मोहन ढाकले, बुरहानपुर. मध्यप्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री डेरी प्लस योजना पशुपालकों और आम नागरिकों के लिए रोज़गार का बड़ा अवसर बनती जा रही है. इस योजना का लाभ लेकर कई लोग अब हर महीने हजारों रुपये की कमाई कर रहे हैं. योजना का उद्देश्य लोगों को आत्मनिर्भर बनाना और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना है.
मुख्यमंत्री डेरी प्लस योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को मुर्रा नस्ल की दो भैंसें प्रदान की जाती हैं, जो दूध उत्पादन में अत्यधिक उपयोगी मानी जाती हैं. खास बात यह है कि सरकार इन भैंसों की कुल लागत का 50 प्रतिशत हिस्सा स्वयं वहन करती है. इससे आम नागरिकों को कम लागत में डेरी व्यवसाय शुरू करने का अवसर मिलता है.
इस योजना में सामान्य, अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के लोग आवेदन कर सकते हैं. पशु चिकित्सक डॉ. अजय रघुवंशी ने जानकारी देते हुए बताया कि यदि कोई व्यक्ति सामान्य वर्ग से है, तो उसे आवेदन के साथ ₹1,47,500 जमा करने होंगे, जिसके बदले उसे दो मुर्रा भैंसें मिलेंगी. जबकि अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लाभार्थियों को ₹73,700 जमा करने होंगे. शेष राशि शासन द्वारा सब्सिडी के रूप में वहन की जाएगी.
इस योजना की एक और बड़ी विशेषता यह है कि इसका लाभ केवल किसान ही नहीं, बल्कि कोई भी आम नागरिक उठा सकता है. आवेदन के लिए व्यक्ति को अपने नजदीकी पशु चिकित्सा कार्यालय जाना होगा, जहां योजना से संबंधित फॉर्म भरे जा सकते हैं. योजना को शुरू हुए तीन महीने हो चुके हैं और अब तक 30 से अधिक लोग इसका लाभ ले चुके हैं.
मुर्रा नस्ल की भैंसें अत्यधिक दूध देती हैं, जिससे प्रति दिन अच्छी आय हो सकती है. विशेषज्ञों के अनुसार, दो भैंसों से रोज़ाना 20 लीटर तक दूध मिल सकता है, जिसे बाजार में बेचकर हर महीने हजारों रुपये की कमाई की जा सकती है. सरकार का मानना है कि यह योजना लोगों को आत्मनिर्भर और स्वरोजगार की दिशा में प्रेरित करेगी.
मुख्यमंत्री डेरी प्लस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना और पशुपालन को एक स्थायी आय के स्रोत के रूप में विकसित करना है. योजना के माध्यम से न सिर्फ डेरी उद्योग को मजबूती मिल रही है, बल्कि युवा वर्ग को भी बेरोजगारी से मुक्ति का नया रास्ता मिल रहा है.