गंभीर को आंख दिखा रहे शुभमन गिल? टीम इंडिया में चरम पर पॉलिटिक्स, कमजोर पड़ रही हेड कोच की पकड़?

गंभीर को आंख दिखा रहे शुभमन गिल? टीम इंडिया में चरम पर पॉलिटिक्स, कमजोर पड़ रही हेड कोच की पकड़?


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Anshul Kamboj vs Harshit Rana: हर सीरीज/दौरे पर एक नए खिलाड़ी को आजमाने की रणनीति भारतीय टीम को फायदे सा ज्यादा नुकसान कर सकती है. क्या हेड कोच गौतम गंभीर अब कप्तान शुभमन गिल पर कंट्रोल नहीं रख पा रहे?

हर्षित राणा VS अंशुल कंबोज

हाइलाइट्स

  • इंग्लैंड दौरे की भारतीय टेस्ट टीम के चयन पर सवाल
  • हर्षित राणा की अनदेखी और अंशुल कंबोज का चयन
  • क्या गौतम गंभीर और शुभमन गिल में तालमेल की कमी?
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट की सिलेक्शन पॉलिसी एक बार फिर सवालों के घेरे में है. प्लेयर्स को रोज पहनने वाले कपड़ों की तरह बदला जा रहा है. मौजूदा घटनाक्रम चीख-चीखकर कह रहा कि कप्तान और कोच के बीच मतभेद है! पहले युवा तेज गेंदबाज हर्षित राणा को इंग्लैंड टेस्ट सीरीज के लिए बतौर कवर शामिल किया गया था, मगर अचानक अपेक्षाकृत कम अनुभवी अंशुल कंबोज को टीम में शामिल करना कई तरह के संदेह और प्रश्न खड़े करता है.

सवाल उठता है कि क्या टीम मैनेजमेंट सिलेक्शन को लेकर कन्फ्यूज है? क्या हेड कोच गौतम गंभीर अब कप्तान शुभमन गिल पर कंट्रोल नहीं रख पा रहे?

यह चयन क्रिकेटिंग लॉजिक पर खरा नहीं उतरता
दरअसल, हर्षित राणा ने IPL 2024 और India A के स्तर पर अपनी काबिलियत और फिटनेस दोनों साबित की है. उन्हें बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चंद महीने पहले टेस्ट डेब्यू करवाया गया था. मगर अचानक ड्रॉप कर अंशुल कंबोज को इंग्लैंड बुलाना बताता है कि या तो चयनकर्ताओं के पास स्पष्ट प्लानिंग नहीं हैं या फिर टीम के अंदर कुछ ऐसा चल रहा है जिसे फैंस से छुपाया जा रहा है.

क्या गिल-गंभीर के बीच सबकुछ सही?
भारत के नए कोच गौतम गंभीर की पहचान एक कठोर और जीत को प्राथमिकता देने वाले रणनीतिकार के रूप में है. दूसरी ओर शुभमन गिल बिलकुल ही नए कप्तान है. शायद अपनी जगह पक्की करने की कोशिश में ज्यादा प्लेयर-फ्रेंडली अप्रोच अपना रहे हैं. अगर गिल कुछ चयन फैसलों में ज्यादा हस्तक्षेप कर रहे हैं तो ये कोच और कप्तान के बीच पावर बैलेंस को प्रभावित कर सकता है. यहां बताना जरूरी हो जाता है कि हर्षित राणा को गौतम गंभीर का पसंदीदा प्लेयर माना जाता है. गंभीर जिस तरह से राणा पर भरोसा जताते हैं अगर उनका बस चलता तो कंबोज की जगह वही टीम में शामिल होते.

खिलाड़ियों को लॉन्ग रोप देने की सख्त जरूरत
भारत के पास टैलेंट की कोई कमी नहीं है. हर्षित राणा और अंशुल कंबोज दोनों ही बेहद टैलेंटेड तेज गेंदबाज हैं और दोनों ने खुद को साबित करके ही यहां तक जगह बनाई है, लेकिन चयन में निरंतरता, प्लानिंग और लीडरशिप में स्पष्टता नहीं रही तो आने वाले साल में भारत की टेस्ट टीम सिर्फ ‘युवा चेहरों का कारवां’ बनकर रह जाएगी, जिसमें अनुभव की गहराई, संयम और मैच जीतने की ठोस रणनीति का अभाव होगा.

Anshul Talmale

फरवरी 2025 से नेटवर्क 18 समूह में डिप्टी न्यूज एडिटर के पद पर कार्यरत. पत्रकारिता में एक दशक का अनुभव. बतौर रिपोर्टर कई नेशनल-इंटरनेशनल इवेंट के साक्षी. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से करियर की शुरुआत. जागरण न्यू मीडिया…और पढ़ें

फरवरी 2025 से नेटवर्क 18 समूह में डिप्टी न्यूज एडिटर के पद पर कार्यरत. पत्रकारिता में एक दशक का अनुभव. बतौर रिपोर्टर कई नेशनल-इंटरनेशनल इवेंट के साक्षी. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से करियर की शुरुआत. जागरण न्यू मीडिया… और पढ़ें

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