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मैहर में पानी भरी खदान में नहाते समय दो मासूम बहनों की डूबने से मौत हो गई. हादसे से गांव में मातम छा गया. खदान पहले भी कई जानें ले चुकी है. प्रशासन पर लापरवाही का आरोप.
हाइलाइट्स
- मैहर में खदान में डूबने से दो बहनों की मौत
- खदान पहले भी कई मासूमों की जान ले चुकी है
- MP में डूबकर मरने वाले बच्चों की संख्या 20 पहुंची
ग्रामीणों को जब यह पता चला कि वे खदान की ओर गई थीं, तो स्थानीय युवकों ने तत्परता दिखाते हुए पानी में गोता लगाया. करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद दोनों बच्चियों के शव बाहर निकाले जा सके. हादसे की खबर से पूरे गांव में मातम छा गया और घटनास्थल पर लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा हो गई. सूचना मिलते ही नादन थाना प्रभारी केएस बंजारे टीम के साथ पहुंचे और शवों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया.
दर्दनाक हादसे ने पूरे गांव को गहरे शोक में डुबो दिया है. पिता पिंटू कोल समेत परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. ग्रामीणों ने बताया कि यह खदान पहले भी कई मासूमों की जान ले चुकी है. साल 2015 में भी इसी खदान में तीन बच्चे डूबकर जान गंवा चुके हैं. बावजूद इसके न तो प्रशासन ने यहां सुरक्षा के इंतज़ाम किए और न ही अवैध खनन पर कोई ठोस रोक लगाई. स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर समय रहते प्रभावी कदम उठाए जाते तो आज यह हादसा टाला जा सकता था.
मध्य प्रदेश में मानसून के दो महीनों में इस तरह की घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक बारिश से भरी खदानों, तालाबों और गड्ढों में डूबकर कम से कम 20 बच्चों की मौत हो चुकी है. हाल ही में रीवा और मैहर में तीन बच्चों की डूबने से मौत हुई थी. इसके एक हफ्ते पहले छतरपुर जिले के एक गांव में तीन भाई-बहन तालाब में डूब गए थे.