खंडवा में 400 जेसीबी से 12 हजार एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाया गया था, लेकिन सालभर के अंदर ही यहां फिर से फसलें लहलहाने लगी हैं। इस अतिक्रमण को हटाने के लिए जब भी वन विभाग का अमला पहुंचता है तो उन पर अतिक्रमणकारी पत्थर फेंकने लगते हैं। ऐसे में वन विभाग क
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जुलाई 2024, 26 दिसंबर 2024 और 9 जून 2025 की ये वो तारीखें है, जब खंडवा में भारी-भरकम पुलिस फोर्स और सैकड़ों जेसीबी मशीनों के साथ जंगलों में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को अंजाम दिया गया। दो साल में 7 हजार और जून 2025 में 5500 एकड़ जमीन से अतिक्रमण बेदखल हुआ। कार्रवाई के दौरान जंगल में बबूल के बीज डाले गए और बारिश में पौधे लगाए, ताकि वापस जंगल पनप सकें। लेकिन अतिक्रमणकारियों ने रासायनिक स्प्रे कर बबूल की रोप को मार दिया, वहीं पौधे उखाड़ दिए। फिर से खेत तैयार किया और फसल की बोवनी कर दी।
हाल ही में मुक्त कराई जमीन पर फिर से अतिक्रमण होता देख वन विभाग का अमला कार्रवाई करने पहुंचा और एक ट्रैक्टर को कब्जे में ले लिया। इस दौरान अतिक्रमणकारियों ने वन अमले को घेर लिया और कब्जे से ट्रैक्टर को छुड़ा लिया। यहां तक कुछ वनकर्मियों के साथ मारपीट भी की। एक हफ्ते तक वन अमले और अतिक्रमणकारियों के बीच संघर्ष चलता रहा। अब वन अमले ने भी इसे दूरी बना ली है। हालांकि वन अमने ने अतिक्रमणकारियों के खिलाफ पथराव करने का केस दर्ज कराया है। इस मामले में दो आरोपियों को जिलाबदर किया गया।
भास्कर टीम ने वन विभाग, समितियों और अतिक्रमणकारियों से बात की तो सभी ने जंगल पर अपने-अपने दावे किए। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
सैटेलाइट पिक्चर में वर्ष 2018 में जंगल दिखता था, लेकिन 2022 में यह मैदान दिखने लगा था।
ऐसे चला जंगल पर कब्जे का सिलसिला
काेरोनाकाल में ऑक्सीजन की कमी से लाखों जिंदगियों ने दम तोड़ दिया, उसी दौरान लॉकडाउन का फायदा उठाते हुए जंगल माफिया ने अंधाधुंध कटाई कर जंगलों को साफ कर दिया। खंडवा में दस हजार एकड़ जंगल पर कब्जा कर खेत बना दिए गए। यह सिलसिला चार साल तक चला।
प्रशासन सुध लेता तब तक चुनाव आ गए। माफिया गैंग को आदिवासी वोट बैंक का फायदा मिला। हालांकि, प्रशासन ने 2024-25 में प्रशासन ने माफिया की जंगल से बेदखली के लिए अभियान शुरू किया।
गुड़ी रेंज में घने जंगलों से खेत बन चुकी दस हजार एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए वन विभाग को पुलिस और प्रशासन की मदद लेना पड़ी। पुलिस और प्रशासनिक अमले के नेतृत्व में चार बार बड़ी कार्रवाई की गई। चारों बार 50-50 जेसीबी मशीनों को दो-दो दिन तक शामिल किया। यानी 400 जेसीबी और हर बार इतने ही पुलिस फोर्स के साथ जंगल से अतिक्रमण हटाया गया।

पिछले साल जंगल की जमीन से अतिक्रमण हटाया गया था।
जंगल में फिर से अतिक्रमण, मक्का-मूंग लगाई
अतिक्रमण हटाने के बाद जंगल में फिर से अतिक्रमण पसर गया है। इन दिनों माफिया गैंग ने मक्का और मूंग फसल की बोवनी कर दी हैं। करीब पांच दफा फॉरेस्ट का स्टॉफ कार्रवाई करने पहुंचा। अतिक्रमणकारियों ने गोफन से पथराव किए। एक बार तो घेर लिया, स्टाॅफ जान बचाकर भागा।
दैनिक भास्कर की टीम ने जंगल जाकर स्थिति जानी। खेत बन चुके जंगल में दूर-दूर तक फसल लहलहा रही थी। स्थानीय आदिवासियों से बातचीत की तो वे लोग जंगल में अतिक्रमण के खिलाफ खड़े दिखाई थे। कोरकू समाज के लोगों ने कहा- जंगल हमारे लिए भगवान है। हम लोग यहां के मूलनिवासी होकर भी जंगल से जलाऊ लकड़ी तक नहीं लाते है।
जबकि बाहर से आए अतिक्रमणकारियों ने पूरा जंगल उजाड़ दिया। वे लोग खेती कर रहे है। हम विरोध करते है तो धमकाते हैं। जंगल में मवेशी चराने जाए तो मारपीट करते हैं। अतिक्रमणकारियों ने घास पर जहरीली दवा छिड़क दी, चरने गए हमारे कई मवेशी मर गए हैं।

अतिक्रमण हटाने के बाद वन भूमि पर बीज लगाए गए थे, ताकि पेड़ लग सके।
कोरकू समाज के लोग बोले- सरकार सख्त से सख्त एक्शन लें
वन समिति अध्यक्ष माणकलाल कोरकू ने बताया कि जंगल जो भी इंसान जाता है, भले ही मवेशी चराने जाए या जलाऊं लकड़ी लाने के लिए जाए, उन्हें भगा दिया जाता है। फॉरेस्ट वाले भी जाते है तो उन पर पत्थर फेंकते है। इन लोगों से हम ग्रामीणों को काफी समस्या हैं। ऐसे में तो गांव वाले भी अतिक्रमण करने लग जाएंगे।
भिलाईखेड़ा के आदिवासी किसान गोपाल पाटिल ने कहा- हम गांव वालों का निवेदन है कि सरकार जितने भी कड़े कदम उठाना है तो उठा लो। लेकिन जंगल से अतिक्रमण हटना चाहिए। अतिक्रमण के कारण जंगल में मवेशी चरने जाते है तो वो लोग पत्थर मारते है। किसी भी प्रकार से इन्हें रोका जाए या फिर ये लोग जहां से आए है, वहां वापस भेजा जाए।

मुक्त कराई गई जमीन पर अतिक्रमणकारियों ने फिर से फसल बोई है।
बारिश के दौरान बोवनी, हथियार लेकर हमला करते है अतिक्रमणकारी
खंडवा डिवीजन के डीएफओ राकेश डामोर के अनुसार, पिछले एक वर्ष से लगातार अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई जारी है। विशेषकर गुड़ी और सरमेश्वर रेंज में यह समस्या अधिक गंभीर है। बारिश के पहले ही गुड़ी रेंज से 2200 हेक्टेयर वन क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है।
बारिश के मौसम में अतिक्रमण के प्रयास बढ़ जाते हैं। अतिक्रमणकारी अवैध खेती और बुआई का प्रयास करते हैं। कार्रवाई के दौरान 150 से 200 की संख्या में एकत्र होकर पथराव करते हैं। उनके पास विभिन्न प्रकार के हथियार भी होते हैं, जिससे वन विभाग के लिए कार्रवाई करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
वन अधिकार अधिनियम के यह हैं नियम
डीएफओ डामोर ने स्पष्ट किया कि वन अधिकार के लिए दो महत्वपूर्ण शर्तें हैं। पहली, व्यक्ति 13 दिसंबर 2005 से पहले से वन भूमि पर काबिज होना चाहिए, और दूसरी, अधिकतम चार एकड़ वन भूमि पर ही व्यक्तिगत दावा किया जा सकता है। खंडवा डिवीजन में 2015 से 2020 के बीच सभी पुराने दावों का निराकरण कर दिया गया है। वर्तमान में न तो विभाग में और न ही जनजातीय कार्य विभाग में कोई दावा लंबित है।

किसान संघ की मांग: वन विभाग ड्रोन से करे दवा का छिड़काव
संयुक्त कृषक संगठन के सिंगोट तहसील अध्यक्ष मुकेश गुर्जर ने कहा कि क्षेत्र के जंगलों में अतिक्रमण करने वाले लोग बाहरी हैं, और इन्हें कुछ राजनेताओं और वन विभाग के अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है। गुर्जर के अनुसार, जेसीबी मशीनों का उपयोग केवल मीडिया की सुर्खियां बटोरने के लिए किया जाता है, जिस पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि वनकर्मियों पर जानलेवा हमले के बावजूद, अतिक्रमणकारियों पर केवल जमानती धाराएं लगाई जाती हैं। सरकार अतिक्रमण रोकने के लिए नाके और वॉच टॉवर बनाने में व्यर्थ खर्च कर रही है।
गुर्जर का सुझाव है कि जंगल को सील करके अतिक्रमणकारियों की फसल पर ड्रोन से दवा का छिड़काव किया जाए। उनका मानना है कि दो-चार साल तक फसल बर्बाद होने से अतिक्रमणकारी स्वयं ही वहां से चले जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार वन विभाग का समर्थन नहीं कर रही है, तो अधिकारियों को इस्तीफा दे देना चाहिए, ताकि सरकार को भी इस मुद्दे पर गंभीरता से सोचना पड़े।
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7000 एकड़ जंगल काटकर फसल उगाई
खंडवा में वन विभाग ने जंगल की जमीन पर अवैध कब्जे को हटाने की बड़ी कार्रवाई की है। वन विभाग की टीम जंगल की 7 हजार एकड़ जमीन पर उगाई गई सोयाबीन और मक्का की फसल को हटाने की कार्रवाई कर रही है। ये फसल जंगल पर कब्जा करने वाले माफिया ने उगाई थी। पढ़ें पूरी खबर…
जंगल काटकर बनाया खेत, बोवनी की तैयारी
खंडवा में जंगल माफिया ने फॉरेस्ट की 10 हजार एकड़ से ज्यादा जमीन पर कब्जा कर रखा है। हरे-भरे हजारों पेड़ काटकर जमीन को खेत में तब्दील कर दिया है। अब यहां बोवनी की तैयारी है। यहां तक कि पेड़ के ठूंठ भी जला दिए गए हैं। बड़ी बात ये है कि ऐसा पिछले चार साल से चल रहा है। पढ़ें पूरी खबर…