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Famous Shiv Temple Chhatarpur. सावन का महीना जारी है और इस महीने में हर श्रद्धालु महादेव के दर्शन करना चाहता है. छतरपुर में भी महादेव के चमत्कारिक मंदिर हैं, जहां हर श्रद्धालु जाना चाहता है. क्योंकि इन मंदिरों में दर्शन मात्र से ही इच्छाएं पूरी हो जाती हैं. सावन के महीने में इन मंदिरों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु हर दिन आते हैं
छतरपुर के नौगांव क्षेत्र के अच्चट गांव स्थित सिद्ध पहाड़ी पर स्थित लगभग 11 वीं शताब्दी की 1008 मुखी शिव का मंदिर भक्तों के लिए प्रमुख आस्था का केंद्र बना है. इस एक हजार आठ मुख वाले भगवान शिव के दरबार में इन दिनों सावन मास में दूर-दूर से भक्त पहुंच कर अपनी सुख समृद्धि की कामना कर रहे हैं.

छतरपुर के बिजावर तहसील में स्थित जटाशंकर धाम जिसे केदारनाथ मंदिर भी कहा जाता है. यह धाम भगवान शिव की अनूठी कृपा और कई अलौकिक शक्तियों के लिए जाना जाता है. इस धाम के अंदर तीन कुंड मौजूद हैं, जिसमें से ठंडा, गर्म और साधारण पानी आता है. ऐसा माना जाता है कि इन कुंडों में स्नान करने से बड़े से बड़ा चर्म रोग दूर हो जाता है. यही वजह है कि लोग यहां से जल लेकर अपने-अपने घर ले जाते हैं.

मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग मौजूद है, जो स्वयंभू हैं. माना जाता है कि, सदियों पहले यह शिवलिंग अपने आप प्रकट हुआ था, जो आज भी ज्यों का त्यों बना हुआ है. पहाड़ियों के बीच घिरा जय शिव धाम ऐसा प्रतीत होता है कि मानो भगवान प्रकृति की गोद में बैठकर लोगों का कल्याण कर रहे हैं.

खजुराहो में स्थित भगवान शिव का ये मंदिर कुंवर मठ के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि, ज्यादातर लोग इस मंदिर को दूल्हा देव मंदिर के नाम से ही जानते हैं. साक्ष्यों के अनुसार, दूल्हा देव मंदिर का निर्माण चंदेल वंश के राजा मदन वर्मन ने 1130 ईस्वी में करवाया था.

मंदिर के गर्भगृह में एक सुंदर शिवलिंग स्थापित है. मंदिर की एक दिलचस्प विशेषता यह है कि इसमें पवित्र शिवलिंग की सतह पर 999 लिंग उकेरे गए हैं. ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग की एक परिक्रमा 1000 परिक्रमाओं के बराबर होती है. शिवलिंग के अलावा, मंदिर में भगवान गणेश, देवी पार्वती और देवी गंगा जैसे अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं.

खजुराहो में स्थित मंतगेश्वर महादेव मंदिर अपने आप में अनोखा है. लेख में बताते हैं कि इस मंदिर में जो शिवलिंग है वह जितना ऊपर है उतना ही नीचे है. यह शिवलिंग 9 फीट ऊपर है और 9 फीट नीचे है. यह शिवलिंग कुल 18 फीट का है. यह मंदिर खजुराहो में सबसे पहले बना था. इस मंदिर का निर्माण 8-9वीं शताब्दी में बना था और बाकी कलाकृति वाले जो मंदिर है वह 10-11वीं शताब्दी के बने हैं.

बता दें, यह शिवलिंग हर वर्ष 1 चावल दाने के बराबर बढ़ता है. बढ़ते बढ़ते यह शिवलिंग 18 फीट का हो गया है. उस समय हर वर्ष शरद पूर्णिमा पर शिवलिंग नापा जाता था. इसकी बढ़ती लंबाई को देखते हुए शिवलिंग पर मंत्रों द्वारा कील स्पर्श कराई गई थी. जिससे शिवलिंग की बढ़ती लंबाई की तेज गति को स्थिर कर दिया गया था. हांलाकि, आज भी मान्यता है कि शिवलिंग की लंबाई हर वर्ष बढ़ती है.

शिवलिंग को हांथ से स्पर्श करने पर यहां श्रद्वालुओं की मनोकामना पूरी हो जाती है. हांथ से स्पर्श करने पर श्रद्धालुओं को एहसास होता है कि उनकी मनोकामना पूरी होती है.