धर्मश्री स्थित बालाजी मंदिर का 25वां स्थापना दिवस 19 जुलाई को मनाया गया है। मंदिर में पिछले 23 साल से अखंड ज्योत के साथ ही सीता राम जय सीता राम संकीर्तन गूंज रहा है। मंदिर के चरण सेवक प्रकाश साहू ने बताया कि अखंड कीर्तन की शुरुआत विजय टॉकीज रोड स्थित
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लेकिन रोज रातभर की जिम्मेदारी कोई एक व्यक्ति पर नहीं सौंपी जा सकती थी। इसलिए कुछ भक्तों के लिए राम नाम कीर्तन करने का एक निश्चित शुल्क देना शुरू किया। ताकि कीर्तन 24 घंटे निरंतर चलता रहे। बालाजी मंदिर के ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष दीपक तिवारी ने बताया कि बालाजी सरकार के चरण सेवक प्रकाश साहू को बालाजी सरकार से ही मंदिर निर्माण की प्रेरणा मिली। इसके बाद हम सभी भक्तों ने मिलकर 19 जुलाई 2000 को धर्मश्री स्थित पहाड़ी पर नृत्यगोपाल दास महाराज के द्वारा मंदिर निर्माण का भूमिपूजन करवाया। इसके बाद सन 2022 में विजय टॉकीज से गाजे-बाजे के साथ चरण सेवक साहू अपने सिर पर अखंड ज्योत रखकर शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए बालाजी मंदिर लाए।
अखंड ज्योत तब से यहां पर प्रज्जवलित हो रही है। 24 घंटे में 250 ग्राम के करीब शुद्ध घी ज्योत में लगता है। चरण सेवक साहू बताते हैं कि कोरोना काल के दौरान कीर्तन को जारी रखने के लिए प्रतिदिन कीर्तन करने वाले 4 भक्तों को मंदिर के बाजू में सोशल डिस्टेंस का पालन कर ठहराया गया था, जो 8-8 घंटे की पारी में 24 घंटे सीता-राम जय सीता राम का जाप करते थे। चूंकि उस समय सब कुछ बंद था ऐसे में इन भक्तों के भोजन प्रसादी की व्यवस्था भी बालाजी सरकार की कृपा से ही हो जाती थी।
कीर्तन में तीज-त्योहारों पर कीर्तनकारों की संख्या बढ़ जाती है और बालाजी सरकार की कृपा से कई भक्त ऐसे भी आते हैं जिससे भक्तों की प्रसादी भी चलती रहती है। प्रकाश साहू ने बताया कि 2022 में कीर्तन जब बालाजी मंदिर आया, तब यहां पर 8 घंटे राम नाम संकीर्तन की एक निश्चित राशि देना शुरू की। वर्तमान में 8 घंटे कीर्तन करने वाले को 220 रुपए नगद और प्रसादी दी जाती है। खासबात यह है कि इसमें ज्यादातर बुजुर्ग, असहाय, अपाहिज एवं जरूरतमंद व्यक्तियों को लेते हैं। ताकि बुढ़ापे में राम नाम कीर्तन के साथ ही स्वयं का खर्च भी निकलता रहे। 4 व्यक्ति 8-8 घंटे के हिसाब से फिक्स रहते हैं कीर्तन के लिए, लेकिन अन्य भक्त जो भी यहां अपनी अर्जी या दरखास्त लगाने आते हैं वह भी कुछ समय के लिए कीर्तन करते हैं।