स्नेक बाइट पीड़ितों को 108 एम्बुलेंस की मदद से अस्पताल तक पहुंचाने के मामले में रीवा प्रदेश में दूसरे नंबर पर है। जबकि सागर जिला पहले नंबर है।
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जानकारी के अनुसार, रीवा में इस बरसाती सीजन में 1 जनवरी से 30 जून तक 223 को 108 एम्बुलेंस की मदद से अस्पताल पहुंचाया जा चुका है। जबकि सागर जिले में सर्वाधिक 311 मरीजों को 108 की मदद से अस्पताल भेजा गया है।
वास्तविक आंकड़ा कई ज्यादा हो सकता है स्नेक बाइट के मरीजों का यह सर्वे 108 एम्बुलेंस प्रदाता कंपनी ने किया है। यह आंकड़ा सिर्फ एम्बुलेंस से अस्पताल पहुंचाए गए लोगों का है। वास्तविक आंकड़ा इससे कई गुना ज्यादा हो सकता है। हालांकि मौत के आंकड़े क्या है, इसे लेकर कोई रिपोर्ट जारी नहीं की गई है।
डॉक्टर बोले- तत्काल अस्पताल ले जाना चाहिए सर्पदंश को लेकर संजय गांधी अस्पताल के सीएमओ डॉक्टर रत्नेश त्रिपाठी का कहना है कि काटी गई जगह पर टाइट रस्सी, रुमाल न बांधे क्योंकि इससे खून का संचार तेज गति से बढ़ता है। जहर के फैसले की संभावना भी बढ़ जाती है। ऐसे में मरीज को लेकर तत्काल नजदीकी अस्पताल जाएं, झाड़ फूक के चक्कर में न फंसे।
उन्होंने बताया कि सांप काटने के बाद उसका जहर उतारने के चक्कर में इधर-उधर भटकते रहते हैं, ऐसे में जहर पूरे शरीर में फैल जाता है और मरीज की मौत हो जाती है। हालांकि 99 प्रतिशत सांप जहरीले नहीं होते हैं।

