भिण्ड नगर पालिका में चल रहे फर्जीवाड़े की परतें एक-एक कर खुलने लगी हैं। बीते कुछ महीनों में लाखों रुपए के संदिग्ध भुगतान बिना किसी प्रक्रिया के कर दिए गए। जैसे ही इसकी शिकायत पीएमओ तक पहुंची, जिला प्रशासन हरकत में आया। बुधवार शाम कलेक्टर संजीव श्रीवा
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150 से अधिक फर्जी भुगतान की फाइलें, अधिकारी गुमसुम कलेक्टर ने सीधे-सीधे सभी एक लाख से कम राशि वाले भुगतानों की फाइलें तलब कीं। सूत्रों के अनुसार, बिना टेंडर निकाले करीब 150 से अधिक भुगतान किए गए हैं, जिनमें भारी गड़बड़ी की आशंका है। जब कलेक्टर ने फाइलें मांगीं तो अफसरों के चेहरे फक हो गए, कई कर्मचारी तो कार्यालय से गायब हो गए।
करीब डेढ़ घंटे तक चली जांच में कलेक्टर को मुश्किल से 8-10 फाइलें ही पेश की गईं, जिनमें से एक की गहन पड़ताल हुई। बाकी फाइलों को या तो छिपा लिया गया या जानबूझकर उपलब्ध नहीं कराया गया।
नपा के बाहर कलेक्टर की कार खड़ी।
एआरआई शाखा में भी पहुंचे कार्रवाई की शुरुआत कलेक्टर ने एआरआई शाखा से की, जहां उन्होंने शहर के बड़े टैक्स बकायादारों की सूची मांगी। मगर अफसरों की बोलती बंद हो गई, किसी के पास सटीक जानकारी नहीं थी। कलेक्टर ने फटकार लगाते हुए स्पष्ट निर्देश दिए सबसे बड़े बकायादारों की सूची अलमारी में नहीं, सार्वजनिक होनी चाहिए। नोटिस दो, वसूली करो और नहीं माने तो कोर्ट में घसीटो।
ठेकेदारों में भगदड़, नेताओं से लगाई गुहार जैसे ही खबर फैली कि कलेक्टर खुद फाइलें खंगाल रहे हैं, नगर पालिका से जुड़े ठेकेदारों में खलबली मच गई। कई ने तत्काल प्रभाव से अपने राजनीतिक आकाओं को फोन घुमा दिए और जांच को दबाने की जुगत में लग गए। कुछ ठेकेदार तो पुराने बिलों और भुगतान दस्तावेजों की मरम्मत में जुट गए हैं ताकि किसी तरह खुद को बचा सकें।
कलेक्टर का अल्टीमेटम -एक-एक गड़बड़ी का हिसाब होगा कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने दो टूक कहा अब कोई भी गड़बड़ी छिपने वाली नहीं। हर संदिग्ध भुगतान की जांच होगी और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। नगर पालिका को भ्रष्टाचार का अड्डा नहीं बनने दिया जाएगा।