बंदी निर्मित वस्तु विक्रय भंडार की खासियत
कैंटीन के बगल में बंदी निर्मित वस्तु विक्रय भंडार नामक एक दुकान भी संचालित होती है. जहां कैदियों द्वारा बनाई गई वस्तुएं बेची जाती हैं. इस स्टॉल में चादरें, दरियां, भगवान की मूर्तियां, लकड़ी के खिलौने, सजावट के सामान जैसे कई उत्पाद उपलब्ध हैं. 302 की सजा काट रहे बंदी संदीप द्विवेदी ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि एक चादर की कीमत 110 रुपये, दरी 150 रुपये और मूर्तियाँ 100 से 150 रुपये में मिलती हैं. लकड़ी के खिलौने और सजावटी सामान 150 से 200 रुपये तक बेचे जाते हैं.
यह कैंटीन कैदियों के द्वारा शिफ्ट के हिसाब से चलाई जाती है. 302 के एक और बंदी राम सागर राजपूत ने बताया कि वे रोज सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक कैंटीन में ड्यूटी करते हैं. उनके साथ 4-5 अन्य बंदी मिलकर काम करते हैं. उनका कहना है कि यहाँ काम करके उन्हें आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता का अनुभव होता है.
कैदियों के लिए खरीद की सुविधा
जेल में बंद बंदियों के लिए यह कैंटीन एक महत्वपूर्ण स्रोत है. यहां उन्हें रोजमर्रा की वस्तुएं जैसे बिस्किट, नमकीन, फल, सब्ज़ियां, टूथब्रश, कपड़े आदि सब कुछ उपलब्ध होता है. कैदियों के परिजन कैंटीन से कूपन के माध्यम से खरीदारी करते हैं. ये सामान बाद में जेल के अंदर बंदियों तक पहुंचता है.
अपने बेटे के लिए यहां सामान लेने आए बद्री प्रसाद जायसवाल ने लोकल 18 को बताया यहाँ सब कुछ कूपन के आधार पर मिलता है. कूपन के जरिए ही सामान कैदियों को भेजा जाता है. शासन ने कैदियों की मासिक खरीद की सीमा को 1500 से बढ़ाकर 2000 रुपये कर दी है, जिससे अब वे एक महीने में चार बार 500 रुपये की खरीदारी कर सकते हैं.
पुनः प्रारंभ हुई कैंटीन
केंद्रीय जेल सतना की अधीक्षक लीना कोष्टा ने लोकल 18 को बताया कि यह कैंटीन पहले भी संचालित होती थी लेकिन कुछ कारणों से बंद कर दी गई थी. बाद में वर्ष 2021 में इसका संचालन दोबारा शुरू किया गया. उन्होंने बताया कि पहले यह कैंटीन एक छोटे से कमरे में संचालित होती थी, लेकिन पिछले चार-पांच वर्षों में जो लाभ हुआ उसी से नई कैंटीन का निर्माण कराया गया. इसके अलावा जेल में कैदियों द्वारा बनाई गई वस्तुओं का एक आउटलेट भी खोला गया है, जिससे आम नागरिक भी खरीदारी कर सकते हैं.
पुनर्वास की मिसाल बनी सतना सेंट्रल जेल
सतना की यह पहल न केवल कैदियों को रोजगार का अनुभव देती है, बल्कि उन्हें समाज में पुनः सम्मान के साथ लौटने की दिशा में भी मदद करती है. यहां कार्यरत बंदियों को जेल से जो मेहनताना मिलता है. वे उसे कैंटीन में खरीदारी हेतु जमा कराते हैं. वहीं, जो कैदी पैसा जमा नहीं करते उनके परिजन कूपन के माध्यम से आवश्यक वस्तुएं भेजते हैं. यह मॉडल सतना की केंद्रीय जेल को पुनर्वास केंद्र के रूप में प्रस्तुत करता है. जहां कैदी न केवल दंड भुगतते हैं, बल्कि कुछ नया सीखते हुए समाज की मुख्यधारा से जुड़ने की तैयारी भी करते हैं.