चमत्कार या चुनौती? सिर्फ नर्मदा का जल पीकर जिंदा है ये गुरू, कर चुके 4 लाख km पैदल यात्रा

चमत्कार या चुनौती? सिर्फ नर्मदा का जल पीकर जिंदा है ये गुरू, कर चुके 4 लाख km पैदल यात्रा


अनुज गौतम/सागर: संत समर्थ दादा गुरु महाराज पिछले 4 साल 9 महीने से निराहार हैं. उन्होंने इस दौरान अन्न का एक भी दाना नहीं खाया और केवल 1 लीटर नर्मदा जल पर जीवित हैं. यह सुनकर कोई भी चौंक जाए, लेकिन यह बात संत स्वयं अपने प्रवचनों में साझा करते हैं. दादा गुरुसिर्फ निराहार हैं बल्कि उन्होंने इस अवधि में अब तक चार लाख किलोमीटर की पैदल यात्रा भी पूरी की है. सर्दी, गर्मी या बारिश किसी भी मौसम में उनका चलना कभी बंद नहीं हुआ.

बिना पानी के देते हैं घंटों प्रवचन

समर्थ दादा गुरु घंटों तक बिना एक बूंद पानी पिए प्रवचन देते हैं और उनकी वाणी में गजब की ऊर्जा देखने को मिलती है. वे नर्मदा नदी के तटों पर ध्यान और साधना में समय बिताते हैं. वह अब तक दो बार नर्मदा परिक्रमा भी कर चुके हैं. उनकी यह जीवनशैली और ऊर्जा आधुनिक विज्ञान के लिए एक रहस्य और चुनौती बनी हुई है. यही कारण है कि मध्यप्रदेश सरकार ने उन पर शोध की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

नर्मदा संरक्षण के लिए लिया है यह अनोखा व्रत

समर्थ दादा गुरु का यह तप नर्मदा नदी के संरक्षण और संवर्धन के लिए है. उनका मानना है कि मां नर्मदा केवल नदी नहीं, जीवनदायिनी भगवती हैं, जिनका अस्तित्व बचाना हम सबका कर्तव्य है.

खुरई में 61,700 पौधे लगाकर बनाया गया रिकॉर्ड

शुक्रवार को संत समर्थ दादा गुरु सागर जिले की खुरई विधानसभा पहुंचे, जहां 61,700 पौधों का वृक्षारोपण किया गया. इस आयोजन को पूर्व गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह के नेतृत्व में ऐतिहासिक स्तर पर संपन्न किया गया.

इस कार्यक्रम में संत ने इसे सहस्रकोटि यज्ञ की संज्ञा दी और कहा कि श्रावण मास शिव की उपासना का महीना है, और वृक्ष लगाना इसी आराधना का सजीव रूप है.

वृक्षों को बताया धर्म और जीवन का आधार

कार्यक्रम में उपस्थित छात्रों को संबोधित करते हुए दादा गुरु ने कहा,

“वृक्षों में जीवन की शक्ति है. वे माटी, जल और वायु इन तीनों का समाधान हैं.”

उन्होंने यह भी कहा कि “वृक्ष को पानी देना पितरों को जल अर्पित करने के समान है.”

दादा गुरु ने भारतीय नदियों को जीवनदायिनी बताते हुए कहा कि गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी और कावेरी मात्र नदियां नहीं, हमारी माताएं हैं, और इनका संरक्षण हमारी संस्कृति और धर्म का अनिवार्य हिस्सा है.

विज्ञान को भी हैरान कर रहा है संत का जीवन

दादा गुरु का यह जीवन तप और साधना का अद्भुत उदाहरण है. उनके शरीर की ऊर्जा, उनकी वाणी की शक्ति और बिना अन्न-जल के उनका निरंतर चलना, कई लोगों के लिए आस्था का विषय है तो विज्ञान के लिए शोध का.



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