गंजबासौदा पुलिस की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। 17 जुलाई को प्रजापति और गुर्जर समाज के बीच हुए विवाद की एफआईआर में ऐसे दो लोगों के नाम दर्ज कर दिए गए, जिनकी मौत करीब 10 साल पहले ही हो चुकी है। यही नहीं, एक निर्दोष युवक करण सिंह गुर्जर, जो मौके
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इस पूरे मामले से आहत होकर गुर्जर समाज के सैकड़ों लोग सोमवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रशांत चौबे को ज्ञापन सौंपते हुए निष्पक्ष जांच और गलत नाम हटाने की मांग की।
घटना के वक्त गंजबासौदा में था, CCTV फुटेज भी दिए हैं: करण सिंह एफआईआर में झूठे आरोपों में फंसाए गए करण सिंह गुर्जर ने बताया कि विवाद के वक्त वह गंजबासौदा में मौजूद थे। उन्होंने पुलिस को अपनी मौजूदगी के सीसीटीवी फुटेज भी सौंपे हैं। करण ने मांग की है कि उन्हें झूठे प्रकरण से तत्काल मुक्त किया जाए।
एएसपी ने दी सफाई, कहा – जांच के बाद होगी वैधानिक कार्रवाई
एएसपी प्रशांत चौबे ने बताया कि घटना के बाद जो शिकायत प्राप्त हुई, उसी के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी। अब जब समाज की ओर से गलत नामों की शिकायत आई है, तो मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एफआईआर में नाम पीड़ित पक्ष द्वारा बताए अनुसार दर्ज किए जाते हैं, लेकिन जांच में तथ्य भिन्न पाए जाते हैं, तो वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
समाज में आक्रोश, कार्रवाई की मांग गुर्जर समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि मृत लोगों पर केस दर्ज करना पुलिस की लापरवाही का प्रमाण है। उन्होंने मांग की कि संबंधित पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए और निर्दोषों को तुरंत आरोपों से मुक्त किया जाए।