राज्य सरकार ने अवैध खनन पर शिकंजा कसा है। अब कटनी से जुड़ी तीन माइनिंग कंपनियों से 520 करोड़ रुपए की वसूली होगी। इनमें 440 करोड़ रुपए का मामला स्वीकृत सीमा से अधिक आयरन ओर की खुदाई का है, जबकि 80 करोड़ से ज्यादा की जीएसटी चोरी का अलग से अनुमान है। जा
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जिन कंपनियों पर यह कार्रवाई हो रही है, उनमें निर्मला मिनरल्स, आनंद माइनिंग और पेसिफिक एक्सपोर्ट शामिल हैं। इन तीनों फर्मों ने सिहोरा तहसील के दुबियारा (32.3 हेक्टेयर), घुघरी (8.6 हेक्टेयर), प्रतापपुर (11.5 हेक्टेयर), अगरिया (20.2 हेक्टेयर) और टिकरिया (26 हेक्टेयर) में लौह अयस्क की खदानें संचालित कीं। ये सभी फर्म एक विधायक और एक कारोबारी से जुड़ी बताई जा रही हैं। जांच में सामने आया है कि कई सालों से अवैध रूप से खनन किया जा रहा था।
शिकायत के बाद घोटाला उजागर
जनवरी 2025 में समाजसेवी आशुतोष उर्फ मनु दीक्षित ने आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद प्रमुख सचिव (खनिज) के निर्देश पर बनी जांच टीम ने कई खदानों की जांच की। टीम ने इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस (आईबीएम) के आंकड़े और सैटेलाइट इमेजरी के जरिए माइनिंग की मात्रा की पुष्टि की। सामने आया कि निर्धारित रकबे से परे जाकर बड़े पैमाने पर खनन हुआ है।
व्हिसलब्लोअर बोले… यह तो शुरुआत, कई गड़बड़ियां बाकी
व्हिसलब्लोअर मनु दीक्षित का कहना है कि सरकार ने फिलहाल सिर्फ अतिरिक्त खनन और जीएसटी चोरी की जांच पूरी की है। जबकि अवैध खनन, वन क्षेत्र में खनन, फॉरेस्ट रॉयल्टी में चोरी जैसी गड़बड़ियों पर जांच बाकी है। अगर इन मामलों में ईमानदारी से जांच हुई तो सिर्फ कटनी-जबलपुर क्षेत्र में अवैध खनन की राशि 8 से 10 हजार करोड़ तक पहुंच सकती है।
मुश्किल ऐसी कि दफ्तरों से अहम फाइलें गायब थीं
जांच अधिकारी बताते हैं कि कई अहम फाइलें व दस्तावेज दफ्तरों से गायब थे। टीम ने अलग-अलग विभागों से जुटाए दस्तावेजों, सैटेलाइट डेटा और आईबीएम रिपोर्ट के जरिए गड़बड़ी को प्रमाणित किया। सुप्रीम कोर्ट के एक अहम फैसले (प्रफुल्ल सामंता बनाम भारत सरकार) के बाद प्रदेश में खदानों की सैटेलाइट मैपिंग शुरू की गई है। इससे अन्य जिलों में अवैध माइनिंग की परतें खुल सकती हैं।
आगे? : अभी प्लान व स्वीकृति की जांच, अगले चरण में अवैध खनन की
राजस्व वसूली की प्रक्रिया जबलपुर कलेक्टर के स्तर पर शुरू की जा रही है। वहीं कर चोरी से जुड़े हिस्से पर संबंधित विभाग अंतिम आंकलन के बाद कार्रवाई करेंगे। जांच दल ने यह भी स्पष्ट किया है कि अभी सिर्फ माइनिंग प्लान और पर्यावरणीय स्वीकृति की सीमाओं से बाहर हुए खनन की जांच हुई है। वन क्षेत्र और अन्य अवैध खनन की जांच अगला चरण होगी।