डिजिटल लत से बचाने का काम करेंगे दोस्त: भोपाल में लॉन्च हुए नेशनल मॉड्यूल में यंग मेंटल हेल्थ पर फोकस; किशोरों को मिलेगी ट्रेनिंग – Bhopal News

डिजिटल लत से बचाने का काम करेंगे दोस्त:  भोपाल में लॉन्च हुए नेशनल मॉड्यूल में यंग मेंटल हेल्थ पर फोकस; किशोरों को मिलेगी ट्रेनिंग – Bhopal News



आज के दौर में किशोरों की मुस्कान के पीछे छिपा मानसिक तनाव अक्सर अनदेखा रह जाता है। पढ़ाई, करियर, सोशल मीडिया और पारिवारिक अपेक्षाओं का बोझ उन्हें भीतर ही भीतर तोड़ देता है। आंकड़े बताते हैं कि मानसिक समस्याएं किशोरों की जीवन गुणवत्ता पर गंभीर असर डाल

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ऐसे में भारत सरकार, NIMHANS और यूनिसेफ ने एक बड़ी पहल की है। जिसका नाम आई सपोर्ट माय फ्रेंड्स रखा गया है। यह अभियान युवाओं को यह सिखाएगा कि वे न सिर्फ खुद के मेंटल हेल्थ का ख्याल रखें बल्कि अपने दोस्तों को भी सहयोग देकर उन्हें डिजिटल लत, अवसाद और तनाव से बाहर निकालें।

यह नया मॉड्यूल पहले से चल रहे राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (RKSK) में शामिल पीयर-सपोर्ट (साथी सहयोग) पहल का विस्तार है। भोपाल में इस नए मॉडल के लॉन्च के दौरान उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा, किशोरों को अपने और साथियों के मेंटल हेल्थ का ख्याल रखने के लिए सक्षम बनाना राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य में निवेश है।

मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को सामान्य स्वास्थ्य का हिस्सा समझकर खुलकर चर्चा करना जरूरी है। माता-पिता और शिक्षक यदि शुरुआती लक्षण पहचानें और सहयोग दें, तो किशोरों का मानसिक बोझ काफी हद तक कम हो सकता है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन संचालक डॉ. सलोनी सिडाना ने कहा कि प्रदेश किशोर मानसिक स्वास्थ्य पर ठोस कार्ययोजना को लागू करने में अग्रणी है। इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य, स्कूल शिक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और AIIMS, TISS, NIMHANS व सेंटर फॉर मेंटल हेल्थ लॉ एंड पॉलिसी के विशेषज्ञ शामिल हुए।

जरूरी है पीयर-सपोर्ट यूनिसेफ के अनुसार, पीयर-सपोर्ट यानी साथी सहयोग मानसिक संकट की पहचान और शुरुआती हस्तक्षेप का प्रभावी तरीका है। यह नया प्रशिक्षण मॉड्यूल लुक, लिसन, लिंक (देखें, सुनें, जोड़ें) फ्रेमवर्क पर आधारित है। इसमें किशोरों को सिखाया जाएगा कि वे भावनात्मक संकट से गुजर रहे दोस्तों को समझें, सही तरीके से सुनें और उन्हें विशेषज्ञ सहायता से जोड़ें।

प्रशिक्षण मॉड्यूल की खासियत

  • एक-दिवसीय सघन प्रशिक्षण, जो इंटरेक्टिव गतिविधियों और केस स्टडी पर आधारित है।
  • भावनात्मक समझ और संवाद कौशल पर विशेष ध्यान।
  • संकट की पहचान कर विशेषज्ञ सहायता से जोड़ने का अभ्यास।

किशोरों में मानसिक तनाव के प्रमुख लक्षण

  • बार-बार उदासी, चिड़चिड़ापन या गुस्सा आना।
  • पढ़ाई या खेल में रुचि का कम होना।
  • दोस्तों और परिवार से दूरी बनाना।
  • नींद की समस्या या भूख में बदलाव।
  • खुद को बेकार महसूस करना या आत्म-संदेह।

मेंटल हेल्थ को एकीकृत करना जरूरी

यूनिसेफ इंडिया के स्वास्थ्य प्रमुख डॉ. विवेक सिंह ने कहा, युवा-नेतृत्व से भारत में मेंटल हेल्थ को एकीकृत करने की आवश्यकता है। यूनिसेफ इस दिशा में सरकार के साथ खड़ा है। NIMHANS की निदेशक डॉ. प्रतिमा मूर्ति ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य सहायता को दैनिक जीवन के परिवेश में समाहित करना होगा।

सामाजिक कलंक से मुक्त होना जरूरी

सत्र में यह चर्चा हुई कि मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के इर्द-गिर्द बने सामाजिक कलंक को दूर करना जरूरी है। पारिवारिक अपेक्षाएं, रिश्तों में तनाव और शैक्षणिक दबाव किशोरों पर गहरा असर डालते हैं। यूनिसेफ मध्य प्रदेश के प्रमुख अनिल गुलाटी ने कहा, सुरक्षित वातावरण और प्रशिक्षित पीयर-सपोर्टर ही हर किशोर तक सहयोग और आशा पहुंचा सकते हैं।

पीयर-सपोर्ट के फायदे

  • किशोर अपने दोस्त से खुलकर अपनी बात साझा कर सकते हैं।
  • तुरंत भावनात्मक सहारा और हौसला मिलता है।
  • मानसिक संकट की जल्दी पहचान और सही दिशा में मदद।
  • सहयोग से आत्मविश्वास और आपसी भरोसा बढ़ता है।
  • समय रहते पेशेवर सहायता से जुड़ने का अवसर।



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