Ground Report: दो बहनों का पुनर्जन्म, 12 साल बाद पूरे गांव को चौंका दिया, एक सांप काटने से तो दूसरी डूबने से मरी थी

Ground Report: दो बहनों का पुनर्जन्म, 12 साल बाद पूरे गांव को चौंका दिया, एक सांप काटने से तो दूसरी डूबने से मरी थी


Kharogne News: क्या इंसान मरने के बाद दोबारा जन्म लेता है? यह सवाल अक्सर धार्मिक चर्चा और अंधविश्वास के दायरे में रहा है. लेकिन, मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के दूरस्थ गांव से अजब गजब घटना सामने आई है, जिसने इस मुद्दे को फिर हवा दे दी. यहां दो बहनों ने 12 साल की उम्र में अचानक दावा किया कि वे पहले भी जन्म ले चुकी हैं. उन्होंने Local18 को अपने पिछले जन्म के परिवार, गांव और मृत्यु की पूरी कहानी विस्तार से सुनाई. खास बात ये कि जिन लोगों का नाम उन्होंने लिया, वे असल में मौजूद हैं और अब उन दोनों को पहचान भी चुके हैं.

यह मामला खरगोन से 65 किलोमीटर दूर सतपुड़ा के जंगलों में बसे तितलबागरी गांव का है. यहां आदिवासी समुदाय के देवराम डावर रहते हैं, जिनकी पांच संतानें हैं. इनमें गंगा (2005 जन्म) और नर्मदा (2006 जन्म) नाम की दो बेटियों ने 12 वर्ष की उम्र में अपने पिछले जन्म को लेकर बातें बतानी शुरू कीं. गंगा ने सपनों में अपने पूर्वजन्म के पिता का नाम मुखराम रावत बताया और रामगढ़ी गांव का जिक्र किया. नर्मदा ने भी खुद को उसी परिवार की दूसरी बेटी बताया और दोनों ने अपनी-अपनी मृत्यु का कारण भी स्पष्ट रूप से बताया.

12 साल बाद याद आया पिछला जीवन
दोनों ने दावा किया कि उनकी मौत 12 साल की उम्र में हुई थी. गंगा की कुएं में डूबने से और नर्मदा की सांप के काटने से मौत हुई थी. पहले देवराम ने इन बातों को कल्पना समझकर नजरअंदाज किया, लेकिन बार-बार एक जैसी बातें सुनकर उन्होंने रामगढ़ी जाकर सच्चाई जानने की ठानी. जब वहां उन्होंने मुखराम रावत से मुलाकात की तो हैरानी की बात सामने आई. उनके परिवार की दो बेटियां 12 साल पहले उसी तरह की दुर्घटनाओं में मरी थीं, जैसा गंगा और नर्मदा बता रही थीं.

गांव वाले देखकर दंग
इसके बाद मुखराम रावत परिवार सहित तितलबागरी पहुंचे. जैसे ही उन्होंने गंगा और नर्मदा को देखा, उन्हें पहचान लिया. उनका कहना था कि लड़कियों की शक्ल, आदतें और बातचीत का तरीका उनकी मरी हुई बेटियों से मिलता-जुलता है. कुछ दिनों बाद दोनों लड़कियां रामगढ़ी गईं, जहां उन्होंने अपने पुराने घर, स्कूल और रिश्तेदारों को पहचान लिया. जिन-जिन जगहों पर वे पहले जाती थीं, उन्हें ठीक-ठीक बता दिया. इससे गांव वालों का शक भी यकीन में बदल गया.

मौत का कारण भी बताया
एक और चौंकाने वाली बात यह थी कि दोनों का वर्तमान जन्म उन्हीं तारीखों के आसपास हुआ, जब उनके पिछले जीवन की मौत हुई थी. गंगा का जन्म रक्षाबंधन के कुछ दिन बाद और नर्मदा का जन्म होली के दिन हुआ. वहीं, मुखराम ने बताया कि गंगा की मौत राखी के आसपास और नर्मदा की होली पर ही हुई थी. इससे परिवार का विश्वास और गहरा हो गया कि यह पुनर्जन्म ही है.

दोनों की शादी हो गई
वर्तमान में गंगा और नर्मदा, दोनों की शादी हो चुकी है. गंगा की शादी 2023 में ग्राम सातपाटी में हुई और उसके दो बच्चे हैं. नर्मदा की शादी 2024 में बलवा गांव में हुई. हालांकि, नई ज़िंदगी में वे आगे बढ़ चुकी हैं, लेकिन रामगढ़ी गांव में आज भी लोग उन्हें पहले की ही बेटियां मानते हैं. अपने पिछले जन्म के भाई को राखी भी बांधती हैं. यहां की शादी में एक बेटी का कन्यादान भी पिछले जन्म के पिता ने किया था.

पुनर्जन्म पर ज्योतिषी की राय
वहीं, इस विषय में जब हमने ज्योतिषाचार्य डॉ. बसंत सोनी से बात कि तो उन्होंने बताया कि धर्मशास्त्रों में पुनर्जन्म की अवधारणा स्पष्ट है. उन्होंने कहा, जब किसी की अकाल मृत्यु होती है तो आत्मा की अधूरी यात्रा पूर्ण करने के लिए वह पुनर्जन्म ले सकती है. कुएं में डूबना और सांप का काटना ऐसी ही अकाल मृत्यु की श्रेणियों में आता है. उन्होंने इस घटना को पुनर्जन्म की मजबूत संभावनाओं से जोड़कर देखा.

बताई पुनर्जन्म की खास बातें
आपको बता दें कि गंगा का दस्तावेजों में नाम बारकिया है, वहीं नर्मदा का असली नाम सरकिया है. पुनर्जन्म की बात सामने आने के बाद दोनों का नाम बदला गया. गंगा ने कहा कि अब उन्हें अपने पिछले जन्म के बारे में सपने नहीं आते. उस समय आए थे. इन सपनों में भी पिता और गांव का नाम, घर, परिवार, खेत सहित घर के जुड़ी कुछ बातें ही, परिवार ओर सखियों के चेहरे याद आए, नाम नहीं.



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