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Bhopal Pollution Report: भोपाल की झीलें जहरीली हो रही हैं. उसमें मछलियां मर रही हैं. सैंपल में मानव मल मिला है. एमपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ये रिपोर्ट चौंका रही है.
हाइलाइट्स
- भोपाल के तालाबों में मानव मल मिला है
- छोटा तालाब सबसे प्रदूषित है
- बड़े तालाब का पानी पीने लायक नहीं है
Local 18 की तफ्तीश के दौरान छोटे तालाब के पानी में मछली मरी मिली. ये साफ संकेत हैं कि पानी बेहद गंदा हो चुका है. मध्य प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की ताजा रिपोर्ट की माने तो राजधानी भोपाल के बड़े तालाब, छोटे तालाब, शाहपुरा लेक और हथाईखेड़ा डैम का पानी B और C कैटेगरी का है. इसका मतलब है कि ये पानी सिर्फ बाहरी इस्तेमाल के लायक है. इस पानी को पिया नहीं जा सकता. सिर्फ नहाया जा सकता है, वो भी अगर मजबूरी हो तभी.
राजधानी भोपाल को शहर में मौजूद 14 झीलों की वजह से ‘तालों में ताल भोपाल ताल’ कहा जाता है. कभी आधे से ज्यादा भोपाल को इन्हीं तालाबों से पीने का पानी मिलता था, पर समय के साथ बड़े तालाब से लेकर छोटे तालाब तक का पानी सीवेज और कचरे से जहरीला हो गया है. मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट में तो छोटे तालाब के पानी में मानव मल मिलने की भी बात कही गई है.
पानी में मर रहीं मछलियां
एमपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भोपाल के सभी तालाबों के पानी में जनवरी से लेकर अप्रैल तक प्रदूषण की रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में छोटा तालाब और शाहपुरा लेक सबसे प्रदूषित निकले हैं. भोपाल के छोटे तालाब का हाला बहुत बुरा है. यहां गंदगी भंडार है. जब Local18 की टीम इसकी जांच करने पहुंची तो खटलापुरा घाट पर पानी में मछली मृत मिली. ये बताने के लिए काफी था कि पानी कितना जहरीला हो चुका है.
बड़े तालाब का पानी पीने लायक नहीं
राजधानी भोपाल का बड़ा तालाब शहर की लगभग आधी आबादी को पीने का पानी देता है. मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की साल 2025 की रिपोर्ट में कहा गया कि बड़े तालाब के पानी की क्वालिटी बहुत खराब है. ये पीने लायक नही है.