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Goat Farming Tips: बकरी पालन का एक ऐसा व्यवसाय है. जिसमें कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है. अगर आप बकरी पालन कर रहे हैं तो बकरी की इस नस्ल के बारे में जान लीजिए.
खेती और पशुपालन एक दूसरे के पर्याय है. इन दोनों को ही ज्यादातर लोग अपनी आजीविका का स्त्रोत बनाते है. पशुपालन में बकरी पालन एक तरह का छोटे स्तर पर शुरू किये जाने वाला व्यवसाय है. जो किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने का सकारात्मक विकल्प प्रदान करता है.

किसानों के बीच बकरी पालन का बिजनेस चल पड़ा है. वे इसमें निवेश भी खूब कर रहे हैं. अगर आप किसी ग्रामीण इलाके में रहते हैं और सोच रहे हैं कि कैसे कम लागत में घर बैठे मुनाफा कमाया जाए, तो जवाब है बकरी पालन.

बुंदेलखंड अंचल के किसानों का बकरी पालन एक मुख्य व्यवसाय बन गया है. कृषि विज्ञान केंद्र दमोह में पदस्थ डॉ मनोज अहिरवार ने Local 18 से कहा कि सिरोही नस्ल की बकरियो को हमारे क्षेत्र की जलवायु शूट कर रही है. जिस कारण इनका पालन करना आसान हो गया है. इन नस्लो की कद काठी अच्छी होती है, जो विपणियो के लिए अच्छा होता है.

इस नस्ल की खासियत होती है कि सिरोही नस्ल की बकरियां आसानी से मौसम को भाफ लेती हैं. ठंडी हो या गर्म जलवायु के अनुसार अपने रहन-सहन में बदलाव कर लेती है.

अनुकूल वातावरण में भी सिरोही नस्ल की बकरियां बड़े अच्छे तरीके से सर्बाइब करती है. यह बकरी दूध उत्पादन के साथ-साथ अपने मीट उत्पादन के लिए भी जानी जाती है.

सिरोही बकरी का दूध हर समय डिमांड में रहता है, क्योंकि बकरी के दूध पीने से ब्लड प्लेटलेट्स बढ़ती है और बकरी का दूध पीने से शरीर स्वस्थ रहता है. डेंगू के रोगियों को डाक्टर अक्सर बकरी का दूध पीने की सलाह देते हैं.

ये नस्ल राजस्थान की है.इस नस्ल की खासियत होती है कि ये कम समय में ही अपने शरीर के वजन को दोगुना कर लेती है.प्राप्त जानकारी के मुताबिक 30kg का बकरा महज 6 से 7 महीने में 100kg वजन हो जाता है.

सिरोही बकरी साल में दो बार बच्चों को जन्म देती है, जिसमें यह बकरी एक से डेढ़ लीटर तक दूध देती है. इस बकरी के दूध को पीने से फायदा होता है. सिरोही बकरी साल में दो बार बच्चे देती है, जिसमें बकरा मात्र कुछ समय में ही 50 किलो तक हो जाता है.