बाढ़ राहत और अतिवृष्टि की स्थिति में प्रशासनिक तैयारियों की समीक्षा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने की।
प्रदेश के कई जिलों में बारिश के कारण बने बाढ़ के हालातों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। मौसम विभाग से मिलने वाले बारिश के पूर्वानुमान को देखते हुए सरकार ने आने वाले दिनों में बाढ़ और अतिवृष्टि के दौर में सतर्क रहने की तैयारी शुरू कर दी है।
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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि अतिवर्षा और बाढ़ की स्थिति में जान-माल की हानि न हो, इसके लिए समय रहते सूचना-तंत्र की पुख्ता व्यवस्था की जाए। राज्य शासन जनसामान्य की सुरक्षा के प्रति संवेदनशील है। जिन नदियों में बाढ़ की स्थिति बन सकती है उन नदियों के जल स्तर के लेवल की लगातार निगरानी रखी जाए।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा-
बाढ़ संवेदनशील क्षेत्रों का पूर्व आंकलन कर राहत कैंप की तैयारी रखें। आवश्यकता होने पर राहत शिविर लगाकर आवास और भोजन उपलब्ध कराया जाए। इन कार्यों में आवश्यकता होने पर सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाए।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को प्रदेश में अतिवृष्टि एवं बाढ़ के मद्देनजर मंत्रालय में तैयारियों की समीक्षा की। बैठक में राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा, किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंसाना, मुख्य सचिव अनुराग जैन, पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

अब तक 61 प्रतिशत से अधिक बारिश बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में अब तक 61 प्रतिशत से अधिक वर्षा हुई है। सर्वाधिक वर्षा टीकमगढ़, मंडला, छतरपुर, निवाड़ी और सीधी में दर्ज की गई। आगामी महीनों में बारिश के अनुमान को देखते हुए प्रदेश में बाढ़ और अतिवृष्टि से बचाव के लिए एनडीआरएफ की 2 टीमों को भोपाल में, एक-एक टीम जबलपुर, ग्वालियर और धार में तैनात की गई हैं।
एसडीईआरएफ की टीमें भी तैनात हैं। आपदा की स्थिति में सेना से सहायता प्राप्त करने के लिए सेना के जिलेवार नोडल अधिकारियों की सूची जिलों को प्रदान की गई है। जिलों को मोटर बोट, लाइफ जैकेट, फ्लड लाइट, प्राथमिक उपचार किट और अन्य आपदा उपकरण उपलब्ध करा दिए गए हैं। बैठक में प्रदेश के बांधों में जलभराव की स्थिति की जानकारी भी दी गई।