मध्यप्रदेश के दो साल पुराने सेक्सटॉर्शन सुसाइड केस के आरोपियों को इंदौर जिला एवं सत्र न्यायालय ने बरी कर दिया है। पुलिस ने कोर्ट में जो सबूत पेश किए थे, उनसे साबित नहीं हुआ कि आरोपियों ने बुजुर्ग को ब्लैकमेल किया और उससे परेशान होकर बुजुर्ग ने खुदकुश
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बता दें कि इंदौर में साल 2022 में 63 साल के बुजुर्ग विलास दलवी ने फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया था। पुलिस ने जब उनके मोबाइल की जांच की तो पाया कि वो सेक्सटॉर्शन के शिकार हुए थे। मोबाइल में अश्लील वीडियो और एक युवती से आपत्तिजनक चैटिंग मिली थी।
इंदौर की राजेंद्रनगर थाना पुलिस ने राजस्थान के भरतपुर से इस गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया था। तीन साल तक कोर्ट में चले मामले के बाद आखिर आरोपी किस आधार पर कोर्ट से बरी हो गए? पुलिस से कहां चूक हुई? पढ़िए, रिपोर्ट…
बेटी पिता से मिलने पहुंची तो हुआ मौत का खुलासा रिटायर्ड फ्लाइंग ऑफिसर विलास दलवी 2019 से आईपीएस कॉलेज में स्टोर मैनेजर के पद पर काम कर रहे थे। वो कॉलेज परिसर के ही स्टाफ क्वार्टर में अकेले रहते थे। 9 सितंबर 2022 को जिस दिन दलवी ने खुदकुशी की, उस दिन उनकी बेटी दीप्ति दलवी उनसे मिलने पहुंची थीं। क्वार्टर का दरवाजा अंदर से बंद था।
दीप्ति ने दरवाजा खटखटाया लेकिन जब गेट नहीं खुला तो उसने पिता को कॉल किया। विलास दलवी ने कॉल भी रिसीव नहीं किया। दीप्ति ने अपने भाई आदित्य और पति राहुल को बुलाया। दोनों के साथ कॉलेज स्टाफ भी पहुंच गया। कुछ देर बाद पुलिस भी मौके पर पहुंची। पुलिस ने सभी की मौजूदगी में क्वार्टर का दरवाजा तोड़ा, तो भीतर विलास दलवी की पंखे से लटकी हुई लाश मिली थी।

युवती के साथ 10 घंटे की चैट हिस्ट्री मिली दूसरे दिन यानी 10 सितंबर 2022 को पुलिस ने विलास के दामाद राहुल की मौजूदगी में मोबाइल की जांच की। इसमें पुलिस को तीन अहम सुराग मिले- विलास की कुसुम जयपुर नाम से सेव मोबाइल नंबर पर लंबी वॉट्सऐप चैटिंग हुई थी। सुसाइड से एक दिन पहले यानी 8 सितंबर 2022 को सुबह 11.34 से शाम 9.49 बजे तक करीब 10 घंटे विलास ने कुसुम जयपुर से चैटिंग की थी।
इसी चैटिंग में पुलिस को विलास के न्यूड वीडियो मिले। ये कुसुम जयपुर की तरफ से भेजे गए थे। वीडियो के साथ धमकी देते हुए लिखा था कि पैसे नहीं दिए तो ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए जाएंगे।
कुसुम के अलावा पुलिस को विलास के मोबाइल की कॉल डिटेल में एक और संदिग्ध नंबर मिला। इस नंबर पर सुसाइड से पहले करीब 3 मिनट तक बातचीत हुई थी। यानी फोन कर पैसे देने की धमकी दी गई थी। इसी नंबर पर विलास की आखिरी बार बात हुई थी।
इन सुरागों को देखकर पुलिस इस नतीजे पर पहुंची थी कि विलास को ब्लैकमेल किया जा रहा था।

विलास की पत्नी जिंदा थी, मगर साइट पर बताया सिंगल पुलिस ने जब मेट्रिमोनियल साइट पर बनी प्रोफाइल के बारे में दामाद राहुल से पूछा तो उसने बताया कि ससुर विलास के बेटे और उनकी पत्नी दोनों इंदौर में रहते हैं। पत्नी जिंदा और स्वस्थ है। विलास अकेले ही आईपीएस कॉलेज के क्वार्टर में रहते थे।
विलास ने खुद को सिंगल क्यों बताया? ये पूछने पर दामाद राहुल ने केवल इतना बताया था कि परिवार के साथ विलास का कुछ विवाद था।
राजस्थान से पुलिस ने 4 लोगों को पकड़ा पुलिस अब कुसुम जयपुर की तलाश में जुट गई। पता चला कि कुसुम जयपुर वाले मोबाइल नंबर की सिम कुमारी वंदना के नाम पर जारी की गई थी जबकि संदिग्ध नंबर की सिम दीपक कुमार वैद्य के नाम पर जारी हुई थी। कुसुम जयपुर के वॉट्सऐप नंबर की IMEI नंबर चेक करने पर पाया गया कि सिम का इस्तेमाल 8 अलग-अलग मोबाइल हैंडसेट में हो चुका है।
इनमें से एक मोबाइल हैंडसेट पर ये नंबर चालू था। पुलिस ने जब इसकी लोकेशन निकाली तो ये मुड़िया गांव, भरतपुर, राजस्थान में दिखी। आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस की अलग-अलग टीम राजस्थान के लिए रवाना हुईं। पुलिस सिम नंबर को लगातार ट्रैक कर रही थी। पुलिस की तलाश एक सफेद कार नंबर RJ02 CF 7335 पर जाकर खत्म हुई। इस कार में चार लोग बैठे थे।
जैसे ही पुलिस ने इनसे सिम कार्ड को लेकर पूछताछ शुरू की तो ये विवाद करने लगे। इसी बीच इनमें से एक इंजमाम मौके से भाग निकला। पुलिस को जिस नंबर की तलाश थी, वो एक नाबालिग लड़के के पास मिली। पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर पूछताछ की। नाबालिग ने चार युवक रहीस, जीशान, यासीन और हारून खान के बारे में बताया। पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर इनके मोबाइल जब्त किए।

ये तस्वीर 3 नवंबर 2022 की है। इंदौर क्राइम ब्रांच ने चार आरोपियों को राजस्थान के भरतपुर से अरेस्ट किया था।
गैंग ने मेट्रिमोनियल साइट पर बनाई थी फर्जी प्रोफाइल गैंग से पूछताछ में पता चला कि उन्होंने खुद ही मेट्रिमोनियल साइट पर एक युवती के नाम पर फर्जी प्रोफाइल बनाई थी। इसके जरिए वे बुजुर्गों को टारगेट करते थे। उन्हें भरोसे में लेकर वीडियो कॉल करते और अश्लील बातों की शुरुआत हो जाती। इसी तरह गिरोह ने विलास को भी फंसाया था।
आरोपियों ने वॉट्सऐप पर ही वीडियो कॉल कर विलास को महिला का नग्न वीडियो दिखाकर उत्तेजित किया गया था। जब वह खुद नग्न होकर लैंगिक क्रिया करने लगे तो वीडियो कॉल को रिकॉर्ड कर उसकी क्लिप तैयार की गई और उसे वॉट्सऐप पर भेजकर पैसे मांगे गए थे। पैसे न देने पर विलास को बार-बार धमकी दी गई थी।

5 पॉइंट्स में जानिए, कैसे बरी हुए आरोपी…
1. मोबाइल जब्ती वाले गवाह पलट गए पुलिस ने मृतक विलास के कमरे से मोबाइल जब्त किया था। इसमें कुसुम जयपुर के साथ 10 घंटे की चैट सामने आई थी। इतना ही नहीं, विलास के न्यूड वीडियो बनाकर उन्हें वायरल करने की धमकी दी गई। ये मोबाइल पुलिस ने गवाह विनोद कटारे और राहुल सोनाने के सामने चेक और जब्त करना कोर्ट को बताया, मगर कोर्ट में दोनों ही गवाह इससे पलट गए।
2. जिनके नाम से सिम कार्ड, उनसे पूछताछ नहीं विलास के मोबाइल में कुसुम जयपुर के नाम से जो नंबर सेव था, उसका सिम कार्ड कुमारी वंदना के नाम से जारी हुआ था। वहीं, विलास को धमकी भरा कॉल करने वाला सिम कार्ड दीपक कुमार वैद्य के नाम से जारी हुआ था। पुलिस ने जांच में इन दो लोगों से कोई पूछताछ नहीं की।
कोर्ट ने जांचकर्ता सचिन त्रिपाठी से जब इस बारे में पूछा तो उसने कहा था कि केस डायरी आगे की जांच के लिए थाना प्रभारी को दे दी थी।
3. आरोपी का IMEI नंबर मैच नहीं हुआ पुलिस ने जीवन साथी डॉट कॉम की फर्जी प्रोफाइल आईडी के बारे में भी अपनी रिपोर्ट दी थी। आरक्षक हिमांशु सिसौदिया ने कोर्ट में ये स्वीकार किया कि इसके आईपी एड्रेस में जिस IMEI नंबर की जानकारी दी गई थी, वह किसी भी आरोपी के मोबाइल के IMEI नंबर से मैच नहीं हुआ था।

4. आरोपियों के मोबाइल में नहीं मिला विलास का न्यूड वीडियो पुलिस को आरोपियों के पास जब्त मोबाइल में मृतक विलास का कोई वीडियो नहीं मिला। आरोपी जीशान और नाबालिग के मोबाइल में अन्य लोगों के नग्न वीडियो पाए गए थे। बाकी आरोपियों के मोबाइल में ऐसे वीडियो नहीं मिले।
पुलिस ने पंचनामे में यह बताया कि आरोपियों ने अपने मोबाइल से सभी न्यूज वीडियो और जीवन साथी डॉट कॉम की आईडी सहित बाकी एप डिलीट कर दिए थे।
5. स्टेट फॉरेंसिक लैब को भी नहीं मिला वीडियो पुलिस को शक था कि आरोपियों ने वीडियो डिलीट कर दिए। लिहाजा आरोपियों के मोबाइल में से मृतक विलास का वीडियो रिकवर करने के लिए उसे राज्य साइबर फॉरेंसिक लैब भोपाल भेजा। मगर, फॉरेसिंक लैब से रिकवर किए गए डेटा में मृतक का कोई वीडियो या फोटोग्राफ नहीं पाया गया।

कोर्ट के फैसले से पहले एक आरोपी की मौत हो गई आरोपियों के वकील इमरान कुरैशी ने बताया- कोर्ट ने फैसला देते हुए माना कि आरोपी नाबालिग के साथ ही मिले थे। जिससे ये साफ है कि वे या तो नाबालिग के मित्र हैं या फिर उसके रिश्तेदार हैं। नाबालिग से सभी आरोपियों की लगातार बात हो रही थी। सभी एक-दूसरे के मोबाइल का उपयोग कर रहे थे। इससे आरोपियों के खिलाफ अपराध के संबंध में कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा-

ये भी साबित नहीं हुआ कि आरोपियों ने विलास को न्यूड वीडियो रिकॉर्ड करने की धमकी दी थी। आरोपियों की इसी धमकी की वजह से उसने फांसी लगाकर खुदकुशी की। कोर्ट ने आरोपी हारून, जीशान को बरी किया। यासीन खान की ट्रायल के दौरान ही मौत हो गई थी।