हरियाणा में सोनीपत के रहने वाले 24 साल के मोहित के जीवन के संघर्ष की कहानी प्रेरणा देने वाली है। बचपन में फौज में जाने का सपना देखा, लेकिन 15 साल पहले बोन कैंसर की वजह से एक टांग गंवानी पड़ी। इससे सेना में जाने का सपना टूटा तो हिम्मत हार बैठे।
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मगर, एक दिन यूट्यूब पर एक दिव्यांग बॉडी बिल्डर के हौसले ने उनकी सोच ही बदल दी। यहीं से शुरू हुआ जिंदगी का असली संघर्ष। टांग कटने के बाद डॉक्टरों ने कृत्रिम पैर लगा दिया था। मोहित ने सबसे पहले उसे ही खुद से दूर किया। फिर एक ही पैर पर खड़े होकर बॉडी बिल्डिंग, पावर लिफ्टिंग और मॉडलिंग की।
मिस्टर हरियाणा, मिस्टर यूपी और मिस्टर वर्ल्ड जैसे खिताब झोली में डाले। विभिन्न चैंपियनशिप में 100 से ज्यादा मेडल उनके नाम चढ़े तो पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें सरकारी नौकरी देने का आश्वासन दिया, लेकिन अब तक उन्हें कोई सहायता नहीं मिली।
मगर, इसके बाद भी मोहित ने न हार मानी, न ही थमे। “जो रुकते नहीं, वही इतिहास बनाते हैं”… जैसी सोच रखने वाले मोहित अब पैरा ओलिंपिक की तैयारी कर रहे हैं। सावन माह चल रहा तो वे इस बार हरिद्वार से सोनीपत तक 200 किलोमीटर लंबी ‘दंडवत कांवड़ यात्रा’ भी कर रहे हैं, जिसमें वे प्रतिदिन लेटकर 2 किलोमीटर चलते हैं।
मोहित ने राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर 100 से अधिक मेडल अपने नाम किए हैं।
यहां जानिए मोहित के जीवन संघर्ष की कहानी…
- सोनीपत के रहने वाले, मेडिकल की पढ़ाई की : मोहित हरियाणा के सोनीपत जिले के विशाल नगर गली नंबर-3 के रहने वाले हैं। उनकी उम्र 24 साल है। वे बचपन से ही फौज में भर्ती होने का सपना देख रहे थे। साल 2008 में जब वे दसवीं में थे, तभी उन्होंने आर्मी की तैयारी शुरू कर दी थी। कुश्ती और दौड़-भाग उनका रोज का अभ्यास था। 12वीं के बाद उन्होंने मेडिकल लैब टेक्नीशियन का डिप्लोमा किया और 2016 में एक अस्पताल में नौकरी भी की। उनके परिवार में माता-पिता, एक भाई और भाभी हैं।
- बोन कैंसर ने घेरा, पैर गंवाना पड़ा : मोहित की जिंदगी ने साल 2010 में उस वक्त करवट ली, जब उन्हें पहली बार बोन कैंसर हुआ। दिल्ली के अस्पताल में पैर में रॉड डाली गई, इलाज से कुछ समय के लिए बीमारी ठीक हो गई। लेकिन 5 साल बाद 2015 में फिर से उसी पैर में कैंसर लौट आया। पैर की हड्डी गल चुकी थी और अचानक एक झटके में जोड़ टूट गया। कोई और विकल्प न होने पर डॉक्टरों ने जांघ से नीचे पूरा पैर काट दिया।
- डॉक्टरों ने कृत्रिम टांग लगाई : दाहिनी टांग पूरी तरह कट जाने के कारण मोहित को काफी टाइम अस्पताल में ही गुजारना पड़ा। थोड़ा ठीक हुए तो एक टांग के सहारे चलने में दिक्कत आई। इसके बाद डॉक्टरों ने कृत्रिम टांग लगाने की सलाह दी, ताकि चलने फिरने में कोई दिक्कत न हो। इस सलाह को मानते हुए मोहित ने कृत्रिम टांग लगा ली। मोहित ने करीब 5 साल तक कृत्रिम पैर लगाया। मोहित बताते हैं कि ये पांच साल जिंदगी के सबसे ज्यादा कष्टदायी रहे। उसने फौज में जाने का सपना देखा था, लेकिन टांग कटने की वह से वह टूट गया। उसकी जिंदगी निराशा से भर गई थी।
- यूट्यूब से मिली प्रेरणा, लक्ष्य की ओर बढ़ाए कदम : मोहित आगे बताते हैं कि टांग कटने के बाद वे मानसिक रूप से भी टूट चुके थे। तब एक दिन यूट्यूब पर एक दिव्यांग बॉडी बिल्डर की वीडियो देखी, जिसने उनकी सोच ही बदल दी। उसी वक्त उन्होंने तय कर लिया कि वे भी बॉडी बिल्डर बनेंगे और खुद को साबित करेंगे। इसके बाद वे हर दिन 6 घंटे तक जिम करने लगे। बॉडी बिल्डिंग में कृत्रिम टांग बाधा बनी तो उसे भी छोड़ दिया और सिर्फ एक पैर के सहारे ही जिंदगी जीने का फैसला किया। यह आसान नहीं था, लेकिन “जिद और जुनून हो तो कुछ भी असंभव नहीं”।
एक टांग के सहारे मोहित ने पाई कई सफलताएं…

पहला मेडल आया तो परिवार के आंखों में आए आंसू मोहित बताते हैं कि करीब 9-10 साल पहले उसने पहली बार बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। पहली ही चैंपियनशिप में मेडल मिला। यह मेडल लेकर जब घर पहुंचा तो परिवार वालों की आंखों में आंसू आ गए। खुशी के ये आंसू देखने के बाद उसका हौसला इतना बढ़ा कि उसने फिर कई चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और मेडल व खिताब अपने नाम किए। पूरा परिवार उनके साथ है। उन्हें यकीन है कि अपनी अपंगता को कभी अपने सपनों के रास्ते में नहीं आने दूंगा।

एक चैंपियनशिप में पहलवान बजरंग पूनिया के साथ मोहित।
100 से ज्यादा मेडल, लेकिन सरकारी उपेक्षा मिली मोहित बताते हैं कि मिस्टर हरियाणा, मिस्टर यूपी और मिस्टर वर्ल्ड जैसे खिताब उसकी झोली में आ चुके थे। कई बड़े मंचों पर उसे शासन और प्रशासन के अलावा खेल की महान हस्तियों ने सम्मानित किया। एक कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें सरकारी नौकरी देने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक उन्हें कोई सहायता नहीं मिली। उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी।
पैरा ओलिंपिक की तैयारी शुरू की मोहित ने कहा कि अब वे पैरा ओलिंपिक की तैयारी कर रहे हैं और डिस्कस थ्रो (चक्का फेंक) में हाथ आजमा रहे हैं। इसके लिए वे कई महीनों से विशेष ट्रेनिंग ले रहे हैं। यदि पैरा ओलिंपिक में पदक जीत कर देश का नाम रोशन कर पाया तो यह उसके और परिवार के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। बुलंद हौसले के साथ वह दिन रात ट्रेनिंग कर रहा है।

धर्म के प्रति पूरा समर्पण, हरिद्वार से ला रहे कांवड़ मोहित ने बताया कि वे लगातार 7 वर्षों से कांवड़ यात्रा में भाग ले रहे हैं। 2024 में उन्होंने 61 लीटर गंगाजल लेकर एक पैर पर चलते हुए कांवड़ यात्रा की थी, जिसमें वे प्रतिदिन 8–10 किलोमीटर चलते थे। 2025 में वे हरिद्वार से सोनीपत तक दंडवत (लेटकर) कांवड़ यात्रा कर रहे हैं, जो लगभग 200 किलोमीटर की दूरी है।
उन्होंने 12 मई को हरिद्वार से जल उठाया और 1 जुलाई को सोनीपत के अपने शिव मंदिर में जल चढ़ाएंगे। प्रतिदिन 2 किलोमीटर लेटकर चलना और साथ में चलती गाड़ी में मंदिर और अखंड ज्योत साथ रखना उनकी विशेष पहचान है। उनका उद्देश्य है सनातन धर्म को जात-पात से ऊपर उठाकर अपनाना और गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाना।
इसके अलावा, उनका उद्देश्य सिर्फ धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि यह दिखाना भी है कि शरीर भले कमजोर हो, लेकिन हौसला बुलंद हो तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।