क्या आपने कभी ऐसा शिवलिंग देखा है जो हर साल अपने आप थोड़ा-थोड़ा बढ़ जाए? मध्यप्रदेश के खंडवा शहर में एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान शिव का शिवलिंग तिल-तिल बढ़ता है, और यही नहीं ये शिवलिंग धरती से खुद प्रकट हुआ है, यानी स्वयंभू!
खंडवा का रामगंज बुधवारा इलाका वैसे तो शांत रहता है, लेकिन सावन में यहां की रौनक देखते ही बनती है. इस इलाके में स्थित है “श्री तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर“, जो सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि एक रहस्य भी है.
यहां का सबसे बड़ा चमत्कार ये है कि मंदिर का शिवलिंग हर साल मकर संक्रांति के दिन तिल के दाने जितना ऊंचा हो जाता है. ये बात सिर्फ कहने की नहीं पुजारी परिवार की 16वीं पीढ़ी तक के लोग इसे देख चुके हैं. पंडित ओमप्रकाश योगी, जो इस मंदिर की सेवा कर रहे हैं, बताते हैं, “हमारे पूर्वजों ने इसे अपनी आंखों से बढ़ते देखा है. ये कोई आम शिवलिंग नहीं, बल्कि स्वयंभू है.”
ये मंदिर ऊपर से जितना छोटा दिखता है, अंदर से उतना ही गहरा है. यहां दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं को सीढ़ियों से नीचे उतरना पड़ता है. नीचे पहुंचकर लगता है जैसे भोलेनाथ की गुफा में आ गए हों.
एक और कमाल की बात शिवलिंग की जलाधारी में 24 घंटे जल रहता है. गर्मी के मौसम में भी, जब आसपास के कुंड सूख जाते हैं, इस शिवलिंग पर पानी कभी नहीं सूखता! ना कोई पाइपलाइन, ना कोई टंकी कैसे आता है ये जल? कोई नहीं जानता. श्रद्धालु इसे भोलेनाथ की कृपा मानते हैं.
हर साल मकर संक्रांति पर शिवलिंग में तिल के बराबर वृद्धि होती है, इसलिए इसका नाम पड़ा तिलभांडेश्वर महादेव. वैज्ञानिकों के पास इसका कोई जवाब नहीं, लेकिन पीढ़ियों से लोगों का विश्वास इस बात को सच मानता है.
सावन के महीने में इस मंदिर में नर्मदा जल और गंगाजल से विशेष जलाभिषेक होता है. दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं और भोलेनाथ की महिमा में लीन हो जाते हैं. यहां पूजा-पाठ केवल रिवाज नहीं ये सदियों पुरानी आस्था की परंपरा है, जो आज भी उतनी ही मजबूत है.
आज के दौर में जहां सब कुछ साइंस से तोला जाता है, खंडवा का तिलभांडेश्वर मंदिर एक ऐसा स्थान है, जहां विज्ञान मौन हो जाता है और श्रद्धा बोल उठती है. तो इस सावन में, अगर आप भोलेनाथ का एक ऐसा चमत्कार अपनी आंखों से देखना चाहते हैं जिसे शब्दों में नहीं, अनुभव में महसूस किया जा सकता है तो एक बार खंडवा के इस अद्भुत मंदिर जरूर जाएं.