाद बीसीसीआई ने घोषणा की कि NCA 20 खिलाड़ियों के एक पूल की फिटनेस और वर्कलोड की निगरानी करेगा. जिन्हें आगामी वनडे वर्ल्ड कप के लिए संभावित रूप से चुना जाएगा.

चयन समिति, कोच और कप्तान की भागीदारी
खिलाड़ी के वर्कलोड को मैनेज करने का निर्णय मुख्य कोच, कप्तान और राष्ट्रीय चयन समिति (जिसके प्रमुख मुख्य चयनकर्ता होते हैं) द्वारा सामूहिक रूप से लिया जाता है. उदाहरण के लिए हाल ही में जसप्रीत बुमराह के वर्कलोड को देखते हुए यह तय किया गया कि वह इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में से केवल तीन में ही खेलेंगे.

आईपीएल फ्रेंचाइजी के साथ कोऑर्डिनेशन
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) जैसे बड़े टूर्नामेंट के दौरान खिलाड़ियों पर काफी दबाव पड़ता है. बीसीसीआई और एनसीए आईपीएल फ्रेंचाइजी के साथ मिलकर काम करने की कोशिश करते हैं ताकि खिलाड़ियों के वर्कलोड को मैनेज किया जा सके हालांकि, इसमें चुनौतियां भी आती हैं. क्योंकि फ्रेंचाइजी अपने प्रमुख खिलाड़ियों को आराम देने के लिए हमेशा तैयार नहीं होतीं. बीसीसीआई फ्रेंचाइजी से खिलाड़ियों के डेटा को साझा करने का अनुरोध कर सकता है. लेकिन किसी खिलाड़ी को किसी विशेष मैच में आराम देने का निर्देश नहीं दे सकता.

फिटनेस प्रोटोकॉल
बीसीसीआई ने खिलाड़ियों के चयन के लिए यो-यो टेस्ट और डेक्सा स्कैन जैसे फिटनेस टेस्ट को अनिवार्य कर दिया है. यह सुनिश्चित करता है कि खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम में चयन के लिए आवश्यक फिटनेस मानकों को पूरा करते हैं. खिलाड़ियों को घरेलू क्रिकेट खेलना भी अनिवार्य किया गया है ताकि वे मैच फिट रहें और घरेलू प्रणाली से जुड़े रहें.

प्रदर्शन में निरंतरता: थके हुए खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं दे पाते. वर्कलोड मैनेजमेंट से खिलाड़ी शारीरिक और मानसिक रूप से तरोताजा रहते हैं, जिससे वे लगातार अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं. 

प्रमुख टूर्नामेंटों के लिए तैयारी: टी20 वर्ल्ड कप, वनडे वर्ल्ड कप, वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप जैसे बड़े टूर्नामेंटों से पहले खिलाड़ियों को तैयार रखने के लिए वर्कलोड मैनेजमेंट बहुत जरूरी है.

हर खिलाड़ी की जरूरत अलग
सभी खिलाड़ियों का वर्कलोड एक जैसा नहीं होता. तेज गेंदबाजों (जैसे जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज) को अधिक निगरानी की आवश्यकता होती है. क्योंकि वे अन्य खिलाड़ियों की तुलना में अधिक शारीरिक तनाव से गुजरते हैं. ऑलराउंडर और तीनों फॉर्मेट खेलने वाले खिलाड़ी भी इस दायरे में आते हैं. कभी-कभी खिलाड़ियों को सीरीज के बीच में या महत्वपूर्ण टूर्नामेंटों से पहले आराम दिया जाता है. भले ही वे फिट हों, ताकि उन्हें तरोताजा रखा जा सके.

मैनचेस्टर में होगा फैसला
बुमराह ने लीड्स में पहला टेस्ट खेला था और पहली पारी में पांच विकेट लिए थे. इसके बाद वर्कलोड मैनेजमेंट के तहत उन्हें एजबेस्टन में दूसरे टेस्ट के लिए आराम दिया गया था. लॉर्ड्स में तीसरे टेस्ट के लिए वापसी करते हुए बुमराह ने पहली पारी में एक बार फिर पांच विकेट लेकर प्रभावित किया. टेन डोएशेट ने कहा, “हम बुमराह के बारे में मैनचेस्टर में फैसला करेंगे. यह स्पष्ट है कि अब सीरीज दांव पर है, इसलिए हम उन्हें खिलाने के पक्ष में हैं. लेकिन हमें बड़ी तस्वीर देखनी होगी. हम कितने दिनों की क्रिकेट की उम्मीद करते हैं, मैनचेस्टर में जीतने की हमारी सबसे अच्छी संभावना क्या है. और यह सब उसके बाद होने वाले ओवल टेस्ट के साथ कैसे मेल खाता है.” बुमराह इस सीरीज में दूसरे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं. उन्होंने चार पारियों में 28.09 की औसत से 12 विकेट लिए हैं. सिराज इस सीरीज में सबसे ज्यादा 13 विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं. जिसमें बर्मिंघम टेस्ट की पहली पारी में लिए गए छह विकेट भी शामिल हैं.

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