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Sagar News: छात्रा बबली पटेल ने पानी साफ करने के फॉर्मूले के बारे में बताते हुए कहा कि इसके लिए एक नल की टोटी वाला बॉक्स लेते हैं. इसमें सबसे नीचे रुई डालते हैं, फिर मिट्टी, सफेद कपड़ा और फिर इस कपड़े के ऊपर रे…और पढ़ें
10वीं क्लास की छात्रा बबली पटेल ने लोकल 18 को बताया कि पानी साफ करने के इस फॉर्मूले के लिए एक नल की टोटी वाला बॉक्स लेते हैं, इसमें सबसे नीचे रुई डालते हैं, फिर मिट्टी, इसके बाद सफेद कपड़ा और इस कपड़े के ऊपर रेत डालते हैं. सबसे ऊपर कोयला डालते हैं. इसमें फिर अगर गंदा पानी डालते हैं, तो यह अपने आप जीवाणु रहित होकर करीब एक मिनट के अंदर ही स्वच्छ जल हमें दे देता है, जो पीने योग्य होता है. एक बार मिट्टी-कोयला डालने के बाद तीन दिन तक इसका उपयोग कर सकते हैं.
छात्रा बबली पटेल सुभाष नगर के शासकीय कन्याशाला स्कूल में पढ़ाई कर रही हैं. बबली ने शिक्षक महेंद्र जैन के मार्गदर्शन में यह फॉर्मूला तैयार किया है ताकि गंदे पानी को साफ कर इसका उपयोग किया जा सके और बिजली, पानी और पैसों को भी बचाया जा सके.
बरसात में नलों से आता गंदा पानी
गौरतलब है कि इस मौसम में शहरों में अक्सर नलों से गंदा, मटमैला और बदबूदार पानी आने लगता है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में कुआं या हैंडपंप का पानी भी लगभग ऐसा ही होता है. कभी-कभी इन जल स्रोतों का पानी लोगों के लिए जानलेवा तक साबित हो जाता है. बुंदेलखंड के सागर में यह समस्या आम है. पिछले साल ही कुएं का पानी पीने की वजह से मैहर गांव में तीन लोगों की मौत हो गई थी, तो सैकड़ों लोग उल्टी-दस्त का शिकार हुए थे. हालात को काबू करने के लिए डॉक्टरों का अस्थायी कैंप यहां बनाया गया था और ऐसा ही कुछ बिलहरा गांव में भी हुआ था. वहां किसी की मौत तो नहीं हुई थी लेकिन दर्जनों लोग गंदे पानी की वजह से बीमार हो गए थे.