प्रकृति प्रेम की मिसाल, पेड़-पौधों की सेवा में रहता है ये शख्स, शहीदों और संतों के नाम लगाए हजारों पौधे

प्रकृति प्रेम की मिसाल, पेड़-पौधों की सेवा में रहता है ये शख्स, शहीदों और संतों के नाम लगाए हजारों पौधे


Khargone News: मध्य प्रदेश में खरगोन जिले के मंडलेश्वर में रहने वाले संतोष जोशी का जीवन प्रकृति को समर्पित है. वह हर दिन आधे से ज्यादा समय पेड़-पौधों की देखरेख में बिताते हैं. सुबह की शुरुआत पौधों को पानी देने और बगीचे की सफाई से करते हैं. अब तक उन्होंने सैकड़ों नहीं, हजारों पौधे लगाए हैं. खास बात ये कि वो पीपल और त्रिवेणी जैसे ऑक्सीजन देने वाले पौधे ही लगाते हैं. वे 25 साल से पेड़-पौधों की सेवा कर रहे हैं.

उनका कहना है कि उन्हें बचपन से ही प्रकृति से लगाव रहा है. यही वजह है कि उन्होंने अपना पूरा जीवन हरियाली को बढ़ाने में लगा दिया है. वे सुबह से दोपहर तक पौधों को पानी देना, साफ-सफाई करना और नए पौधे लगाना जैसे काम करते हैं. यह काम अब उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है. अब तक हजारों पौधे लगा चुके हैं. इनमें 400 से ज्यादा त्रिवेणी पौधे लगाए हैं. ये पौधे उन्होंने देश के शहीद जवानों के नाम समर्पित किए हैं.

उनका मानना है कि जो सैनिक देश की रक्षा में अपने प्राण गंवाते हैं, उन्हें भूलना नहीं चाहिए. इसलिए उन्होंने हर पौधे को एक शहीद के नाम से जोड़ दिया है. सात साल पहले लगाए ये पौधे बड़े पेड़ बन चुके हैं. कुछ समय पहले उन्होंने ब्रह्मलीन संत सियाराम बाबा की याद में 108 पीपल के पौधे लगाए थे. ये सभी पौधे मुक्तिधाम क्षेत्र में लगाए गए हैं. यहां वे रोज पानी देने और खुद आया करते हैं. उनका उद्देश्य मुक्तिधाम को हरा-भरा बनाना है. ताकि वहां लोगों को शांति और सुकून मिल सके.

रोजाना नर्मदा घाट की सफाई भी 
संतोष जोशी इन दिनों नर्मदा किनारे भी सेवा कार्य कर रहे हैं. उन्होंने महेश्वर से मंडलेश्वर के बीच परिक्रमा मार्ग पर बबूल की झाड़ियों को हटाने का अभियान शुरू किया है. यहां वे पौधे लगाएंगे. उनका कहना है कि इन कांटेदार झाड़ियों से गुजरने वालों को परेशानी होती है, इसलिए वह उन्हें हटाकर रास्ता साफ कर रहे हैं. इसके अलावा वे रोजाना नर्मदा घाट की सफाई भी करते हैं. तो वहीं, पूरे साल पौधे लगाते रहते हैं, लेकिन बरसात में वह इस काम को और तेज कर देते हैं.

बच्चों की तरह करते हैं पौधों की देखभाल
इस साल भी उन्होंने 108 त्रिवेणी और पीपल सहित अन्य प्रजाति के पौधे लगाने का संकल्प लिया है. उनका मानना है कि एक पौधा लगाना भी एक जिंदगी बचाने जैसा है. यही सोचकर वह हर साल सैकड़ों पौधे लगाते हैं और खुद उनकी देखरेख भी करते हैं. उन्हें देखकर अब गांव और आसपास के लोग भी प्रेरित हो रहे हैं. कई लोग उनके साथ पौधारोपण में जुड़ चुके हैं. वे हर पौधे को नाम देते हैं और उसकी देखरेख करते हैं जैसे कोई अपने बच्चे की करता है. उन्हें इस बात की खुशी है कि उन्होंने जो पौधे लगाए थे, आज वे घने वृक्ष बनकर लोगों को छांव और हवा दे रहे हैं.

लोगों को करते हैं प्रेरित
आपको बता दें कि संतोष जोशी किसी संस्था या सरकार से मदद नहीं लेते. सारे काम खुद ही करते हैं. पौधे खरीदना, लगाना, पानी देना, साफ-सफाई करना सब कुछ वो खुद करते हैं. कई बार लोग उन्हें मदद की पेशकश करते हैं, लेकिन वह सिर्फ इतना कहते हैं कि आप एक पौधा लगाइए और उसका ध्यान रखिए, यही काफी है. लेकिन, पौधा लगाकर भुले नहीं, अन्यथा वह सूख जाता है. इसलिए जरूरी है कि रोज थोड़ा समय प्रकृति के लिए निकालें.



Source link