गजराराजा मेडिकल कॉलेज (जीआरएमसी) में स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल वर्क के लिए एक समय शव नहीं मिलने से संकट था, लेकिन वर्ष 2024 के बाद जीआरएमसी प्रबंधन की ओर से शवदान करने वाले परिजनों के सम्मान की योजना शुरू की। इसके बाद स्थिति यह हुई कि औसतन एक वर्ष मे
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देहदान के आंकड़े भी इस ओर इशारा करते हैं। वर्ष 2023 में जीआरएमसी को केवल 3 शव ही देहदान स्वरूप प्राप्त हुए थे। वहीं 1 जनवरी 2024 से जुलाई 2025 के बीच, यानी मात्र 19 महीनों में 19 शव कॉलेज को मिल चुके हैं। वहीं जीआरएमसी की इस योजना के बाद राज्य शासन ने प्रदेशभर में इसे लागू किया।
2024 से की शुरुआत, 15 अगस्त को सम्मान जीआरएमसी के डीन डॉ.आरकेएस धाकड़ ने बताया कि वर्ष 2023 तक कॉलेज को देहदान के रूप में सालभर में केवल 2 से 3 ही शव मिलते थे, जिससे मेडिकल छात्रों की शैक्षणिक प्रैक्टिस प्रभावित हो रही थी। इसलिए सभी विभागाध्यक्ष की बैठक में निर्णय लिया गया कि देहदान करने वाले परिजनों को सम्मानित किया जाएगा। वर्ष 2024 से इसकी शुरुआत की। 15 अगस्त 2024 को ऐसे लोगों को सम्मानित किया गया।
प्रशासन ने भी बढ़ाया कदम
इस सफल पहल के बाद मध्यप्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने भी 1 जुलाई 2025 को एक आदेश जारी किया। आदेश के अनुसार, देहदान करने वाले व्यक्तियों को मरणोपरांत गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा। साथ ही, उनके परिजनों को जिलास्तरीय 26 जनवरी व 15 अगस्त के आयोजनों में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित कर सम्मानित करने के आदेश दिए हैं।
इसलिए आवश्यक: मेडिकल स्टूडेंट्स को थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल भी बहुत जरूरी है। इसके लिए उन्हें शव की आवश्यकता पड़ती है। देहदान होने से न केवल मेडिकल छात्रों को बेहतर शिक्षा मिलेगी, बल्कि प्रैक्टिकल के माध्यम से वे योग्य डॉक्टर बन सकेंगे।