शनिवार को इंदौर एयरपोर्ट रोड स्थित नरसिंह वाटिका में आयोजित चातुर्मासिक अनुष्ठान कार्यक्रम में शामिल हुए।
इंदौर पहुंचे पद्मश्री और सुपर-30 के फाउंडर आनंद कुमार ने कहा कि मेरा बचपन पटना के मीठापुर स्थित जिस मोहल्ले में बीता, उसके पास ही जैन मंदिर था और मैं अपने दादा-दादी के साथ अक्सर मंदिर जाया करता था।
.
उन्होंने कहा, आज मेरे जीवन पर जो कुछ प्रभाव पड़ा है और जिस सुपर-30 के कारण मुझे देश और दुनिया में जाना जाता है, उसकी बुनियाद जैन मंदिर और जैन विचारधारा से ही पड़ी है। मुझे लगता है कि मेरी बुनियाद में शिक्षा के साथ अहिंसा, अन्य सात्त्विक गुणों और शाकाहारी भोजन का भी गहरा प्रभाव पड़ा।
फलस्वरूप आज मैं जैन मुनियों के प्रवचनों से प्रेरित होकर समाज के लिए इतना बड़ा काम करने की स्थिति में आया हूं। निश्चित ही मेरे जीवन में जैन विचारधारा और मेरे बचपन के मित्र के सत्संग का भी गहरा प्रभाव पड़ा है।
यह बात आनंद कुमार ने शनिवार को इंदौर में एयरपोर्ट रोड स्थित नरसिंह वाटिका में जैनाचार्य पपू विश्वरत्न सागर मसा के सान्निध्य में अर्बुद गिरिराज जैन श्वेतांबर तपागच्छ उपाश्रय ट्रस्ट पीपली बाजार, जैन श्वेतांबर मालवा महासंघ और नवरत्न परिवार इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे चातुर्मासिक अनुष्ठान कार्यक्रम में कही।
ऑनलाइन शिक्षा देने की योजना पर विचार कर रहा हूं
आनंद कुमार इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। उन्होंने कार्यक्रम में कहा कि वे जल्द ही केवल सुपर-30 के बच्चों को ही नहीं, बल्कि देश के लाखों ऐसे बच्चों को भी ऑनलाइन शिक्षा देने की योजना पर विचार कर रहे हैं, जहां गरीब से गरीब बच्चा भी पढ़ सकेगा।
आनंद कुमार ने आगे कहा कि भगवान महावीर स्वामी की जन्म और कर्मस्थली बिहार के पर्यावरण ने मुझे आज इस लायक बनाया है कि मैं समाज के वंचित बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए तैयार करने में सफल रहा हूं।
उन्होंने कहा, “मेरी मान्यता है कि यदि हम भगवान महावीर स्वामी के सिद्धांतों पर चलते रहें, तो निश्चित ही शून्य से शिखर तक पहुंचने में आसानी होगी। मुझ पर अनेक हमले हुए, अनेक प्रताड़नाएं भी झेलीं, बड़े-बड़े माफिया से सामना हुआ, लेकिन भगवान महावीर की वाणी और अहिंसा का पालन करते हुए मैंने कभी किसी का नाम नहीं लिया और पूरी निष्ठा से अपना काम किया।
कार्यक्रम में आनंद कुमार ने कहा कि आज तक मैंने किसी से एक पैसे का चंदा नहीं लिया हूं।
जिनशासन से जीवन जीने की कला मिलती है
आनंद कुमार ने कार्यक्रम में कहा कि रिक्शा चलाने वाले, सब्जी बेचने वाले और झाड़ू-पोछा करने वालों के बच्चे भी आज शून्य से शिखर तक पहुंचे हैं। जिनशासन से जीवन जीने की कला मिलती है। जो लोग आईआईटी, जेईई या अन्य किसी परीक्षा में सफल नहीं हो पाए, वे भी आज जैन सिद्धांतों के कारण सफल और व्यावहारिक व्यापारी बन सके हैं। किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान भी आवश्यक है।
आनंद कुमार ने बताया कि हमें कई बार करोड़ों रुपए के ऑफर आए, कई कंपनियों से ब्रांड एम्बेसडर बनने के प्रस्ताव मिले, लेकिन हमने कोई भी प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया। हमारा एकमात्र लक्ष्य यही रहा कि गरीब बच्चों को उच्च शिक्षा कैसे मिले।
इंदौर देश में नंबर 1 बना हुआ है
आनंद कुमार ने आगे कहा कि इंदौर तो पूरे देश में सफाई में नंबर एक बना हुआ है। अब हम सभी को अपने अच्छे आचरण से अंदर की गंदगी को भी साफ करने का पुरुषार्थ करना होगा। पटना ने भी इंदौर से सीखा है कि सफाई में कैसे आगे बढ़ा जा सकता है। आपके दीपक जैन टीनू भाई भी कई बार वहां आकर सफाई का मंत्र समझा चुके हैं।
कुमार ने कहा, “हम जैन आचार्य से यही आशीर्वाद मांगते हैं कि हमें गरीब से गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए प्रेरणा मिलती रहे। हमारी सोच विश्वस्तरीय होनी चाहिए। हमने लोभ और स्वार्थ को केंद्र में रखकर कभी कोई काम नहीं किया

आनंद कुमार ने कहा कि मेरी बुनियाद में शिक्षा के साथ अहिंसा, अन्य सात्त्विक गुणों और शाकाहारी भोजन का भी गहरा प्रभाव पड़ा है।
आनंद कुमार बोले- एक पैसे का चंदा नहीं लिया
आनंद कुमार ने आगे कहा कि आज तक हमने किसी से एक पैसे का भी चंदा नहीं लिया। आज भी हमारे घर में मेरी मां खुद चूल्हे पर बच्चों के लिए भोजन पकाती हैं। उन्होंने कहा, हम जैनाचार्य पपू विश्वरत्न सागर मसा से यही प्रार्थना करते हैं कि वे हमें इस योग्य बनाए रखें कि हम भगवान महावीर स्वामी के संदेशों और सिद्धांतों पर चलकर खतरनाक से खतरनाक चुनौतियों का सामना करते रहें और जीवनभर अहिंसक बने रहें।
आनंद कुमार ने कहा, मैं हजारों बच्चों और पालकों से आह्वान करता हूं कि वे अपने जीवन में ‘अहिंसा परमोधर्मः’ की नीति पर चलें, अपनी सोच और चिंतन को विश्वस्तरीय बनाएं, जीवन में धैर्य बनाए रखें और जिनशासन की अवधारणा के अनुरूप शिक्षा के साथ-साथ संस्कारों को भी आत्मसात करें।
महावीर स्वामी केवल हमारे नहीं, सबके हैं
कार्यक्रम में जैनाचार्य पपू विश्वरत्न सागर मसा ने कहा, आज मुझे गर्व है कि महावीर मंदिर के सामने एक ऐसा व्यक्तित्व पैदा हुआ है, जिसने देश-विदेश में भारत को प्रतिष्ठा दिलाई है और अनेक गरीब बच्चों को शिक्षा देकर उनका जीवन संवारा है।
ज्ञान की रोशनी से किसी को आलोकित करना बहुत बड़ा काम है। महावीर न तो किसी एक धर्म, न किसी संप्रदाय और न ही किसी व्यक्ति विशेष की विचारधारा या सिद्धांत के हैं, बल्कि वे एक शाश्वत क्रांति के प्रतीक हैं, जो जीवन-ज्ञान की धारा के प्रवाहक हैं।
महावीर स्वामी केवल हमारे नहीं, सबके हैं। महावीर की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले शाकाहारी परिवार की अनुमोदना की जानी चाहिए, जिन्होंने अहिंसा के सिद्धांत को अपनाया और बड़े-बड़े संघर्षों को जीता।
तलवार से थोड़े समय के लिए जीत मिल सकती है, लेकिन प्यार से हमेशा के लिए जीता जा सकता है।