ये क्या! मधुमक्खी के छत्ते की कचरा सामग्री से बना रहे सोना, इस देसी जुगाड़ से भर रहे तिजोरी

ये क्या! मधुमक्खी के छत्ते की कचरा सामग्री से बना रहे सोना, इस देसी जुगाड़ से भर रहे तिजोरी


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Beewax Business Tips: बुरहानपुर में मधुमक्खी के छत्ते से निकले वेस्ट से देसी जुगाड़ के जरिए मोम बनाया जा रहा है. जानिए कैसे ये स्थानीय लोग इस तकनीक से 500 रुपये प्रति किलो तक कमा रहे हैं.

हाइलाइट्स

  • मोम 400 से 500 रुपए प्रति किलो तक बिक जाता है.
  • इससे लिपस्टिक, चेहरे पर लगाने वाली क्रीम भी बनाई जाती है.
  • मशीनों की स्क्रीन के लिए भी प्रोडक्ट बनते हैं.

मोहन ढाकले / बुरहानपुर: मधुमक्खी के छत्ते से निकलने वाले बेकार समझे जाने वाले हिस्से से भी कमाई हो सकती है, ये बुरहानपुर के कुछ मेहनती लोगों ने साबित कर दिखाया है. यहां लोग वेस्ट मटेरियल से मोम बनाकर हर महीने हजारों रुपए कमा रहे हैं और वो भी सिर्फ देसी जुगाड़ से.

बुरहानपुर के सुभाष स्कूल के पास रहने वाले किशोर करोड़ी बताते हैं कि जब वो जंगलों से मधुमक्खी के छत्ते निकालते हैं, तो उसमें से जो वेस्टेज निकलता है, उसे फेंकने की बजाय मोम बनाने में इस्तेमाल करते हैं. वो बताते हैं, “हम उस वेस्ट को गर्म पानी में उबालते हैं, फिर दो लकड़ियों और एक मोटे कपड़े की मदद से उसे छानते हैं. नीचे गड्ढा बना होता है, जिसमें मोम इकठ्ठा होता रहता है. जितना पानी डालते हैं, उतना मोम निकलता है.”

400 से 500 रुपए किलो बिकता है मोम

किशोर बताते हैं कि ये मोम 400 से 500 रुपए प्रति किलो तक बिक जाता है. इससे लिपस्टिक, चेहरे पर लगाने वाली क्रीम, और यहां तक कि मशीनों की स्क्रीन के लिए भी प्रोडक्ट बनते हैं. “हम खुद 4 से 5 किलो रोज बनाते हैं और व्यापारी हमारे पास आकर ही खरीद लेते हैं,” किशोर कहते हैं.

UP-बिहार से आकर बुरहानपुर में बना रोजगार

बॉबी देवल और किशोर जैसे कई लोग यूपी और बिहार से आकर पिछले 10 साल से बुरहानपुर में इसी काम से जुड़े हैं. “हम यहां शहद निकालने आते हैं और जो वेस्ट बचता है, उसी से मोम बनाते हैं. खर्चा ज्यादा नहीं आता, लेकिन मेहनत बहुत लगती है,” बॉबी बताते हैं.

जुगाड़ टेक्नोलॉजी बनी कमाई का जरिया

इस काम में न कोई बड़ी मशीन चाहिए, न ही भारी भरकम खर्च. सिर्फ देसी जुगाड़ से ये मोम तैयार हो जाता है. “हमने लकड़ी की दो पट्टियां, एक कपड़ा और गर्म पानी से ये तरीका खुद तैयार किया है. इससे रोज का खर्च भी निकलता है और रोजगार भी मिला है,” किशोर मुस्कुराते हुए बताते हैं.

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मधुमक्खी के छत्ते के कचरे से बना रहे सोना, देसी जुगाड़ से भर रहे तिजोरी!



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