MP में 7 साल से बंद महिला आयोग! 24 हजार लाड़ली बहनें न्याय को तरस रहीं

MP में 7 साल से बंद महिला आयोग! 24 हजार लाड़ली बहनें न्याय को तरस रहीं


Last Updated:

मध्यप्रदेश में महिलाओं के लिए बने राज्य महिला आयोग की हालत बेहद चिंताजनक है. आयोग बीते सात सालों से पूरी तरह निष्क्रिय है- न अध्यक्ष है, न सदस्य, न कोई सुनवाई. 2018 के बाद से एक भी बेंच नहीं बैठी, जिससे 24,000 …और पढ़ें

एमपी के महिला आयोग में कामकाज बंद है.

हाइलाइट्स

  • महिला आयोग ठप, 24 हजार केस पेंडिंग.
  • कांग्रेस-भाजपा के आरोप-प्रत्यारोप जारी.
  • हर साल हजारों महिलाएं आयोग पहुंचती हैं.
भोपाल. मध्यप्रदेश में महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए बने राज्य महिला आयोग की हालत खुद एक सवाल बन गई है. बीते 7 वर्षों से आयोग पूरी तरह निष्क्रिय पड़ा है. आयोग में न अध्यक्ष हैं, न सदस्य, न ही कोई बेंच बैठ रही है और न ही सुनवाई की प्रक्रिया जारी है. आयोग के नियमों के मुताबिक, किसी भी शिकायत पर 15 दिनों में कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन जब पूरा आयोग ही ठप पड़ा हो तो न्याय की उम्मीद बेमानी लगती है. भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित कार्यालय में सन्नाटा पसरा है- अध्यक्ष और सदस्यों के कक्ष पर ताले लटकते हैं और नेम प्लेट को कागज से ढंक दिया गया है.

जानकारी के अनुसार, आयोग में इस वक्त 24,000 से अधिक शिकायतें लंबित हैं. हर साल औसतन 3,500 महिलाएं अपनी फरियाद लेकर आयोग पहुंचती हैं, लेकिन कार्रवाई न होने के कारण उन्हें केवल निराशा मिलती है.  2018 में तत्कालीन अध्यक्ष लता वानखेड़े का कार्यकाल खत्म हुआ. इसके बाद 2020 में कांग्रेस सरकार ने शोभा ओझा को अध्यक्ष नियुक्त किया, लेकिन सरकार बदलते ही मामला कोर्ट में चला गया. संगीता शर्मा, पूर्व सदस्य महिला आयोग, ने इसे भाजपा सरकार की लापरवाही बताया और कहा कि आयोग के रहते हुए भी नियुक्तियां न होना दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसे में आखिर महिलाओं न्‍याय कैसे मिल सकेगा.

आयोग के बंद दरवाज़ों को ताक रहीं महिलाएं
2023 में भाजपा दोबारा सत्ता में आई, लेकिन तब से अब तक अध्यक्ष या सदस्यों की नियुक्ति नहीं हो पाई है. भाजपा प्रवक्ता गुंजन चौकसे ने भरोसा दिलाया कि जल्द नियुक्तियां होंगी, लेकिन अब तक ठोस कदम नहीं उठाया गया. इधर,  कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मई 2025 में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर आयोग की नियुक्तियों की मांग की. लेकिन जब तक सरकार कोई ठोस निर्णय नहीं लेती, तब तक महिलाएं सिर्फ आयोग के बंद दरवाज़ों को ताकती रहेंगी.

हर साल औसतन 3,500 महिलाएं मांगती है न्‍याय 
आयोग बीते सात सालों से पूरी तरह निष्क्रिय है- न अध्यक्ष है, न सदस्य, न कोई सुनवाई. 2018 के बाद से एक भी बेंच नहीं बैठी, जिससे 24,000 से अधिक शिकायतें लंबित पड़ी हैं. हर साल औसतन 3,500 महिलाएं आयोग में शिकायत करती हैं, लेकिन कार्रवाई न होने से उन्हें निराशा हाथ लगती है. 2020 में कांग्रेस सरकार ने शोभा ओझा को अध्यक्ष बनाया, लेकिन नई सरकार आने के बाद मामला अदालत में अटक गया. 2023 में बीजेपी की वापसी के बाद भी अब तक नियुक्तियां नहीं हो पाईं.

Sumit verma

सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्‍थानों में सजग जिम्‍मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प…और पढ़ें

सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्‍थानों में सजग जिम्‍मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प… और पढ़ें

homemadhya-pradesh

MP में 7 साल से बंद महिला आयोग! 24 हजार लाड़ली बहनें न्याय को तरस रहीं



Source link