सावन व्रत के लिए बिना अन्न का शुद्ध व्यंजन, बघेलखंड की पारंपरिक काची, थोड़े में पाएं भरपूर ताकत, नोट करें विधि

सावन व्रत के लिए बिना अन्न का शुद्ध व्यंजन, बघेलखंड की पारंपरिक काची, थोड़े में पाएं भरपूर ताकत, नोट करें विधि


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Sawan Vrat Food: सावन व्रत में फलाहारी पकवानों का खास महत्व होता है. बघेलखंड की पारंपरिक काची इस दौरान सबसे पसंदीदा व्यंजन बन जाती है. यह मिठास न सिर्फ स्वादिष्ट होती है, बल्कि ऊर्जा से भरपूर भी मानी जाती है.

हाइलाइट्स

  • सावन व्रत में बघेलखंड की काची लोकप्रिय है
  • सिंघाड़े के आटे, घी और गुड़ से बनती है काची
  • काची ऊर्जा से भरपूर और स्वादिष्ट होती है
Sawan News: सावन का महीना सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है. इस पवित्र समय में श्रद्धालु भगवान शिव की उपासना में लीन रहते हैं. साथ ही व्रत रखते हैं. कांवड़ यात्रा जैसी धार्मिक गतिविधियों में भाग लेते हैं. विशेषकर सावन के सोमवार को महिला-पुरुष व्रत रखते हैं. फलाहारी भोजन का सेवन करती हैं. ऐसे समय में पारंपरिक व्यंजन न केवल स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि ऊर्जा का अच्छा स्रोत भी होते हैं.

बघेलखंड की खास व्रत डिश काची
बघेलखंड क्षेत्र में सावन व्रत के दौरान काची नामक एक पारंपरिक व्यंजन काफी लोकप्रिय है. ये सिंघाड़े के आटे से बनता है और इसका स्वाद मीठा और मुलायम होता है. इसे खासतौर पर व्रत के दौरान खाया जाता है, क्योंकि इसमें न तो अनाज होता है और न ही कोई मसाल, ये सिर्फ देसी घी, आटा, पानी और शक्कर या गुड़ से तैयार किया जाता है.
कैसे बनता है सिंघाड़े के आटे का हलवा ?
लोकल 18 से बातचीत में सतना की स्थानीय निवासी मीणा द्विवेदी बताती हैं कि काची या सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाना बेहद आसान है. इसे बनाने के लिए सबसे पहले एक कढ़ाई में देसी घी गर्म करें. उसमें आधी कटोरी सिंघाड़े का आटा डालकर धीमी आंच पर भूने. जब आटे से हल्की सुगंध आने लगे, तो उसमें एक कटोरी पानी डाल दें और लगातार चलाते रहें ताकि आटा गुठली न बने और जले नहीं. जब मिश्रण गाढ़ा होकर पेस्ट जैसा हो जाए तो उसमें शक्कर या गुड़ डाल दें और अच्छे से पका लें और लीजिए हो गया आपका हलवा तैयार.

व्रत में मिठास और सेहत का मेल
काची को एक प्लेट में घी लगाकर जमा लिया जाता है और ऊपर से ड्राई फ्रूट्स डालकर सजाया जाता है. जब यह जम जाए तो इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लिया जाता है. इस पारंपरिक मिठाई का सेवन व्रत के दौरान विशेष रूप से किया जाता है क्योंकि यह पेट को भरे रखने के साथ शरीर को ऊर्जा भी देती है.

ये बेहतरीन विकल्प है
बघेलखंड की काची न सिर्फ व्रत के भोजन को स्वादिष्ट बनाती है, बल्कि क्षेत्रीय परंपराओं और खान-पान की विविधता को भी जीवंत बनाए रखती है. सावन के इस पवित्र समय में अगर आप भी कुछ स्वादिष्ट, पारंपरिक और सरल फलाहारी व्यंजन बनाना चाहते हैं तो काची एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है.

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सावन व्रत के लिए बिना अन्न का शुद्ध व्यंजन, पारंपरिक काची, थोड़े में भरपूर ताकत



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