86 साल के बुजुर्ग को मिली वो विदाई जो अब तक किसी को नहीं मिली… जानिए क्यों?

86 साल के बुजुर्ग को मिली वो विदाई जो अब तक किसी को नहीं मिली… जानिए क्यों?


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Ujjain Guard of Honor: उज्जैन के वरिष्ठ समाजसेवी नरेंद्र गंगवाल को निधन के बाद देहदान करने पर पुलिस गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. यह उज्जैन का पहला मामला है. बेटे ने कहा, “पिता ने जाते-जाते भी किसी को जीवन दे दिया.”

हाइलाइट्स

  • नरेंद्र गंगवाल ने अपना पूरा जीवन समाजसेवा को समर्पित कर दिया .
  • गरीबों की मदद, बच्चों की शिक्षा, बीमारों की देखभाल हर मोर्चे पर वह सक्रिय रहे.
  • उनकी देह को आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज को सौंपा गया.

शुभम मरमट, उज्जैन: उज्जैन में मंगलवार को एक ऐसा पल सामने आया जिसने पूरे शहर को भावुक कर दिया. 86 वर्षीय वरिष्ठ समाजसेवी नरेंद्र गंगवाल का निधन होने के बाद उनकी देहदान की इच्छा का सम्मान करते हुए, उन्हें पुलिस गार्ड ऑफ ऑनर देकर अंतिम विदाई दी गई. यह महाकाल की नगरी उज्जैन का पहला मामला है, जब किसी देहदान करने वाले व्यक्ति को इस तरह का राजकीय सम्मान दिया गया.

देहदान की इच्छा थी अंतिम सेवा

नरेंद्र गंगवाल ने अपना पूरा जीवन समाजसेवा को समर्पित कर दिया था. गरीबों की मदद, बच्चों की शिक्षा, बीमारों की देखभाल हर मोर्चे पर वह सक्रिय रहे. उनका अंतिम संकल्प था देहदान, ताकि उनके बाद भी किसी जरूरतमंद को जीवन और विज्ञान को दिशा मिल सके. उनकी देह को आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज को सौंपा गया.

बेटे की नम आंखों से निकले गर्व के शब्द

प्रणय गंगवाल, जो नरेंद्र गंगवाल के पुत्र हैं, ने भावुक होकर कहा कि “यह मेरे लिए गर्व की बात है. पिताजी ने जीवन भर समाज के लिए काम किया और जाते-जाते भी किसी को रोशनी दे गए. अब कोई उनकी आंखों से देख सकेगा, ये सोचकर ही दिल भर आता है.”

मुख्यमंत्री की घोषणा पर मिला सम्मान

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पूर्व घोषणा के अनुसार, जो नागरिक मृत्यु के बाद शरीर या अंगदान करते हैं, उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया जाएगा. इसी घोषणा के तहत नरेंद्र गंगवाल को यह सम्मान दिया गया.

एसडीएम एलएन गर्ग ने जानकारी दी कि “उज्जैन में यह पहला अवसर है जब किसी देहदानकर्ता को यह सम्मान दिया गया है. यह एक प्रेरणास्पद उदाहरण है.”

समाज को दे गए बड़ा संदेश

नरेंद्र गंगवाल की यह अंतिम सेवा, आज एक प्रेरणास्पद उदाहरण बन चुकी है. यह घटना न सिर्फ देहदान के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाएगी, बल्कि यह भी संदेश देगी कि मृत्यु के बाद भी हम किसी के लिए जीवन का कारण बन सकते हैं.

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