नरसिंहपुर में बिना छात्रों वाले 4 स्कूलों की जांच शुरू: प्राइमरी स्कूलों में 8 साल से बच्चे दर्ज नहीं, 8 टीचर घर बैठे ले रहे सैलरी – Narsinghpur News

नरसिंहपुर में बिना छात्रों वाले 4 स्कूलों की जांच शुरू:  प्राइमरी स्कूलों में 8 साल से बच्चे दर्ज नहीं, 8 टीचर घर बैठे ले रहे सैलरी – Narsinghpur News


शिक्षामंत्री के जिले में बिना बच्चों वाले 4 स्कूल: नरसिंहपुर के प्राइमरी स्कूल में 8 साल से बच्चे दर्ज नहीं, 8 टीचर घर बैठे ले रहे सैलरी…दैनिक भास्कर में इस शीर्षक से खबर प्रकाशित होने के बाद शिक्षा विभाग ने जांच शुरू कर दी है।

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प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी सलीम खान ने बताया कि फिलहाल चार स्कूलों को संज्ञान में लिया गया है और गाडरवाड़ा बीओ से जांच कराई गई है। जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की तैयारी है।

ये शासकीय प्राथमिक स्कूल जांच के दायरे में

पिंडरई: नमिता राजपूत, रज्जू लाल मेहरा, सेहरा बड़ा: आशा बेलवंशी, शरद कुमार पांडे, महेश्वर: सोनू मालव, दीप कुमार लोधी और गौंडी धुबघट: अतुल कुमार शर्मा, चंचल शर्मा। ये सभी शिक्षक वर्षों से स्कूल नहीं जा रहे, लेकिन हर महीने औसतन 50-50 हजार रुपए वेतन ले रहे हैं। यानी सिर्फ वेतन पर हर महीने 4 लाख रुपए और साल भर में 48 लाख रुपए से ज्यादा खर्च हो रहा है। इसके अलावा रखरखाव व अन्य खर्चों में भी 2 लाख रुपए प्रतिमाह, यानी कुल 50 लाख से अधिक की बर्बादी हो रही है। प्रभारी डीईओ सलीम खान ने कहा कि शून्य शिक्षकीय स्कूलों से संबंधित दो अलग-अलग पत्र डीपीआई भोपाल को भेजे गए हैं। ये कार्रवाई सुमनकांत जैन के माध्यम से हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, जिन शिक्षकों की उपस्थिति वर्षों से शून्य है, उन्हें रिक्त स्कूलों में ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। सलीम खान ने यह भी माना कि पूर्व के बीआरसी, बीएसी और डीपीसी ने इस मामले को समय पर गंभीरता से नहीं लिया। अब जैसे ही पूरा डेटा स्पष्ट होगा, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी सलीम खान।

प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी सलीम खान।

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बाहर दरवाजे पर जड़ा ताला। ऊपर चारों ओर लगे मकड़ी के जाल। खुली खिड़कियों में से अंदर दिख रहा टूटा-फूटा और गंदा फर्श। फैली गंदी किताबें। कमरे के बीचों-बीच कुर्सी पड़ी है। कमरे में चारों ओर धूल जमा है।’

ये नरसिंहपुर जिले के करेली ब्लॉक का गोंडी धुबघट स्थित प्राइमरी स्कूल है। चर्चा इसलिए, क्योंकि गांव वालों की मानें तो इस स्कूल के रिकॉर्ड में एक भी बच्चा दर्ज नहीं है। यहां दो टीचर भी पदस्थ हैं। वे आठ साल में सिर्फ दो ही दिन राष्ट्रीय त्योहार पर आते हैं। बाकी दिन स्कूल में ताला पड़ा रहता है। उससे भी बड़ी बात है कि टीचर्स लगातार सरकार से सैलरी लेते रहे हैं।

इसका खुलासा तब हुआ, जब हाल में प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी सलीम खान ने स्कूल और टीचर्स की रिपोर्ट मंगवाई। जिले में ऐसे चार प्राइमरी स्कूल मिले, जहां बच्चों की संख्या शून्य है। हर स्कूल में दो टीचर पदस्थ हैं। सभी आठ टीचर मुफ्त की तनख्वाह भी ले रहे हैं। अब प्रभारी डीईओ ने शिक्षामंत्री उदय प्रताप सिंह और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है। पूरी खबर पढ़ें…



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