सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर और यूट्यूबर लीला साहू ने एक वीडियो में अपने गांव की सड़क की हालत दिखाई थी, जिसमें उन्होंने बताया कि एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाती है. गांव में उनके जैसे अन्य महिलाएं भी गर्भवती हैं; इमरजेंसी पड़ी तो क्या होगा? वीडियो वायरल हुआ, मीडिया ने रिपोर्ट किया और जमकर सियासी बयानबाजी हुई तो यह वीडियो और मामला देश की सुर्खियों में आ गया. इसके बाद अब गांव में अचानक सड़क बननी शुरू हो गई. लेकिन यहीं से सवाल खड़े होने लगे – यह सड़क किसके आदेश से बन रही है? जब इस सड़के आदेश नहीं हुए, ना ही पंचायत और जिला प्रशासन से अनुमति ली गई तो फिर यह काम कैसे हो रहा है?
सड़क पर जब सवाल उठे थे तो भाजपा सांसद डॉ राजेश मिश्रा ने चौंकाने वाला बयान दे डाला था.
उन्होंने कहा था कि मैं सड़क नहीं बनाता, अगर कोई गर्भवती है तो प्रसव की एक तारीख होती है, हम उससे एक हफ्ते पहले ही उसे उठा लेंगे. हालांकि इस बयान को लेकर उनकी बहुत फजीहत हुई और उन्होंने सफाई में कहा कि मेरे बयान का गलत मतलब निकाला गया, हमारे यहां उठा लेंगे आम बोलचाल में कहा जाता है. मेरा ‘वो’ आशय नहीं था. इस सड़क पर सरकारी मंत्री राकेश सिंह का बयान था कि सरकार की प्रकिया है, पहले मांग होती है. उसके पास सर्च रिपोर्ट लेते हैं उसके बाद टेंडर होते हैं, प्रक्रिया पूरी होने के बाद आदेश जारी होते हैं तब सड़क बनती है. पर अब बिना टेंडर सड़क बन रही है.
कांग्रेस का हमला: राहुल भैया का मौखिक आदेश ही काफी!
कहा जा रहा है कि कांग्रेस विधायक अजय सिंह ‘राहुल भैया’ के मौखिक निर्देश पर वह कंपनी सड़क बना रही है, जिसकी गाड़ियों ने पहले उसे बर्बाद किया था. कांग्रेस इसे जनता से जुड़ाव बता रही है. पार्टी के नेताओं ने इसे “जनदबाव से उपजी जवाबदेही” बताया है, लेकिन सियासी हलचल थमी नहीं हैं. अजय सिंह का कहना है कि खड्डी खुर्द की लीला साहू ने जब सांसद से सड़क बनाने की माँग की थी, तब सांसद ने आश्वासन दे दिया था लेकिन उस पर वे खरे नहीं उतर सके, बल्कि उल्टा बयानबाजी कर के फंस गए. इसके बाद हमने अपने स्तर से अपने लोगों के माध्यम से खराब सड़क को सही कराना शुरू किया है, जो मेरी एक कोशिश है जिससे उस गाँव का आवागमन सुगम हो सके, बहुत ज्यादा नहीं कर सकता क्योंकि खुद के पैसे से कितना कर सकता हूंं. वहीं इस पूरे मामले में सीधी जिला प्रशासन अब तक ना तो कोई आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं करा पाया है; ना ही उसकी तरफ से कोई बयान जारी हुआ है.
लीला साहू ने अब दोबारा वीडियो जारी कर सड़क निर्माण पर खुशी जताई है, लेकिन सवाल पूछना भी नहीं छोड़ा. वह कहती हैं, “काम शुरू हुआ है, लेकिन हम यह देखेंगे कि सड़क टिकाऊ भी है या नहीं.” लीला इस पूरे प्रकरण में अब सोशल मीडिया जनमत की प्रतीक बन चुकी हैं. वह जनता की आवाज भी हैं और सत्ता के लिए चुनौती भी. आने वाले चुनावों में उनकी भूमिका स्थानीय राजनीति में अप्रत्याशित असर डाल सकती हैं.
यह सड़क चुनावी जमीन को हिला सकती है
सीधी की यह कच्ची सड़क अब केवल विकास की कहानी नहीं है, बल्कि यह चुनाव से पहले की सियासी बिसात पर चली गई एक चाल बन चुकी है. बिना टेंडर, बिना आदेश और बिना पारदर्शिता के शुरू हुआ यह कार्य अब नीयत, रणनीति और सोशल मीडिया की शक्ति- तीनों पर सवाल खड़े कर रहा है.