लीडर को मैसेज- आपकी मर्जी नहीं चलेगी, दखल न दें: दीदी भड़की, कहा- पार्टी ने अहसान नहीं किया; विदेश नहीं जा सके सीनियर अफसर – Bhopal News

लीडर को मैसेज- आपकी मर्जी नहीं चलेगी, दखल न दें:  दीदी भड़की, कहा- पार्टी ने अहसान नहीं किया; विदेश नहीं जा सके सीनियर अफसर – Bhopal News


मध्यप्रदेश में जल्द ही विरोधी दल के जिला अध्यक्षों की घोषणा होने वाली है। इसे लेकर एक बड़े जिम्मेदार पद पर बैठे नेता के अपनों की जमावट के अरमानों पर पानी फिर सकता है।

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अंदर की खबर है कि इस दिग्गज नेता को साफ मैसेज मिल गया है कि अपनी पसंद के अधिकतम 5 से 6 जिले बता दो, वहां पैनल में आए नामों में आपके सुझाए नाम मैच हुए तो उन्हें कंसीडर कर लिया जाएगा।

ये तक कह दिया गया कि आप पूरे प्रदेश में इंटरफेयर करने की मत सोचना।

इससे पहले जब पड़ोसी राज्य गुजरात में विरोधी दल के जिला अध्यक्षों की सूची आई तो वहां के प्रदेश अध्यक्ष नाराज हो गए थे। अब एमपी में देखना दिलचस्प होगा कि लिस्ट जारी होने पर यहां कौन नाराज होता है।

नए मुखिया को अपने वाहन पर ही भरोसा सत्ताधारी दल में प्रदेश संगठन की कमान संभालने के बाद से ही नए मुखिया लगातार इधर-उधर के दौरे कर रहे हैं। बिना किसी शोरगुल और तामझाम के पार्टी के सीनियर लीडर्स के घर जा रहे हैं। उनसे एकांत में बातें-मुलाकातें कर रहे हैं।

एक ओर पुराने मुखिया पार्टी के वाहनों से ही सफर करते रहे हैं। वहीं नए अध्यक्ष अपने निजी वाहन से ही ज्यादातर सफर कर रहे हैं। नए मुखिया के पास जो वाहन है वो सुविधा के लिहाज से तो ठीक है ही, सुरक्षा मानकों पर भी कई गुना बेहतर है।

उनके करीबी बताते हैं कि मुखिया जी को अपने वाहन पर ज्यादा भरोसा है। लिहाजा वे अपने वाहन और सारथी के सहारे चल रहे हैं।

‘सरदार’ बदले तो जगी वापसी की आस सत्ताधारी दल में ‘सरदार’ बदल गए हैं तो वनवास झेल रहे कई दिग्गजों को राजनीतिक पुनर्वास की आस जगी है। लंबे समय बाद कई ऐसे नेता पार्टी कार्यालय में सक्रिय देखे जा रहे हैं जो पिछले कुछ सालों से नजर नहीं आ रहे थे।

एक दिग्गज नेता जो पहले मंत्री और सांसद रह चुके हैं, वे भी लंबे समय बाद पार्टी कार्यालय में दिखे। नेता जी ये कहते सुने गए कि जब तक हम हैं अपनी दादागिरी बरकरार रहेगी।

ये भी कहा कि लोगों के लिए हम पहले भी दादागिरी करते थे और आगे भी जरूरत पडे़गी तो करेंगे। एक महीने की बात और है उसके बाद आपको तेवर और तरीका दोनों बदला हुआ दिखेगा।

भतीजे को चुनाव लड़ाकर एहसान नहीं किया सत्ताधारी दल में फायरब्रांड कही जाने वाली लीडर ने एक बार फिर तेवर दिखाए हैं। दीदी का कहना है कि मैंने और मेरे परिवार ने बहुत कष्ट उठाए हैं। आज की राजनीति में पार्टी में बडे़ पद पर बैठे किसी नेता ने शायद ही इतने कष्ट उठाए हों।

दीदी ने कहा- सरकार चाहे कांग्रेस की रही हो या भाजपा की, मेरी वजह से उनकी खूब प्रताड़ना हुई। लूट, डकैती जैसे झूठे आरोप लगे और कोर्ट में हमेशा वह पूरी तरह से निर्दोष साबित हुए।

मेरे भाइयों और उनके बच्चों को राजनीति में जो मिलना चाहिए था वो मेरे कारण नहीं मिल पाया। पार्टी ने मेरे भतीजे को चुनाव लड़ाकर कोई एहसान नहीं किया। पार्टी अगर मुझे चुनाव न लड़ाती तो मेरे भाई या भतीजे बहुत पहले विधायक, सांसद बन गए होते।

अब दीदी का निशाना किसकी तरफ है इसको लेकर पार्टी के भीतर अंदाजा लगाया जा रहा है।

विदेश नहीं जा सके सीनियर अफसर ‘सरकार’ के साथ दुबई और स्पेन दौरे पर कई अधिकारी भी साथ रहे। इनमें उद्योग और निवेश से ताल्लुक रखने वाले विभागों के अलावा सीएम सचिवालय के भी अफसर शामिल हैं।

सीएम के ही कार्यालय में टॉप लेवल पर रहे एक बड़े अफसर जो पिछले एक साल से ‘सरकार’ के हर दौरे में उनके साथ जाते थे, इस बार विदेश दौरे पर नहीं गए। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि ‘सरकार’ इन अफसर को दौरे पर ले नहीं जाना चाह रहे थे, इसलिए उनकी विदेश जाने की फार्मेलिटी नहीं कराई गई।

इधर, ‘सरकार’ के कार्यालय में टॉप लेवल पर आए नए अधिकारी भी विदेश नहीं जा सके। हालांकि इन्हें विदेश ले जाने के लिए दौरे के ठीक पहले प्रयास किए गए, लेकिन विदेश जाने की फार्मेलिटी पूरी नहीं हो पाने के चलते मामला अटक गया।

कहां से लाएं चापलूसी वाली चम्मच सवा साल पहले जाइंट कलेक्टर से अपर कलेक्टर बने राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों की पीड़ा अब बढ़ती जा रही है। इसकी वजह प्रमोशन के सवा साल बाद भी इनका जाइंट कलेक्टर ही बने रहना है।

दरअसल, सरकार ने इन्हें पदोन्नति तो दे दी, लेकिन नए पद पर पदस्थापना नहीं दे रही है। मंत्रालय और फील्ड में पदस्थ इस कैडर के कुछ अधिकारी सरकार के बर्ताव से दुखी हैं।

इनका कहना है कि आखिर वे चापलूसी वाली चम्मच कहां से लाएं, जिसमें सरकार खुश हो जाए और उन्हें पद के मुताबिक जिम्मेदारी सौंपी जाए। इन अफसरों का कहना है कि प्रमोशन के बाद भी पुराना कार्य करते रहने से उनकी कार्यक्षमता भी प्रभावित हो रही है।

और अंत में..

डायरेक्टर को चाहिए सीएस की तरह एक्सटेंशन मंत्री और विभाग के आला अफसरों को सेट कर स्कूल शिक्षा विभाग में तीन अलग-अलग स्थानों पर डायरेक्टर की भूमिका निभा रहे एक अफसर इसी महीने रिटायर होने वाले हैं।

62 साल की उम्र में रिटायर हो रहे इस अधिकारी की इच्छा है कि मुख्य सचिव को मिलने वाले एक्सटेंशन की तरह सरकार दो साल की संविदा या एक्सटेंशन नियुक्ति उन्हें भी दे दे। इसके लिए जोर आजमाईश जारी है। वहीं उनके धुर विरोधी भी सक्रिय हैं।

एक्सटेंशन की उम्मीद लेकर अगले महीने रिटायर होने वाले इस अफसर के बैच के एक अधिकारी भी अपनी ओर से पैरवी कर रहे हैं ताकि इन्हें मिले तो वे भी अपने लिए अतिरिक्त सेवाकाल हासिल करने का प्रयास करते रहें।

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विरोधी दल में नेताओं की छोटा राजन, बड़ा राजन और दाऊद से तुलना हो रही है। दरअसल, महाकौशल क्षेत्र में विरोधी दल की एक बैठक हुई। जिसमें एक सीनियर लीडर ने नेताओं से कहा- आप लोग हमारी सुनकर अमल में ला पाएंगे क्या? यहां तो ‘छोटा राजन’ और ‘बड़ा राजन’ की ही चलती है। पूरी खबर पढ़ें..



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