Success Story: 8 महीने की उम्र में पोलियो न जकरा, लेकिन हौसले रहे बुलंद…आज बनी गांव की सबसे मजबूत महिला!

Success Story: 8 महीने की उम्र में पोलियो न जकरा, लेकिन हौसले रहे बुलंद…आज बनी गांव की सबसे मजबूत महिला!


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Gayatri Tiwari Success Story: खजुराहो की गायत्री तिवारी ने विकलांगता को अपने रास्ते की रुकावट नहीं बनने दिया. गांव में पढ़ाई कर बनीं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आज कुपोषण मुक्त वार्ड की जिम्मेदारी संभाल रहीं हैं. जान…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • गायत्री तिवारी ने विकलांगता को कमजोरी नहीं बनने दिया.
  • गायत्री तिवारी खजुराहो में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बनीं.
  • खजुराहो के वार्ड-3 में कोई बच्चा कुपोषित नहीं है.
Gaytri Tiwari Success Story. छतरपुर जिले के खजुराहो के रहने वाली गायत्री तिवारी जिन्हें बचपन से ही पैर में विकलांगता आ गई थी लेकिन उन्होंने इसे अपनी कमजोरी नहीं समझा. गांव में रहकर ही 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की. हालांकि , खजुराहो में उनकी शादी हो गई. लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और बीएससी की पढ़ाई पूरी की. साल 2007 में राज नगर ब्लॉक में खजुराहो आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता बन गईं और आज उनकी सजगता और सक्रियता के चलते गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों को स्वस्थ और पोषक संबंधी आवश्यक सुविधाएं मिल रही हैं.

अपने बच्चों की तरह देखभाल करती हैं 
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता गायत्री तिवारी बताती है कि केंद्र में दर्ज बच्चों की देखभाल और उनके स्वास्थ्य का ख्याल वह अपने खुद के बच्चों की तरह रखती हैं. खजुराहो के वार्ड-3 में एक भी बच्चा कुपोषित नहीं है.

8 माह में आई विकलांगता 
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता गायत्री तिवारी को 8 माह की उम्र में ही पोलियो हो गया था. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने गांव पहाड़ी में रहकर ही अपनी पढ़ाई को जारी रखा. 12वीं तक की शिक्षा लेने के बाद उनका विवाह खजुराहो में हो गया. ससुराल में आने के बाद बीएससी की पढ़ाई पूरी की.‌ इसके बाद वह 2007 में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बन गई और कार्यकर्ता के पद पर रहते हुए महिला बाल विकास विभाग  में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं.

वार्ड में नहीं कोई बच्चा कुपोषित 
नगर के लोगों की माने तो खजुराहो की वार्ड 3 में कोई भी बच्चे कुपोषित नहीं है. यह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मेहनत का परिणाम है. कार्यकर्ता अपने केंद्र के तहत आने वाले वार्ड में लगातार लोगों से संपर्क में रहती हैं. हालांकि, आंगनवाड़ी किराए के मकान में चलती है.

महिलाओं को करती हैं जागरूक 
बच्चों और गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति सजक रहने की सलाह भी देती रहती हैं. वह कहती है कि बच्चों के कुपोषित होने के पीछे उनके माता-पिता दोषी होते हैं. जो माताएं पर्याप्त आहार नहीं लेती और आहार में विटामिन नहीं रहता और बार-बार बीमारी के संक्रमण के कारण कुपोषण होता है.  कुपोषण का बच्चों के शरीर में बहुत घातक प्रभाव पड़ता है जिससे उनकी शारीरिक और बौद्धिक वृद्धि में रुक बताती है.

पोषित आहार के बारे में देती हैं जानकारी 
गायत्री बताती है कि उनके वार्ड के बच्चे कुपोषित ना हो इसके लिए वह बच्चों का नियमित रूप से वजन और लंबाई मापती है साथ ही बच्चों को आवश्यक तक लगाए जाते हैं और माता-पिता को स्वस्थ आहार और पोषण के महत्व के बारे में जागरूक किया जाता है वही आंगनबाड़ी केंद्र में आने वाले बच्चों को पूरा आहार दिया जाता है. माता को स्तनपान के महत्व के बारे में बताते हुए उन्हें स्तनपान कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.

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