एक तरफ मांडू में नाच-गाना, दूसरी ओर दलदल में दंडवत! कांग्रेस के दो चेहरे

एक तरफ मांडू में नाच-गाना, दूसरी ओर दलदल में दंडवत! कांग्रेस के दो चेहरे


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मध्य प्रदेश में कांग्रेस एक ओर जहां मांडू के फाइव स्‍टार रिसॉर्ट में चुनावी रणनीति और नाच-गाने के मनोरंजन से भरे नव संकल्प शिविर में जुटी रही; वहीं, पन्ना जिले में कांग्रेस नेता अनिल तिवारी ने जनसरोकारों को लेक…और पढ़ें

पन्‍ना में कांग्रेस नेता की दंडवत यात्रा चर्चा में है.

हाइलाइट्स

  • मांडू शिविर में कांग्रेस नेताओं के डांस का वीडियो वायरल.
  • पन्‍ना में कांग्रेस नेता दलदल में दंडवत करते हुए संघर्ष कर रहा.
  • अफसरों को नहीं, गौशाला और मंदिरों को सौंप रहा है ज्ञापन.
पन्‍ना.  मध्य प्रदेश की राजनीति में इन दिनों एक अजीब विरोधाभास देखने को मिल रहा है. एक तरफ कांग्रेस के बड़े नेता मांडू के आलीशान रिसॉर्ट में ‘नव संकल्प शिविर’ के बहाने नाच-गाने और नारों में व्यस्त हैं, वहीं दूसरी तरफ उसी पार्टी का एक स्थानीय नेता पन्ना जिले की बदहाल हकीकत को सामने लाने के लिए कीचड़ में लोट-लोटकर दंडवत यात्रा कर रहा है. कांग्रेस नेता अनिल तिवारी की यह यात्रा ना सिर्फ प्रतीकात्मक विरोध है, बल्कि यह उस सच्चाई को उजागर कर रही है जिसे विकास के तमाम दावों ने ढंक रखा है. अनिल तिवारी का कहना है कि आजादी के 78 साल बाद भी उनके इलाके में न तो सही सड़कें हैं, न अस्पताल, न स्कूलों की दशा ठीक है.

मांडू में जहां कांग्रेस का फोकस मिशन 2028 की चुनावी रणनीति और सामाजिक गठजोड़ों पर था, वहीं पन्ना जिले की पवई विधानसभा में उसी पार्टी के नेता अनिल तिवारी ने गांवों की दुर्दशा के खिलाफ सात दिवसीय दंडवत यात्रा शुरू कर दी. 21 जुलाई को मलघन गांव से शुरू हुई यह यात्रा कीचड़, दलदल और टूटी-फूटी पगडंडियों से होकर गुजर रही है. यह विरोध जर्जर सड़कों, खराब स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा सुविधाओं की बदहाली को लेकर है. यात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीण और कांग्रेस कार्यकर्ता भी शामिल हैं, जो ‘रघुपति राघव राजा राम’ जैसे भजनों के साथ तिवारी के साथ-साथ चलते हैं.

मांडू शिविर में कलाकारों के साथ कांग्रेस विधायकों ने जमकर डांस किया.
आजादी के 78 वर्षों बाद भी न तो पक्की सड़कें और ना ही अस्‍पताल 
अनिल तिवारी का कहना है कि आजादी के 78 वर्षों बाद भी उनके क्षेत्र की हालत जस की तस है. गांवों में न तो पक्की सड़कें हैं, न प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र काम कर रहे हैं, और न ही स्कूलों की स्थिति सुधरी है. हालत यह है कि इमरजेंसी में वाहन गांव तक नहीं पहुंचते, गर्भवती महिलाओं को आज भी चारपाई पर उठाकर ले जाना पड़ता है, और बच्चे गड्ढों व दलदल से होकर स्कूल जाते हैं. उन्होंने बताया कि ज्ञापन, आवेदन और विरोध सब कुछ कर लिया गया, लेकिन जब शासन-प्रशासन ने आंखें मूंद लीं, तो यह यात्रा ही आखिरी रास्ता बची.

मंदिरों और गौशालाओं में जाकर ज्ञापन दे रहे
अब अनिल तिवारी सिर्फ अफसरों से नहीं, बल्कि आस्था से भी जवाब मांग रहे हैं. वे हर गांव में मंदिरों और गौशालाओं में जाकर ज्ञापन दे रहे हैं. उनका कहना है, “जब सरकार संवेदनहीन हो जाए, तो भगवान के सामने गांवों की पीड़ा रखनी पड़ती है.” सात दिन की यह यात्रा हर उस गांव तक पहुंचेगी जहां विकास की बुनियादी ज़रूरतें अब भी अधूरी हैं. उन्‍होंने कहा कि यह विरोध केवल प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक ऐसा जीवंत दस्तावेज है जो उस सिस्टम पर सवाल खड़े करता है जो मंचों पर तो तालियां बटोरता है, लेकिन जमीन की सच्चाई से मुंह मोड़े बैठा है.

Sumit verma

सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्‍थानों में सजग जिम्‍मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प…और पढ़ें

सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्‍थानों में सजग जिम्‍मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प… और पढ़ें

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