कभी सोचा है कि एक आग बिना बुझे 90 साल से ज्यादा वक्त तक कैसे जल सकती है? वो भी बिना दोबारा जलाए. मध्य प्रदेश के खंडवा शहर में मौजूद दादाजी धूनीवाले मंदिर में एक ऐसी ही अलौकिक लौ आज भी लगातार जल रही है, जिसे धूनीमाई कहा जाता है. साल 1930 में इस धूनी को प्रज्वलित किया गया था, और तब से लेकर आज तक ये एक पल के लिए भी नहीं बुझी.
यह मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं है, बल्कि आस्था, तपस्या और आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र है. माना जाता है कि बड़े दादाजी यानी श्री केशवानंद महाराज जहां भी रुकते थे, वहां एक धूनी जलाते थे. यही उनकी साधना का ज़रिया था. जब उन्होंने खंडवा में समाधि ली, तो उन्होंने निर्देश दिया कि यह धूनी कभी नहीं बुझनी चाहिए. और सच में, धूनीमाई आज भी उसी मूल ज्वाला से जल रही है.
क्या है इस धूनी का चमत्कार?
धूनी से निकलने वाली भस्म को भक्त चमत्कारी मानते हैं. लोग इसमें सूखा नारियल चढ़ाते हैं, अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं और राख को प्रसाद के रूप में घर लेकर जाते हैं. आंधी आए, तूफान हो या कोई आपदा यह अग्नि कभी नहीं बुझती. यह एक ऐसा रहस्य है जो विज्ञान से परे लगता है, लेकिन श्रद्धा में पूरा विश्वास है.
पीढ़ियों से निभ रही सेवा
इस धूनी की सेवा और देखभाल मंदिर के पुजारी और सेवादार कई पीढ़ियों से कर रहे हैं. वो सुनिश्चित करते हैं कि इस पवित्र लौ की तपिश और उजास कभी कम न हो. यही निष्ठा इसे चमत्कारी बनाती है.
हर साल लगता है मेला
दादाजी की पुण्यतिथि पर यहां एक भव्य मेला लगता है, जिसमें देश-विदेश से हजारों भक्त पहुंचते हैं. यहाँ सिर्फ दर्शन नहीं, बल्कि हर कोई धूनीमाई की लौ में अपनी श्रद्धा की आहुति देता है. भक्त लव जोशी कहते हैं कि “यह सिर्फ अग्नि नहीं है, यह पीढ़ी दर पीढ़ी जलता हुआ विश्वास है. ये हमें सिखाता है कि भक्ति की लौ कभी नहीं बुझती.”