MBBS कोर्स की कीमत में 200% उछाल, इन मेडिकल कॉलेजों में फीस आसमान पर

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MBBS Fee: डीम्ड विश्वविद्यालयों में एमबीबीएस की फीस में बड़ी बढ़ोतरी हुई है. अब छात्रों को पूरे कोर्स के लिए करीब 1.5 करोड़ चुकाने होंगे, जबकि सालाना ट्यूशन फीस 30.5 लाख तक पहुंच गई है, जिससे छात्रों में चिंता …और पढ़ें

Medical College MBBS course Fee: इन मेडिकल कॉलेजों की फीस आसमान छू रही है.

MBBS Fee: डीम्ड विश्वविद्यालयों में एमबीबीएस कोर्स की फीस में भारी इज़ाफा देखने को मिला है. अब कुल मिलाकर एक छात्र को पूरा कोर्स करने के लिए लगभग 1.5 करोड़ चुकाने पड़ सकते हैं, जबकि सालाना ट्यूशन फीस 30.5 लाख तक पहुंच गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी ज्यादा फीस मेडिकल क्षेत्र में प्रवेश की चाह रखने वाले कई छात्रों को हतोत्साहित कर सकती है.

10 साल में 200% तक बढ़ी फीस

2015 में जहां औसत सालाना फीस 10 लाख थी, वहीं अब यह 200% बढ़कर 30 लाख से भी ज़्यादा हो गई है. स्टूडेंट्स काउंसलर मणिकावेल अरुमुगम के अनुसार, स्ववित्तपोषित कॉलेजों पर शुल्क समिति का नियंत्रण होता है, लेकिन डीम्ड यूनिवर्सिटी इस दायरे से बाहर हैं. ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार लंबे समय से सरकार द्वारा इन पर नियंत्रण के लिए नियम तय किए जाने की उम्मीद थी, लेकिन कोई ठोस कदम अब तक नहीं उठाया गया है.

यूजीसी का प्रस्ताव भी रहा बेअसर

2019 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने डीम्ड विश्वविद्यालयों की फीस को नियंत्रित करने के लिए एक शुल्क समिति बनाने का प्रस्ताव दिया था. प्रस्ताव में जुर्माना, अतिरिक्त फीस की वापसी और गैर-अनुपालन पर दंड की सिफारिश की गई थी. परंतु इसका कोई बड़ा प्रभाव देखने को नहीं मिला.

फीस के अलावा अन्य खर्चे भी भारी

ट्यूशन फीस के अलावा छात्राओं से लैब, पुस्तकालय, हॉस्टल, मेस आदि के नाम पर लगभग 2.5 लाख तक की अतिरिक्त रकम ली जाती है. नीट कोच सतीश कुमार आर का कहना है कि छात्रों और अभिभावकों को कॉलेज की वेबसाइट पर दी गई जानकारी से अधिक, प्रॉस्पेक्टस को ध्यान से पढ़ना चाहिए.

डॉक्टरों की अधिक संख्या भी बनी चिंता का कारण

भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) की राज्य इकाई और तमिलनाडु सरकारी डॉक्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि डॉक्टरों की संख्या पहले ही ज़रूरत से अधिक हो चुकी है. इसलिए वे नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना और विदेशों से प्रशिक्षित डॉक्टरों के भारत में प्रवेश पर नियंत्रण की सिफारिश कर रहे हैं.

डॉक्टरों की भरमार, लेकिन सुविधाओं की कमी

तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल में लगभग 1.8 लाख डॉक्टर पंजीकृत हैं, जिनमें से 1.5 लाख सक्रिय रूप से प्रैक्टिस कर रहे हैं. जहां डॉक्टर-जनसंख्या का अनुशंसित अनुपात 1:1000 है, वहीं तमिलनाडु में यह 1:600 है. पूर्व परिषद अध्यक्ष डॉ. के. सेंथिल का मानना है कि अब समय है कि दक्षिण भारत के राज्य पीजी और सुपर-स्पेशियलिटी सीटें बढ़ाएं, ताकि मौजूदा संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके. हालांकि डॉक्टर दूसरे राज्यों में भी जा सकते हैं, लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण वे वहीं काम करना पसंद करते हैं जहां उनके परिवारों को बुनियादी सहूलियतें मिलें.

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Munna Kumar

पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव. दूरदर्शन, ज़ी मीडिया और News18 के साथ काम किया है. इन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन दिल्ली से की, बाद में ज़ी मीडिया से जुड़े और वर्तमान में News18 Hin…और पढ़ें

पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 वर्षों से अधिक का अनुभव. दूरदर्शन, ज़ी मीडिया और News18 के साथ काम किया है. इन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन दिल्ली से की, बाद में ज़ी मीडिया से जुड़े और वर्तमान में News18 Hin… और पढ़ें

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