पार्टनर ने ही की थी भोपाल सिटी हॉस्पिटल की शिकायत: मुख्यमंत्री सहायता योजना से राशि में गड़बड़ी का है आरोप; आवेदन देने वाले ने शिकायत वापस ली – Guna News

पार्टनर ने ही की थी भोपाल सिटी हॉस्पिटल की शिकायत:  मुख्यमंत्री सहायता योजना से राशि में गड़बड़ी का है आरोप; आवेदन देने वाले ने शिकायत वापस ली – Guna News


भोपाल सिटी हॉस्पिटल का नाम बदलकर स्वास्तिक हॉस्पिटल कर दिया गया है।

गुना जिले के मधुसुदनगढ़ में संचालित भोपाल सिटी हॉस्पिटल में मुख्यमंत्री सहायता कोष से फर्जी तरीके से 48 लाख रुपए निकालने के मामले में एक नया खुलासा हुआ है। इस गड़बड़ी की शिकायत करने वाला राजेश शर्मा भी उस वक्त अस्पताल का पार्टनर था, जब यह घोटाला हुआ।

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भोपाल सिटी हॉस्पिटल पर आरोप है कि उसने मरीजों को बिना भर्ती किए मुख्यमंत्री राहत कोष से बड़ी राशि वसूली। इस मामले में कुछ मरीजों ने सीएम हेल्पलाइन, खंड चिकित्सा अधिकारी और पुलिस से भी शिकायत की थी। अस्पताल प्रबंधन पर कुल 48 लाख रुपए की गड़बड़ी का आरोप है।

राजेश शर्मा ने की थी शिकायत इस घोटाले की मूल शिकायत भोपाल के करोंद निवासी राजेश शर्मा ने की थी। उनकी शिकायत पर बीएमओ राघौगढ़ जांच कर रहे हैं। अब सामने आया है कि राजेश शर्मा खुद भी अस्पताल में साझेदार थे। एक एग्रीमेंट के अनुसार, उन्होंने और पांच अन्य लोगों ने अस्पताल में 9.70 लाख रुपए निवेश कर साझेदारी की थी।

एग्रीमेंट की कॉपी।

एग्रीमेंट में 6 लोगों के नाम, संचालन में भागीदारी तय भोपाल सिटी हॉस्पिटल के साझेदारी एग्रीमेंट में राजेश शर्मा के अलावा नवीन शर्मा, त्रिलोचन सिंह, दिलजीत दांगी, राहुल मेहर और आजाद के नाम शामिल हैं। मधुर सक्सेना और जितेंद्र अहिरवार ने यह एग्रीमेंट करवाया था। दस्तावेजों में साफ उल्लेख है कि सभी साझेदार संचालन और व्यवस्थाओं में भाग लेंगे।

जांच के लिए बुलाए गए राजेश शर्मा पेश नहीं हुए जांच अधिकारी बीएमओ ने शिकायतकर्ता राजेश शर्मा को कथन के लिए बुलाया था, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए। इससे मामले में और सवाल खड़े हो रहे हैं। अब जांच इस दिशा में भी हो रही है कि गड़बड़ी के समय सभी साझेदारों की भूमिका क्या रही।

BMO ने राजेश शर्मा को बयान देने बुलाया था।

BMO ने राजेश शर्मा को बयान देने बुलाया था।

एक अन्य शिकायतकर्ता ने शिकायत वापस ली मधुसुदनगढ़ निवासी दिनेश अहिरवार ने भी शिकायत की थी कि उनके नाम पर इलाज दिखाकर मुख्यमंत्री राहत कोष से 40 हजार रुपये निकाले गए, जबकि उनका इलाज हुआ ही नहीं था। लेकिन मामला सामने आने के बाद उन्होंने अपनी शिकायत वापस ले ली है।

आपसी विवाद से खुला मामला, जांच जारी जानकारी के अनुसार, पार्टनरों के बीच हुए विवाद के चलते ही यह पूरा मामला उजागर हुआ। अब प्रशासन साझेदारों की भूमिका और कोष से निकाली गई राशि की सत्यता की जांच कर रहा है। जांच पूरी होने पर दोषियों के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी।



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